पार्किंग का अतिक्रमण करने के साथ खुली दुकानें, लग रहा ठेला
अंचल कार्यालय और नगर परिषद के स्तर से नहीं हो सकी कोई कार्रवाई य में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से भीषण जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। सालों से इस दिशा में कार्रवाई की

औरंगाबाद जिला मुख्यालय में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से भीषण जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है। सालों से इस दिशा में कार्रवाई की मांग हो रही है, लेकिन नगर परिषद और अंचल कार्यालय के स्तर से कोई उचित कदम नहीं उठाया गया। जानकारी के अनुसार जो जगह उपलब्ध भी थी, उसका या तो अतिक्रमण कर लिया गया या पार्किंग की जगह ही समाप्त कर दी गई। रमेश चौक के बगल में परिषद बाजार के समीप पार्किंग के लिए बड़ी जगह उपलब्ध थी। नगर परिषद के द्वारा इसका घेराव कर इसकी बंदोबस्ती की गई और इसे पार्किंग स्थल के रूप में चिन्हित कर दिया गया।
अब इसमें आधे से अधिक गाड़ियां किराए पर टैक्सी चलाने वाले लोगों ने रख ली हैं। शेष जो जगह बची है, उसमें दुकानें खोल दी गई हैं। इसके अलावा कई दुकानदार खाली पड़ी जगह पर सामान रखते हैं। कुल मिलाकर पार्किंग स्थल लगभग समाप्त है। इसी तरह महाकाल मंदिर के बगल में थोड़ी सी जगह उपलब्ध थी। यहां से भी टेंपो का संचालन किया जाता है लेकिन आधे हिस्से में होटल, ठेला सहित अन्य दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है। सर्विस रोड के बगल में यह थोड़ी सी जगह उपलब्ध थी जिससे कि टेंपो का परिचालन होता था। अस्थाई रूप से टेंपो को यहां लगाया जाता था लेकिन यह जगह भी पार्किंग स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सकी। दानी बीघा के समीप बस स्टैंड का जीर्णोद्धार कर उसे आम लोगों के लिए रखा गया था। लेकिन इसे भी निजी हाथों में सौंप दिया गया। अब इसका इस्तेमाल भी स्टैंड के रूप में नहीं होता है। इसमें काफी गाड़ियां लगती थी लेकिन अब सारी गाड़ियां सड़क पर खड़ी हो रही हैं। पटना जाने के लिए यात्री बस और इन जगहों से खुलने वाले टेंपो भी रोड के किनारे ही खड़े हो रहे हैं। इन सब कारणों से आवागमन की समस्या जटिल होती जा रही है। जिला मुख्यालय में कहीं भी पार्किंग के लिए जगह रह रही है तो उसका अतिक्रमण हो जा रहा है। नगर परिषद और अंचल कार्यालय इस मामले में मूक दर्शक बने हुए हैं। नगर परिषद के अधिकारी इसका जिम्मा अंचल कार्यालय पर फेंक देते हैं वहीं अंचल कार्यालय के अधिकारी इसकी जवाबदेही नगर परिषद पर डाल देते हैं। अतिक्रमण हटाने के नाम पर भी खाना पूर्ति कर अधिकारी लौट जाते हैं। कुछ बांस, एक दो ठेला और मामूली फ्लेक्स हटवा कर ही अतिक्रमण हटाओ अभियान की खानापूर्ति की जाती है। इस संबंध में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अजीत कुमार ने बताया कि पार्किंग की जगह उपलब्ध है। अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उपलब्ध जगह का हो गया दुरूपयोग हनुमान मंदिर मोड़ के समीप काफी जगह उपलब्ध थी और इसे रिक्शा स्टैंड के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। सालों पूर्व यहां पर एक प्याउ बनाया गया। जो शेष जगह बची थी, उसका अतिक्रमण हो गया। स्थानीय लोगों ने यहां दुकान खोल दी। प्याउ के पिछले हिस्से में भी अवैध निर्माण कर दिया गया है। एक बार यहां बगल में ही बाजार में आग लग गई थी जिसका मलबा यहां पड़ा हुआ है। प्याउ के पिछले हिस्से में अवैध रूप से ढलाई कर दी गई है। जो जगह खाली पड़ी है, उसका भी अतिक्रमण हो रहा है। धर्मशाला मोड़ के आगे बाएं हिस्से में कुछ जगह खाली पड़ी थी जहां लोग गाड़ियां लगाते थे। अब यहां भी दुकानें खुल गई हैं। प्रियव्रत पथ में सड़क के एक और काफी जगह उपलब्ध होती थी और लोग यहां गाडियां लगाते थे। बाद में यहां फल विक्रेताओं को जगह देने की बात कही गई। स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो इस निर्णय पर रोक लग गई। इसके बाद यहां पार्क निर्माण की कार्रवाई शुरू हुई। आधा अधूरा काम कर कर इस जगह को भी बर्बाद कर दिया गया। अब यहां ना तो गाड़ियां लगती हैं और ना ही यहां पार्क बन सका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन पार्किंग के लिए जगह उपलब्ध कराए ताकि गाड़ियों की पार्किंग आसानी से हो सके।
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