Yogini Ekadashi 2025 kab hai yogini ekadashi shubh muhurt aur puja vidhi when yogi ekadashi Yogini Ekadashi 2025: कब है योगिनी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, एस्ट्रोलॉजी न्यूज़ - Hindustan
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Yogini Ekadashi 2025: कब है योगिनी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Yogini Ekadashi 2025:आषाढ़ के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली योगिनी एकादशी तमाम मनोकामनाओं को पूरा करने वाली है। इस बार योगिनी एकादशी कब पड़ रही है, आइए जानते हैं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSun, 8 June 2025 06:34 PM
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Yogini Ekadashi 2025: कब है योगिनी एकादशी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Yogini Ekadashi 2025, Kab Hai Yogini Ekadashi: बरस में चौबीस बार आने वाली एकादशी व्रत में योगिनी एकादशी को सबसे रहस्यमय और असरदार माना जाता है। यह आषाढ़ के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। सनातन परंपरा कहती है कि इस दिन किया गया उपवास पिछले जन्मों की भूलों को भी धो देता है। पुरानी कथाओं में राजा कुबेर और उनके माली हेममाली का जिक्र आता है। कुसूर के चलते हेममाली को कोढ़ हुआ। नारद जी के सुझाये योगिनी एकादशी व्रत से वह दोबारा सुंदर देह पा गया। उसी दृष्टांत से यह दिन मोक्ष तक पहुंचने की सीढ़ी कहलाता है।

क्या है योगिनी एकादशी की तिथि और मुहूर्त

पंचांग बताता है कि साल 2025 में योगिनी एकादशी शनिवार 21 जून को है। एकादशी तिथि शुरू होगी सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर। खत्म होगी 22 जून रविवार को सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर। उदया-तिथि के नियम से व्रत 21 जून को रखा जाएगा। पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद तुलसी जल के साथ श्री हरि का प्रसाद लेकर करें।

क्या है योगिनी एकादशी की पूजा विधि

व्रती को ब्रह्ममुहूर्त में जगकर स्नान करना चाहिए। साफ पीले कपड़े पहनें। घर के शांत कोने में लकड़ी की चौकी रखें। उस पर भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। पीले फूल फल पंचामृत तुलसी दल मिसरी और पंजीरी अर्पित करें। घी के दीपक में अखंड लौ प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र की 108 माला जपें। परिवार सहित योगिनी एकादशी कथा पढ़ें। कथा सुनते समय मन में प्रायश्चित्त और सेवा की भावना रखें। अंत में शंख घंटी और मृदंग के स्वर में आरती उतारें। दिन भर फलाहार लें। जल अधिक पिएं और शाम को तुलसी के पास दीपक रखें।

क्या है योगिनी एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

योगिनी एकादशी नाम ही योगिनी शक्तियों की ओर संकेत करता है। व्रत शरीर मन और कर्म को जोड़ता है। स्कंद पुराण कहता है कि इसका फल आठ हजार वर्षों के तप से भी बड़ा है। जो लोग रोग कर्ज या मानसिक अशांति से घिरे हैं उन्हें यह उपवास नई ऊर्जा देता है। स्वास्थ्य सुधरता है। गृहकलह दूर होती है। धन के रास्ते खुलते हैं। सबसे अहम लाभ मोक्ष की दिशा में कदम है। विश्वास है कि जिस घर में यह व्रत निष्ठा से किया जाता है वहां अनाज सुख और सौहार्द बना रहता है।

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