Development of Buddhist Circuit to Boost Tourism and Employment in West Champaran बौद्ध सर्किट का विकास हो तो जिले में बढ़ेंगे पर्यटन, रोजगार के अवसर, Bagaha Hindi News - Hindustan
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बौद्ध सर्किट का विकास हो तो जिले में बढ़ेंगे पर्यटन, रोजगार के अवसर

पश्चिम चंपारण जिले को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की आवश्यकता है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों का विकास होना चाहिए, जिससे सांस्कृतिक पहचान मजबूत...

Newswrap हिन्दुस्तान, बगहाThu, 22 May 2025 09:05 PM
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बौद्ध सर्किट का विकास हो तो जिले में बढ़ेंगे पर्यटन, रोजगार के अवसर

 

बौद्ध सर्किट का विकास हो तो जिले में बढ़ेंगे पर्यटन, रोजगार के अवसरपश्चिम चंपारण जिले को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की कवायद तेज होनी चाहिए। जिले को बौद्ध सर्किट से जुड़ने पर पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। जिले में भगवान बुद्ध की यादों से जुड़े लौरिया व नंदनगढ़ को बौद्ध सर्किट से सीधे जुड़ जाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। बौद्ध धर्म से जुड़ी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बल मिलेगा लेकिन जिस गति से बौद्ध सर्किट का विकास होना चाहिए, उस गति से बौद्ध सर्किट का विकास नहीं हो रहा है। इससे भगवान बुद्ध के अनुयायी अपने आप को उपेक्षित समझ रहे हैं।

तुलसी राम, नरेश राम, जितेंद्र राम, गौरीशंकर राम, योगेंद्र राम, उपेंद्र राम, सिकंदर राम आदि ने बताया कि भगवान बुद्ध के नाम पर स्कूल और कॉलेजों का नामांकरण होना चाहिए। पश्चिम चंपारण जिले के आधा दर्जन ऐतिहासिक स्थल भगवान बुद्ध की यादों से जुड़े हैं। रवींद्र सिंह बौद्ध व उपेंद्र राम ने कहा कि जिले में डोलबाग का विकास पार्क के रूप में किया जाना चाहिए। इस पार्क का नामाकरण भगवान बुद्ध के नाम पर होना चाहिए। भगवान बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का विकास होना चाहिए, जो अभी तक कागजों अटका है। बौद्ध सर्किट भारत में एक महत्वपूर्ण पर्यटन मार्ग है, जो भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों को जोड़ता है। जिले को बौद्ध सर्किट से जोड़ने पर बौद्ध धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बनेगा। फिलहाल प्रतिवर्ष 50 हजार से ज्यादा भगवान बुद्ध के अनुयायी जिले में विभिन्न देशों से आते हैं। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी, ज्ञान प्राप्ति का स्थान बोधगया,भगवान बुद्ध का पहला प्रवचन स्थल सारनाथ, भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर,भगवान बुद्ध के प्रवचनों का स्थल राजगीर और नालंदा का जुड़ाव पश्चिम चंपारण से होना चाहिए, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थल है। इससे जिले में पर्यटन और आर्थिक विकास के अवसर पैदा होंगे। बौद्ध सर्किट से जुड़ने से पश्चिम चंपारण जिले का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बढ़ेगा। बौद्ध सर्किट की यात्रा करने से भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं के बारे में हर कोई जान सकते हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के साथ जुड़ सकते हैं। बौद्ध सर्किट का विकास होने से सड़कों का जाल बिछेगा। नए-नए मॉल, होटल और रेस्टोरेंट खुलेंगे। इससे जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन कोे बढ़ावा मिलने से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। रोजगार का सृजन होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसके लिए एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बेतिया में बनना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने से दूसरे देशों के बौद्ध धर्म के अनुयायियों का आवागमन सुलभ होगा। बौद्ध अनुयायी सिकंदर राम, जितेंद्र राम ने कहा कि बौद्ध सर्किट को सड़क व हवाई मार्ग के साथ रेल मार्ग से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नगर के डोलबाग को भगवान बुद्ध के नाम पर पार्क बनाने की योजना लगभग 20 वर्ष पहले बनी थी। लेकिन अभी तक इसका विकास नहीं हो सका है। इनलोगों ने सरकार व जिला प्रशासन से मांग की है कि बौद्ध स्थलों के विकास की दिशा में उचित कदम उठाया जाना चाहिये।

 प्रस्तुति -श्रीकांत तिवारी/ शत्रुघ्न शर्मा

बौद्ध धर्म के इतिहास में जिले का महत्वपूर्ण स्थान

पश्चिम चंपारण बिहार का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है जो बौद्ध धर्म के इतिहास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रवींद्र सिंह बौद्ध ने बताया कि आज हमें इस महत्वपूर्ण भूमिका को सजा कर रखने की जरूरत है। पश्चिम चंपारण में लौरिया, नंदनगढ़, सोमेश्वर, सहोदर ऐसी तमाम प्राचीन बौद्ध स्थल हैं।जो भगवान बुद्ध के समय से जुड़े हुए हैं। जो बौद्ध तीर्थ स्थलों के रूप में माना जाता है। जहां भगवान बुद्ध ने प्रवचन दिए थे। चंपारण में कई पुरातात्विक स्थल हैं, जो बौद्ध धर्म के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। जिसमें केसरिया स्तूप एक प्राचीन बौद्ध स्तूप है, जो भगवान बुद्ध के अवशेषों पर बनाया गया था। केसरिया के साथ लौरिया स्तंभ भी भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ है। चंपारण में कई अन्य बौद्ध स्थल हैं, जो भगवान बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं से जुड़े हुए हैं।ऐसे में यहां भगवान बुद्ध के जानकारी रखने के लिए संग्रहालय का निर्माण होना चाहिए। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भगवान बुद्ध के विचारों, उनके त्याग और उपदेशों का अनुसरण कर सकें। डॉ प्रेम ने कहा कि पूरे विश्व में जो स्थिति है, उसका एकमात्र निदान भगवान बुद्ध के उपदेशों के अमल से दूर हो सकती है। उन्होंने कहा था की दुख है, दुख का कारण है,दुख का नाश हो सकता है,दुख के नाश का मार्ग है। हमें सही दृष्टि, सही संकल्प, सही वाणी, सही कर्म सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति का अनुसरण करने की जरूरत है।

18 करोड़ की लागत से लौरिया-नरकटियागंज पथ के 3 किलोमीटर आगे से नंदनगढ़ बौद्ध स्तूप जाने वाली पथ का चौड़ीकरण व समतलीकरण का कार्य केंद्रीय रिजर्व फंड से कराने के लिए स्वीकृति में भेजा गया है। स्वीकृति आदेश मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया जारी होगी। इससे नंदनगढ़ बौद्ध स्तूप आने जाने वाले पर्यटकों को फायदा होगा। बेहतर सड़क से पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

 -ई.वीरेंद्र कुमार चौधरी, कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग

पश्चिम चंपारण जिले में पर्यटन के क्षेत्र में विकास की असीम संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क संपर्क योजना से छूटे टोलों को बारहमासी सड़कों से जोड़ने की योजना पर कार्य चल रहा है। 122 करोड़ की लागत से 50 से ज्यादा नई सड़कों का निर्माण कराने का टेंडर जारी हुआ है। सभी ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को ग्रामीण सड़कों से जोड़ा गया है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 

-संजय कुमार, सहायक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग 

सुझाव

 1. पश्चिम चंपारण जिले के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए बौद्ध सर्किट से जोड़ने की जरूरत है।

 2. भगवान बुद्ध से जुड़े सभी स्थलों को सड़क, रेल और हवाई मार्ग से जोड़ा जाना चाहिए। इससे काफी फायदा होगा। 

3. भगवान बुद्ध के नाम पर नगर के डोलबाग में पार्क का निर्माण होना चाहिए। इससे नयी पीढ़ी को जोड़ने में मदद मिलेगी। 

4. भगवान बुद्ध की यादों को ताजा करने के लिए जिले में बौद्ध संग्रहालय का निर्माण होना चाहिए।

 5. बौद्ध सर्किट से पश्चिम चंपारण का जुड़ाव होने से जिले का सामाजिक-आर्थिक विकास हो सकेगा। 

शिकायतें 

1. डोलबाग को भगवान बुद्ध के नाम पर पार्क बनाने की योजना 20 वर्ष पहले पारित हुई थी। यह कागजों में ही रह गई है।

 2. जिले का बौद्ध धर्म में विशेष उल्लेख है। इसके बावजूद भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों का विकास नहीं हो सका है। 

3. प्रतिवर्ष 50 हजार से ज्यादा बौद्ध धर्म की अनुयायी देश-विदेश से आते हैं। उनके ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। 

4. पश्चिम चंपारण जिले को बौद्ध सर्किट से जोड़ने की कवायद ठंडे बस्ते में अभी तक है। 

5. भगवान बुद्ध से जुड़ी यादों के लिए संग्रहालय का निर्माण जिले में नहीं हुआ है। ऐसा होने से नयी पीढ़ी को लाभ होगा।

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