उत्तराषाढ़ा में जन्मे लोग होते हैं बुद्धिमान और मेहनती
उत्तराषाढ़ा स्त्री नक्षत्र है। इसका स्वामी सूर्य है। इस नक्षत्र में जन्मे पुरुष बुद्धिमान और मेहनती होते हैं। ये हर काम में माहिर होते हैं। ये दूसरों की मेहनत की तारीफ करना पसंद करते हैं।

उत्तराषाढ़ा राशि चक्र का 21 वां नक्षत्र है। इस नक्षत्र का अभिप्राय है-अपराजित, हार न मानने वाला और शक्तिशाली। युद्ध में इस्तेमाल होने वाला जानवर हाथी का दांत इसका प्रतीक है।
उत्तराषाढ़ा स्त्री नक्षत्र है। इसका स्वामी सूर्य है। इस नक्षत्र में जन्मे पुरुष बुद्धिमान और मेहनती होते हैं। ये हर काम में माहिर होते हैं। ये दूसरों की मेहनत की तारीफ करना पसंद करते हैं।
इस नक्षत्र की महिलाएं कई बार बातचीत के दौरान अत्याधिक आक्रामक हो जाती हैं। इनके इसी स्वभाव के कारण ज्यादातर लोग इन्हें सही होने के बावजूद गलत समझते हैं।
ऐसी महिलाएं अपने पेशे में प्रसिद्धि हासिल करने वाली होती हैं। अपने बौद्धिक स्वभाव के कारण यह अच्छी शिक्षा प्राप्त करती हैं। महिलाओं के वैवाहिक जीवन में कुछ समस्याएं रहती हैं। इस नक्षत्र में जन्मी महिलाओं का स्वास्थ्य सामान्यतौर पर अच्छा रहेगा।
इस नक्षत्र के पुरुष सुखी और स्वस्थ वैवाहिक जीवन जीतेे हैं। इस नक्षत्र के पुरुषों को चोट पहुंचाने वाली नुकीली चीजों से सावधान रहना चाहिए। इस नक्षत्र के चार चरणों के प्रभाव :
प्रथम चरण : यह चरण बृहस्पति के धनु नवांश में स्थित है। यह ज्ञान और आत्मविश्वास का कारक है, जो जीवन में आगे बढ़ाने के लिए जरूरी होता है।
द्वितीय चरण : इस चरण में बृहस्पति का प्रभाव मकर नवांश में पढ़ने से सूर्य का गुरु और शनि के साथ केतु पर प्रभाव पड़ता है। इस चरण में जन्मे लोगों को इन सभी ग्रहों की युति महत्वाकांक्षी बनाने के साथ अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करती है।
तृतीय चरण : शनि से प्रभावित यह चरण कुंभ नवांश में पड़ता है। इस चरण में जन्मे लोगों की चिंता ज्ञान प्राप्त करना, सीखना और हर प्रकार से भौतिक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण जीवन का निर्माण करना है।
चतुर्थ चरण : मीन नवांश में स्थित इस चरण पर बृहस्पति का प्रभाव होता है। इस चरण में जन्मे लोग भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के बाद आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त करने के लिएप्रयासरत रहते हैं।