Yogini ekadashi vrat katha: योगिनी एकादशी का व्रत इस कथा के बिना है अधूरा, पढ़ें संपूर्ण व्रत कथा
Yogini ekadashi vrat katha in hindi : योगिनी एकादशी व्रत कथा- पद्मपुराण के अनुसार स्वर्गलोक में इन्द्र की अलकापुरी में यक्षों का राजा कुबेर रहता था। वह भगवान शिव का भक्त था और उनके लिए रोजाना हेम नामक माली

योगिनी एकादशी इस बार 2 जुलाई को है। दरअसल उदया तिथि के कारण 2 जुलाई को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार यह व्रत प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि योगिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। साथ ही उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। लेकिन योगिनी एकादशी व्रत बिना कथा के अधूरा है। इस दिन सुबह-सुबह भगवान विष्णु की पूजा और उनकी कथा पढ़ी जाती है और उनके व्रत का संकल्प लिया जाता है। यहां पढ़ें योगिनी एकादशी व्रत की कथा।
Yogini Ekadashi Katha : योगिनी एकादशी व्रत कथा- पद्मपुराण के अनुसार स्वर्गलोक में इन्द्र की अलकापुरी में यक्षों का राजा कुबेर रहता था। वह भगवान शिव का भक्त था और उनके लिए रोजाना हेम नामक माली अद्र्धरात्रि को फूल लेने मानसरोवर जाता था। माली सुबह राजा के पास जाता और उसे फूल दे देता। एक दिन हेम माली रात को को फूल तो ले आया, लेकिन वह अपनी पत्नी विशालाक्षी के प्रेम के वशीभूत होकर घर आराम के लिए ही रुक गया।
सुबह राजा कुबेर के पास भगवान शिव की पूजा करने के लिए फूल न पहुंचे तो राजा ने अपने सेवकों को गुस्सा कर पूछा कि आखिर अभी तक फूल क्यों नहीं और अपने सैनिकों को आदेश दिया कि हेम माली को को सभा में बुलाया जाए।
हेम माली को राजा कुबेर ने क्रोध में आकर श्राप दे दिया कि तुझे स्त्री वियोग सहन करना पड़ेगा तथा मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी होना पड़ेगा। कुबेर के श्राप से हेम माली स्वर्ग से पृथ्वी पर जा गिरा और उसी क्षण कोढ़ी हो गया। भूख-प्यास से दुखी होकर भटकते हुए एक दिन वह मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा। दुखी होकर उसने उन्हें राजा कुबेर से मिले श्राप के बारे में उन्हें बताया। हेम माली की सारी विपदा को सुनते हुए मार्कंडेय ऋषि ने उसे आषाढ़ मास की योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे भाव तथा विधि-विधान से करने के लिए कहा। हेम माली ने व्रत किया तथा उसके प्रभाव से उसे राजा कुबेर के श्राप से मुक्ति मिली।
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