Makar Sankranti 2025: 19 साल बाद आज मकर संक्रांति पर अद्भुत संयोग, महापुण्य काल में लगेगी आस्था की डुबकी
माघ माह की प्रतिपदा तिथि में मंगलवार को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इस संक्रांति को ही मकर संक्रांति कहते हैं।

माघ माह की प्रतिपदा तिथि में मंगलवार को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। सूर्य जब धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो इस संक्रांति को ही मकर संक्रांति कहते हैं। पंचांग व ज्योतिष शास्त्रत्त् के अनुसार 19 वर्ष बाद इस बार मकर संक्रांति पर जो अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है। मकर संक्रांति पर सबसे पहले पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग है।
सुबह 9.03 बजे लग रही है संक्रांति : सूर्यदेव मंगलवार को धनु से मकर राशि में सुबह 9:03 बजे प्रवेश करेंगे। इस बार मकर संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त 14 को सुबह 9.03 बजे से शुरू हो रहा है। पुण्यकाल के मुहूर्त में गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बताते हैं कि इस दिन पुष्य नक्षत्र का अति शुभ संयोग है। इसके स्वामी शनिदेव हैं। इस दौरान किए गए दान से शनि महाराज प्रसन्न होते हैं। बताया कि मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे, जिसे शिववास योग कहा जाता है। इस शुभ अवसर पर किसी समय भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा कर सकते हैं।
मकर संक्रांति में पुण्य काल और महापुण्य काल में स्नान-दान का काफी महत्व है। पंचांग के अनुसार मंगलवार को पुण्य काल सुबह 9.03 बजे से संध्या 5.46 बजे तक है। वहीं महापुण्य काल का मुहूर्त 9.03 बजे से 10.48 बजे तक का बन रहा है।
मकर संक्रांति दान : मकर संक्रांति के दिन काला तिल, उड़द दाल, खिचड़ी, चावल, गुड़ और सब्जियों का दान कर सकते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर काले तिल का दान अति शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे शनि के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है और सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।