बोले अररिया:
बकरा नदी के पड़रिया घाट पर पुल ध्वस्त होने के कारण कुर्साकांटा और सिकटी प्रखंड के हजारों ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नाव और चचरी के माध्यम से नदी पार कर रहे हैं। 18 जून 2024 को पुल के ध्वस्त होने के...

बोले अररिया: जान जोखिम में डाल नाव व चचरी के जरिये नदी करते हैं हजारो ग्रामीण प्रतिदिन कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड के हजारों आबादी करते हैं बकरा नदी पार बकरा नदी के पड़रिया घाट के पुल ध्वस्त होने व तीरा घाट पर पुल नहीं बनने से लाखों ग्रामीणों की परेशानी बरकरार 18 जून 2024 को बकरा नदी के पड़रिया घाट स्थित पक्की पुल हुआ था ध्वस्त उद्घाटन के पहले ही नदी में विलीन हो गयी थी करोड़ों की पुल। बकरा नदी में उफान आने पर अपने साथ बहा ले जाती है चचरी पुल। इसके बाद नाव ही बनता है आवागमन का सहारा, जान हथेली में ग्रामीण करते हैं नदी पार।
हमेशा हादसे की बनी रहती है आशंका, जिम्मेदार मौन। कुर्साकांटा से पड़रिया डोम सड़क और कुर्साकांटा- डहुआबाड़ी तीरा होते हुए सिकटी जाने वाली महत्वपूर्ण सड़क में बकरा नदी के पड़रिया घाट व तीरा घाट पार करती है। लेकिन इन दोनो घाटों पर पक्की पुल नहीं होने से लोग या तो चचरी अथवा नाव से आवागमन करते हैं। पड़रिया घाट पर बनी पुल के ध्वस्त होने के बाद पक्के पुल होकर आवामन का सपना साकार नहीं हो पाया है। स्थिति ये है कि आज जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड के हजारों आबादी नाव व चचरी नदी पार करते हैं। बकरा नदी के पड़रिया घाट व तीरा घाट पर पुल नहीं बनने से लाखों ग्रामीणों की परेशानी बरकरार है। यहां बता दें कि 18 जून 2024 को बकरा नदी के पड़रिया घाट स्थित पक्की पुल के बाद ग्रामीणों के सपने भी जमींदोज हो गयी। कुर्साकांटा। सड़क, पुल-पुलिया आवागमन को हीं नहीं सुगम बनाती है बल्कि विकास को भी रफ्तार देती है। लेकिन आश्चर्य की बात ये कि आजादी के 78 वर्ष बाद भी कुर्साकांटा से पड़रिया डोम सड़क होकर सिकटी या कुर्साकांटा डहुआबाड़ी तीरा होते हुए सिकटी जाने वाली महत्वपूर्ण सड़क में बकरा नदी के पड़रिया घाट व तीरा घाट पर पुल नहीं बन सका है। हालांकि पड़रिया घाट पर करोड़ों की लागत से पुल बना भी तो 18 जून 2024 को ध्वस्त हो गया। उद्घाटन के पहले ही पुल जमींदोज हो गया है। लेकिन इसके बाद अब तक निर्माण कार्य शुरु नहीं होना अबुझ पहेली बन कर रह गई है। या यूं कहें कि पड़रिया घाट के पुल होकर आवागमन शुरु होना इंतजार का इंताहा हो गई है। खास बात यह है कि सिकटी प्रखंड के दर्जनों गांव टोला जाने का दो महत्वपूर्ण रास्ते हैं। लोग एक तो पड़रिया घाट होकर तो दूसरा तीरा घाट होकर आते जाते हंै। इन दोनों घाट पर छह माह नाव के सहारे तो छह माह चचरी के सहारे आवागमन करना पड़ता है। लोग जान हथेली पर लेकर नदी पर करते हैं। इस होकर आने जाने वाले सैकड़ों लोगों की जिंदगी नाव व चचरी के सहारे पार होना मानो किस्मत बन गई है। बकरा नदी में जलस्तर बढ़ने से तीरा धाट व पड़रिया घाट पर बना चचरी पानी में बहा ले जाती है। इस कारण आवागमन का संकट हो जाता है। इस कारण लोगों में आक्रोश बना हुआ है। शहबाज आलम, मो इब्रान, मो कबीर, कमलेश झा, प्रदीप यादव, विरेन्द्र यादव आदि ने बताया कि तीरा व पड़रिया घाट महत्वपूर्ण घाट में से एक है। इस होकर प्रतिदिन सैंकड़ों पैदल, दर्जनों साइकिल व बाइक जान जोखिम में डाल कर नाव व चचरी होकर पार होते हैं। यही नहीं स्कूल कॉलेज के बच्चे व बच्चियां भी नाव व चचरी होकर आते जाते हैं। महिलायें भी अस्पताल, बैंक, हटिया बाजार इसी नाव व चचरी पर सवार होकर आती जाती है। इस दौरान उनलोगों को भय सताते रहता है कि क्षमता से अधिक यात्रियों से लदी नाव व चचरी कब गहरे पानी में समा जाए, कहा नहीं जा सकता है। कई बार तो नाव बीच नदी में जाकर करवटें लेने लगती है। इससे हमेशा नाव डूबने का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इस घाट पर आधा दर्जन से अधिक लोग डूब कर मर चुके हैं। अगर लोग बरदाहा, सिकटी, सतबेढ़, तीरा, खारदह, आदि गांव सड़क मार्ग से जाने चाहे तो उसे 20 से 25 किलो मीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। यही कारण है कि लोग जान जाखिम में डाल कर कभी चचरी तो कभी नाव की सवारी कर आते जाते हैं। हालांकि पड़रिया घाट पर बन रहे पुल से लोगों की उम्मीद थी कि पुल बनने से लोगों का न केवल नाव से निजात मिलेगा बल्की आवागमन में भी काफी सुविधा होगा। लेकिन अब तक पुल का निर्माण शुरु नहीं होने से आशा निराश में बदल गया। आखिर कब बनेगी पुल, आखिर डूबने से और कितने मौतें होगी, कब रूकेगी और मौतें, कब तक चचरी से मिलेगी मुक्ति आदि कई सवाल हैं जो सिकटी व कुर्साकांटा प्रखंड के लोगों के मन में कौंध रही है। प्रस्तुति: अनिल झा कुर्साकांटा फोटो 11 बकरा के तीरा घाट पर नाव से नदी पार करते ग्रामीण कुर्साकांटा फोटो 12 बकरा नदी के तीरा घाट पर बनी चचरी पुल। फोटो: विजय कुमार मंडल क्या कहते हैं आपदा प्रबंधन मंत्री: बकरा नदी के तीरा घाट पर पक्की पुल निर्माण के लिए कार्य प्रगति पर है। जल्द ही विशेषज्ञों की एक टीम तकनीकी जांच करने तीरा घाट पहुंचने वाली है। स्वीकृत मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया होगी। इसके बाद पुल बनना शुरू हो जाएगा। वहीं पड़रिया घाट पुल का मामला कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट के निर्णय के बाद पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। क्षेत्र के लोगों को नाव व चचरी पुल से निजात मिल जाएगी। -विजय कुमार मंडल आपदा प्रबंधन मंत्री, बिहार सरकार हमारी भी सुनें: फोटो: भुवनेश्वर मंडल तीरा घाट व पड़रिया घाट पर पुल नहीं रहने से लोगों को आवागमन करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लोग जान जोखिम में डालकर छह माह चचरी तो छह माह नाव से आते जाते हैं। खासकर छोटे छोटे बच्चे और बच्चियों जान जोखिम में डालकर स्कूल कॉलेज आते जाते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से दोनों घाट पर पुल बनाने की मांग की है। भुवनेश्वर मंडल, सेवानिवृत शिक्षक फोटो: मनोज मंडल बकरा नदी के पड़रिया घाट पर मंत्री विजय कुमार मंडल के अथक प्रयास से करोड़ों की लागत से पुल निर्माण का काम किया गया था। लेकिन पिछले वर्ष आई बाढ़ में पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया है। सरकार के द्वारा जांच करवा कर ध्वस्त हुए पुल के कारणों का पता लगाया जा रहा है। जांच खत्म होने के बाद निर्माण कार्य शुरु हो जाएगा। मनोज मंडल, मंत्री प्रतिनिधि सिकटी प्रखंड फोटो: प्रकाश कुमार यादव बकरा नदी के तीरा घाट पर वर्षो से पुल निर्माण का मांग की जा रही है। लेकिन जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। नदी में पानी बढ़ने पर चचरी बह जाता है। ऐसे में लोग जान जोखिम में डाल कर नाव से आते जाते हैं। नदी पर पुल नहीं रहने से सड़क के ओचित्य पर भी सवाल उठने लगा है। सरकार से जल्द से जल्द बकरा नदी के तीरा घाट पर पुल बनाने की मांग की है। प्रकाश कुमार यादव, समाजसेवी फोटो: मो शाहवाज आलम कुर्साकांटा से सिकटी प्रखंड के विभिन्न गांव जाने के दो ही महत्वपूर्ण रास्ते हैं। एक तीरा घाट तो दुसरा पड़रिया घाट शामिल है। दोनों घाटों पर पुल नहीं रहने से लोग जान जोखिम में डाल कर कभी चचरी तो कभी नाव पर सवार होकर आते जाते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से दोनों महत्वपूर्ण घाटों पर पुल निर्माण की मांग की है। मो शाहवाज आलम, युवा राजद प्रखंड अध्यक्ष फोटो: परमेश्वर मिश्र बकरा नदी के पड़रिया घाट व तहीरा घाट पुर पुल निर्माण आज की जरुरत है। पुल बनने से आस पास के दो दर्जन से अधिक गांव के 20 हजार आवादी को लाभ मिलेगा। उन्होंने सांसद, विधायक सहित जिले के सभी वरीय पदाधिकारियों से आवागमन सुविधा बहाल करने के लिए पुल निर्माण की मांग की है। परमेश्वर मिश्र, समाजसेवी फोटो: कृष्णदेव मंडल बकरा नदी के पड़रिया घाट पर बना पुल उद्घाटन से पूर्व ही पिछले वर्ष ध्वस्त हो गया है। इससे लोगों को आवागमन करने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। बकरा नदी में पानी बढ़ने पर लोग नाव की सवरी करते हैं। पानी कमते ही चचरी से आवागमन करना पड़ता है। नाव व चचरी से आवागमन करना यहां के लोगों की किस्मत बन गई है। उन्होंने पड़रिया घाट पर पुल बनाकर आवागमन चालू कराने की मांग की है। कृष्णदेव मंडल, किसान फोटो: दिलीप झा बकरा नदी के तीरा घाट व पड़रिया घाट पर पुल नहीं रहने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। चचरी पुल व नाव के कारण कई जिंदगियां मौत के आवागेश में में समा चुकी है। इसके बावजूद भी पुल निर्माण नहीं होना समझ से परे हैं। सांसद व विधायक से तीरा घाट व पड़रिया घाट पर पुल निर्माण की मांग की है। दिलीप झा, सदस्य, रोगी कल्याण समिति फोटो: मो इबरान सड़क पुल पलिया आवागमन को सुलभ बनाती है। लेकिन आजादी के 78 वर्ष बाद भी बकरा नदी के तीरा घाट पर पुल नहीं बनना समझ से परे हैं। पड़रिया घाट पर पुल बना भी तो उद्घाटन के पूर्व ही पिछले वर्ष बाढ़ में ध्वस्त हो गया है। कुर्साकांटा से नदी के उस पार गांव व टोला जाने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मो इबरान, उप मुखिया कुर्साकांटा फोटो: मिथिलेश झा पुल नहीं रहने के कारण क्षेत्र के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर चचरी पुल व नाव के सहारे आवागमन करने को विवश हैं। कई बार नाव व चचरी से पार होने के दौरान दुधर्टना का शिकार हो चुके हैं। पुल निर्माण को लेकर लोगों में गुस्सा है। सरकार से जल्द से जल्द पुल निर्माण की मांग की है। मिथिलेश झा, पैथोलोजिस्ट फोटो: मो शब्बीर बकरा नदी के तीरा व पड़रिया घाट पर पुल नहीं होने से आस पास के गांव के लोगों को जान जोखिम में डाल कर कभी नाव तो कभी चचरी के सहारे आना जाना पड़ता है। या फिर 15 से 20 किलो मिटर अतिरिक्त दूरी तय कर गांव टोला जाना पड़ता है। इस कारण लोगों को काफी परेशानी होती है। मो शब्बीर, दुकानदार फोटो: प्रमोद मंडल बकरा नदी के तीरा घाट व पड़रिया घाट पर पुल नहीं रहने से ग्रामीण, स्कूली बच्चे और मरीज खासकर महिला मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इनलोगों को या तो जान जोखिम में डालकर नाव या चचरी पुल के सहारे पार होना पड़ता है, या फिर 20 से 25 किलो मीटर अतिरिक्त दूरी तय कर आना जाना पड़ता है। प्रमोद मंडल, दुकानदार फोटो: सूरज कुमार चारों तरफ सड़क पुल पुलिया का निर्माण हो रहा है। लेकिन बकरा नदी के तीरा घाट पर अब तक पुल नहीं बन सका है। वर्षो से लोगों के द्वारा नदी में पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। लोगों को मजबूरन अपनी जान जोखिम में डालकर कभी नाव तो कभी चचरी के सहारे आना जाना पड़ता है। सूरज कुमार, दुकानदार
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