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आज है कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी, जानें मुहूर्त, उपाय, पूजन व व्रत पारण विधि

Krishna Pingal Sankashti Chaturthi 2025: आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान-सुख का वरदान प्राप्त होता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 14 June 2025 08:56 AM
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आज है कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी, जानें मुहूर्त, उपाय, पूजन व व्रत पारण विधि

आज है कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी: आषाढ़ मास की संकष्टी चौथ का व्रत 14 जून 2025 को रखा जाएगा। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। आज चतुर्थी तिथि दोपहर 3:46 बजे से प्रारम्भ होगी और जून 15, 2025 को दोपहर 03:51 बजे तक रहेगी। यह दिन भगवान श्री गणेश और चंद्र देव की आराधना को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान-सुख का वरदान प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय समय और व्रत पारण की सही विधि-

मुहूर्त

अभिजित मुहूर्त 11:54 से 12:49

विजय मुहूर्त 14:41 से 15:37

गोधूलि मुहूर्त 19:19 से 19:39

अमृत काल 17:41 से 19:21

सर्वार्थ सिद्धि योग 00:22, जून 15 से 05:23, जून 15

चौघड़िया मुहूर्त

  • शुभ - उत्तम 07:08 से 08:52
  • चर - सामान्य 12:21 से 14:06
  • लाभ - उन्नति 14:06 से 15:51
  • अमृत - सर्वोत्तम 15:51 से 17:35
  • लाभ - उन्नति 19:20 से 20:36
  • शुभ - उत्तम 21:51 से 23:06
  • अमृत - सर्वोत्तम 23:06 से 00:22, जून 15

पूजा-विधि

1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें

2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं

3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं

4- कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें

5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें

6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें

7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें

8- व्रत का पारण करें

9- क्षमा प्रार्थना करें

उपाय: भगवान श्री गणेश की असीम कृपा पाने के लिए भगवान को 11 दूर्वा घास चढ़ाएं।

व्रत पारण विधि: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पारण करने के अगले दिन भी केवल सात्विक भोजन या फलाहार ही ग्रहण करें और तामसिक भोजन से परहेज करें। कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी में व्रत खोलने के लिए चंद्रमा दर्शन और पूजन को जरूरी माना गया है। इस व्रत को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पूर्ण माना जाता है। चंद्रोदय के बाद अपनी सुविधा के अनुसार, अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें और अपनी मनोकामना के लिए पूजा अर्चना करें।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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