नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में 20 साल कैद की सजा- लीड
एक साल के अंदर सुनवाई कर सुनाई गई सजा, वैज्ञानिक अनुसंधान से सजा दिलाने में मिली सफलतायुक्त को सजा सुनाई है। पॉक्सो के स्पेशल पीपी शिवलाल मेहता ने बताया कि अभियुक्त कुटुंबा थाना के अनकुपा गांव निवासी...

नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म के आरोपित को सोमवार को न्यायालय ने 20 साल कैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही पीड़िता को तीन लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में स्पेशल पॉक्सो जज लक्ष्मीकांत मिश्रा ने नवीनगर थाना कांड संख्या-47/24 में सजा के बिन्दु पर सुनवाई करते हुए जेल में बंद अभियुक्त को सजा सुनाई है। पॉक्सो के स्पेशल पीपी शिवलाल मेहता ने बताया कि अभियुक्त कुटुंबा थाना के अनकुपा गांव निवासी योगेन्द्र पासवान को भादंवि धारा 323 में एक साल की सजा और एक हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। भादंवि धारा 342 में एक साल की सजा और एक हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है।
भादंवि धारा 363 में पांच साल की सजा और 20 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। भादंवि धारा 376(3) एवं पॉक्सो एक्ट की धारा (4) 2 में 20 साल की सजा और 30 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। अभियुक्त को 29 मई को दोषी करार दिया गया था। अभियोजन की ओर से नौ लोगों की गवाही कराई गई थी। स्पेशल पीपी शिवलाल मेहता ने बताया कि नाबालिग लड़की अपने स्कूल के वार्षिकोत्सव में गई थी। पुरस्कार के लिए वह क्रार्यक्रम के बाद तक विद्यालय में रूकी हुई थी। जब पुरस्कार मिलने में देर होने लगी तो वह अकेले ही घर के लिए निकल गई। रास्ते में योगेन्द्र पासवान ने उसे रोक लिया और लिफ्ट देने की बात कही। पीड़िता की सहेली के पिता का नाम लेकर उसे झांसे में लिया और फिर उसे लेकर टंडवा के रास्ते हरिहरगंज ले जाकर एक कमरे में दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने खोज बीन की। दहशत में आकर अभियुक्त ने पीड़िता को शिवपुर मोड़ पर छोड़ दिया और भाग निकला। पुलिस ने पीड़िता की निशानदेही पर हरिहरगंज के ज्वेलरी शॉप में सीसीटीवी फुटेज देखा जिसमें ज्वेलरी शॉप के मालिक ने अभियुक्त की पहचान की। अभियुक्त इस घटना के बाद शराब मामले में जेल चला गया था। अभियुक्त को 10 मई 2024 को इस केस में हिरासत में लिया गया था। अभियुक्त का टीआईपी परेड कर पीड़िता द्वारा पहचान कराई गई थी। अभियोजन द्वारा इस वाद में मेडिकल रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट, डीएनए टेस्ट और वैज्ञानिक तरीके से जांच कराई गई थी। अभियुक्त पर आरोप गठन 13 सितंबर 2024 को हुआ था। बताया कि पीड़िता को तीन लाख रुपए का मुआवजा जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से मिलेगा। ------------------------------------------------------------------------------------------------------- विधवा महिला की हत्या में मां और बेटा को सश्रम उम्र कैद औरंगाबाद, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। विधवा महिला की सिर काट कर हत्या करने के मामले में अदालत ने आरोपित मां और बेटा को सोमवार को उम्र कैद की सजा सुनाई। औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय में जिला जज-7 न्यायाधीश निशित दयाल ने गोह थाना कांड संख्या-178/22 में सजा के बिन्दु पर सुनवाई करते हुए अभियुक्त मां और बेटा को सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई है। एपीपी सत्येन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि अभियुक्त गोह थाना के सोहलपुरा गांव निवासी कौशल कुमार और चंद्रमणी देवी को भादंवि धारा 302 में सश्रम उम्रकैद, 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना नहीं देने पर एक साल का साधारण कारावास और भादंवि धारा-201 में सश्रम पांच साल कैद की सजा और पांच हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना नहीं देने पर छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास होगा। दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। दोनों अभियुक्तों ने जेल में 2 वर्ष 11 माह 10 दिन बिताए हैं। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि मृतका विधवा रफीगंज के चरकावां गांव की रहने वाली थी। उक्त महिला से कौशल कुमार का नाजायज संबंध था जिसके कारण विधवा औरत गर्भवती हो गई थी। जब वह कौशल कुमार पर शादी का दबाव बना रही थी तो कौशल और उसकी मां ने मिलकर उसके दो बच्चों की गैरमौजूदगी में तेज धार हथियार से सिर धड़ से अलग कर दो अलग-अलग स्थानों पर छुपा दिया था। 21 जून 2022 को चौकीदार ने मुजहाड़ा बधार पर एक औरत का सिर कटा शव बरामद किया। दोनों बच्चे मां को खोज रहे थे तो चौकीदार ने बच्चों को शव और साड़ी दिखलाई तो बच्चों ने अपने मां के शव होने की पुष्टि की। बच्चों के बयान पर दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। बच्चों की निशानदेही पर शव का सिर भी बरामद किया गया था। सिर और धड़ की तस्वीर, एफएसएल रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मृत्यु समीक्षा प्रतिवेदन और जब्त गंडासी प्रदर्श के रूप में रखा गया था। अनुसंधानकर्ता शमीम अहमद ने घटना के संबंध में विस्तार से गवाही दी थी। अभियुक्तों को 24 मई को दोषी ठहराया गया था। बिहार पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2014 के प्रावधानों के अंतर्गत जिला विधिक सेवा प्राधिकार बच्चों के लिए क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करेगी।
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