Health Department in Banka District Faces Severe Staff Shortage प्रभार की बैसाखी के सहारे चल रहा बांका में स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टरों की घोर किल्लत से होती है परेशानी, Banka Hindi News - Hindustan
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प्रभार की बैसाखी के सहारे चल रहा बांका में स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टरों की घोर किल्लत से होती है परेशानी

पेज चार की लीडपेज चार की लीड वर्षो से कई महत्वपूर्ण पद हैं रिक्त,जिससे कई काम हो रहे प्रभावित। बांका,निज संवाददाता। जिले में स्वास्थ्य विभाग की

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाMon, 2 June 2025 04:58 AM
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प्रभार की बैसाखी के सहारे चल रहा बांका में स्वास्थ्य विभाग, डॉक्टरों की घोर किल्लत से होती है परेशानी

बांका,निज संवाददाता। जिले में स्वास्थ्य विभाग की दयनीय स्थिति बनी हुई है। वर्षों से यहां कई महत्वपूर्ण पद खाली हैं। जिसे भरने के लिए अबतक कोई विभागीय पहल नहीं की जा रही है। हालांकि कागजी खानापूर्ति के मामले में विभाग हमेशा से अव्वल रहा है। प्रदेश रैंकिंग में हमेशा नंबर वन और टू पर बने रहने वाला जिला अस्पताल विगत चार सालों से बिना सुप्रीटेंडेंट के चल रहा है। ऐसे में अस्पताल अधीक्षक का पद रिक्त रहने पर उनकी जगह उनका दायित्व प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक डॉ लक्ष्मण पंडित निभा रहे हैं। कोई भी वित्तीय अधिकार और अधीनस्थ कर्मियों को छुट्टी देने, वेतन रोकने जैसे अधिकार नहीं रहने से वे भी बेबस और लाचार नजर आते हैं।

जिले के सिविल सर्जन कार्यालय में भी सात महत्वपूर्ण पद लंबे समय से रिक्त पड़ा हुआ है। पिछले दो साल से एसीएमओ का पद खाली रहने से स्वास्थ्य विभाग के कई कार्यक्रम का संचालन में दिक्कतें आती हैं, जबकि सीडीओ यानि संचारी रोग पदाधिकारी का भी पद खाली पड़ा हुआ है और एनसीडीओ यानी गैर संचारी रोग पदाधिकारी का भी पद प्रभार में डॉ विजय कुमार संभाल रहे हैं। लंबे समय से डीवीबीओ यानी जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी का भी पद रिक्त पड़ा हुआ है। वहीं पिछले चार महीने पूर्व डीआईओ यानी जिला टीकाकरण पदाधिकारी डॉ योगेंद्र मंडल का प्रमोशन पटना के अस्पताल में सुप्रीटेंडेंट के पद पर हो जाने के बाद जिला टीकाकरण पदाधिकारी का भी पद प्रभार में ही चल रहा है। नंबर वन पर बने रहने वाले जिले के सदर अस्पताल में संसाधनों के साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर में भी शानदार तरीके से भौतिक सुविधाओं का विकास हुआ है लेकिन डॉक्टरों की घोर कमी के कारण रोगियों का उपचार नहीं हो पा रहा है। नतीजतन उन्हें मामूली से बात में भी प्राथमिक उपचार के बाद मायागंज भागलपुर रेफर कर दिया जाता है। यहां स्थाई तौर पर मात्र एक स्त्री प्रसूता रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हैं, हालांकि यहां चार स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की तैनाती की गई है लेकिन उनमें से तीन चिकित्सक अभी स्टडी लीव पर गए हुए हैं। डॉक्टर नहीं रहने पर हाल ही में डेप्युटेशन पर फुल्लीडुमर से डॉ प्रीति सिंह और बाराहाट से डॉ रश्मि सीमा कुमारी को प्रतिनियुक्त किया गया है। जिसके बाद प्रखंड अस्पतालों में भी डाक्टरों की घोर कमी हो गई है। सदर अस्पताल में एक भी चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं,जबकि आर्थोपेडिक सर्जन यानि हड्डी रोग विशेषज्ञ के एक डॉक्टर मयंक की हाल में ही तैनाती हुई है। वहीं सदर के एसएनसीयू में मात्र तीन शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात हैं कुमार अमीश और डॉ वरिषा हमाम,डॉ बालकृष्ण चौधरी। डॉक्टर वारिशा हमाम फिलहाल पीजी के बाद तीन साल के बॉन्ड ड्यूटी पर कार्यरत हैं और अपने बेहतर कार्यशैली से जिलाधिकारी से पुरस्कृत भी हो चुकी हैं। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब जिले के प्रमुख सदर अस्पताल ,बांका में डॉक्टरों की घोर किल्लत है तो अन्य प्रखंडों में संचालित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का हाल होगा। सीएस डा. अनिता कुमारी ने बताया कि लंबे समय से सुप्रीटेंडेंट और एसीएमओ समेत कई पद खाली हैं,जिससे एक ही आदमी पर काम का बोझ लगातार बढ़ते जाता है साथ ही कई प्रोग्राम के क्रियान्वयन और संचालन में भी दिक्कतें आती हैं। इन पदों की रिक्ति भरने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग, पटना के स्थापना शाखा की है। इसलिए इसपर विभागीय वरीय अधिकारियों को ही निर्णय लेने का अधिकार है।

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