Local Residents Struggle with Garbage and Stench Near Batre River Bridge in Amba अंबा में कचरे के दुर्गंध से लोगों का जीना दुश्वार, Aurangabad Hindi News - Hindustan
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अंबा में कचरे के दुर्गंध से लोगों का जीना दुश्वार

बीमारी का खतरा बढ़ा, लोगों ने की नदी की सफाई, अभी तक नहीं हो सका है वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण

Newswrap हिन्दुस्तान, औरंगाबादSat, 31 May 2025 12:30 AM
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अंबा में कचरे के दुर्गंध से लोगों का जीना दुश्वार

अंबा में बतरे नदी पुल के समीप कचरे के ढेर और उससे उठती तीव्र दुर्गंध ने स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। आस-पास के घनी आबादी वाले आवासीय परिसरों में रहने वाले लोग इस समस्या से परेशान हैं और बीमारियों के फैलने की आशंका से चिंतित हैं। हाल के दिनों में बारिश के कारण कचरा गलने लगा है, जिससे दुर्गंध और भी असहनीय हो गई है। बतरे नदी के दोनों किनारों पर कचरे का विशाल ढेर जमा हो गया है। अंबा बाजार का सारा कचरा यहीं फेंका जाता है, जिसके कारण नदी किनारे कचरे का पहाड़ बन गया है।

बारिश के बाद कचरे के सड़ने से उत्पन्न दुर्गंध इतनी तेज है कि लोग नाक बंद करके नदी पुल को पार करने को मजबूर हैं। स्थानीय निवासी अजीत कुमार पांडेय कहते हैं कि इस दुर्गंध के कारण रात में खिड़कियां खोलना मुश्किल हो गया है। बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। आस-पास के आवासीय परिसरों में रहने वाले लोग इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं। वे बताते हैं कि कचरे के कारण मक्खियां और मच्छरों की संख्या बढ़ गई है, जिससे डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा मंडरा रहा है। प्रखंड स्वच्छता समन्वयक दिनेश कुमार ने बताया कि अंबा पंचायत में कचरा प्रबंधन के लिए अभी तक डब्लूपीयू (वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट) का निर्माण नहीं हो सका है, क्योंकि यह परियोजना विवादों में फंसी हुई है। उन्होंने कहा कि कचरा प्रबंधन के लिए उनके पास अलग से कोई बजट नहीं है। इस समस्या के समाधान के लिए पंचायत के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। नदी स्वच्छता योजना की अनदेखी अंबा से होकर बहने वाली बतरे और बटाने नदियां कचरे के ढेर में तब्दील हो चुकी हैं। केंद्र और राज्य सरकार की नदियों को स्वच्छ करने की योजनाएं इस क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाई हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इन बरसाती नदियों में पानी का प्रवाह भी कम हो गया है, जिसके चलते कचरा प्राकृतिक रूप से बहकर साफ नहीं हो पाता। स्थानीय दीनानाथ वर्मा कहते हैं नदी कचरे का गड्ढा बन गई है। बरसात में बाढ़ आने पर ही कचरा थोड़ा-बहुत साफ होता है लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।

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