Navratri Ashtami: नवरात्रि अष्टमी आज, जानें कब करें हवन व कन्या पूजन
- Navratri Ashtami Time Today: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का महत्व बहुत है, जो मां महागौरी को समर्पित है। कई लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। जानें अष्टमी, हवन व कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त-

Navratri Ashtami Time, नवरात्रि अष्टमी आज: आज शनिवार को दुर्गा अष्टमी है। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का महत्व बहुत है। इस तिथि को मां के आठवे स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। माता महागौरी का वाहन बैल और उनका शस्त्र त्रिशूल है। परम कृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से विश्व में विख्यात हुईं। भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली है अर्थात शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के विष व्याधियों का अंत कर जीवन को सुख-समृद्धि व आरोग्यता से पूर्ण करती हैं। अधिकतर घरों में अष्टमी की पूजा होती है। कई लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन करते हैं। जानें अष्टमी, हवन व कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त-
जानें कब करें हवन व कन्या पूजन: ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार,अष्टमी पर पूरे दिन शुभ समय है, लेकिन 10.30 से 12 बजे तक विशेष पूजन मुहूर्त है। पूजन व कन्या पूजन दोनों श्रेष्ठ रहेगा। ज्योतिषचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार, पांच अप्रैल को सूर्योदनी अष्टमी तिथि शुभ योग में पुनर्वसु नक्षत्र में विद्यमान है। यह शाम 7:29 बजे तक है।
अष्टमी, हवन व कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: नवरात्रि की अष्टमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि अष्टमी पर कन्याओं को भोजन कराने से मनोकामना पूरी होती है।
शुभ योग- सुबह 07:41-09:15 बजे तक
अभिजित योग- दोपहर 11:59 -12:49 बजे तक
लाभामृत मुहूर्त- दोपहर 01:58- 05:06 बजे तक
रविवार नवमी पर लाभामृत मुहूर्त- प्रातः 09:15 से दोपहर 12:23 बजे तक रहेगा।
पूजा-विधि
1- सुबह स्नान करें और मंदिर साफ करें।
2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
6- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
7- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
8 - हवन के बाद पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
9 - अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।