पेयजल की व्यवस्था को लेकर पीएचईडी विभाग का कार्य प्रगति पर
श्रावणी मेला को 23 दिन शेषश्रावणी मेला को 23 दिन शेष पुराने चापाकलों की मरम्मत का कार्य जारी कई जगहों पर नए चापाकल की जरूरत कटोरिया (बांका) नि

कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला को शुरू होने में महज 23 दिन का समय बचा है। जिला के वरीय पदाधिकारियों द्वारा लगातार कांवरिया पथ का निरीक्षण किया जा रहा है। वहीं सारी तैयारी पर डीएम नवदीप शुक्ला खुद नजर रखे हुए हैं। मेले में किस तरह से कांवरियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई जाए, इसके लिए जिले में बैठकों का दौर जारी है। मेले से संबंधित सभी विभाग को टास्क बांट दिया गया है। सभी को मेला प्रारंभ होने से पूर्व अपने काम को निपटा लेने का निर्देश दिया गया है। साथ ही सिर्फ खानापूर्ति नहीं बल्कि एक महीने तक चलने वाली इस मेले के दौरान सारी व्यवस्था को एकरूप बनाए रखने की बात कही गई है।
लेकिन कुछ विभाग ऐसे भी हैं जिनकी तैयारी धीमी गति से चल रही है। तो किसी विभाग की कुंभकर्णी नींद नहीं टूटी है। पथ में पीएचईडी विभाग का काम होता दिख रहा है। पथ में लगे आधे से ज्यादा चापाकलों खराब हो चुकी है। जिनकी मरम्मत का कार्य जारी है। हालांकि अभी कांवरिया पथ से सटे नल जल योजना के कनेक्शन को दुरुस्त करना शुरू नहीं हुआ है। वहीं विभाग को पथ के सभी चापाकलों को दुरुस्त करने के अलावा पथ में आवश्कता अनुसार नए चापाकल गड़वाना भी है। बता दें कि श्रावणी मेले में चलनी वाली यात्रा का सबसे ज्यादा हिस्सा बांका जिला में पड़ता है। जिले में पड़ने वाले 54 किमी पथ में शिव भक्तों को कोई कष्ट ना हो इसके लिए युद्धस्तर से तैयारी करनी होगी। कई विभाग की लेटलतीफी बन सकती है परेशानी का कारण यात्रा के दौरान कांवरियों को सबसे आराम पथ की सुगमता देती है। जिसको लेकर प्रशासन को पथ में महीन बालू सुसज्जित करवानी होगी। समय कम रहने से बालू बिछाने के कार्य को युद्धस्तर पर करने की जरूरत है। लेकिन इसमें कमी देखी जा रही है। जबकि बालू बिछाने से पूर्व कई जगहों पर समतलीकरण का कार्य जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो पथ जल्द ही पुनः गड्ढे में तब्दील हो जाएगा। वहीं पथ में अब तक साफ-सफाई का काम रफ्तार नहीं पकड़ सका है। हर जगह पथ के अलग बगल गंदगी देखने को मिल रही है। कई जगहों पर कूड़े का डंपिंग जोन बना हुआ है। कांवरिया पथ के सभी सबवे (बाईपास पुलिया) कूड़े का भंडार लगा हुआ है। जिसमें मिट्टी, झूठे पत्तल-ग्लास, प्लास्टिक के अलावा शीशे की परत जमी हुई है। कई जगहों पर नए चापाकल की जरूरत कांवरिया पथ एवं उससे समांतर मुख्य मार्ग को मिलाकर में 600 से अधिक सरकारी चापाकल है। लेकिन कई जगहों पर जहां थोड़ी से दूरी पर ही एक से अधिक चापाकल अवस्थित है। वहीं कुछ जगह ऐसे भी जहां लगभग एक किलोमीटर तक एक भी चापाकल की व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे जगहों पर बंद बोतल पानी खरीदकर पीना कांवरियों की मज़बूरी होती है। विभाग को इन जगहों को चिन्हित कर पेयजल की व्यवस्था करनी होगी।
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