रेलवे किनारे गड्ढे के भरोसे चल रही नगर निगम की जलनिकासी व्यवस्था
402.41 करोड़ रुपये का डीपीआर बनाकर भेजा गया है नगर विकास एंव आवास विभाग मार, शंभु कुमार, अमरेन्द्र कुमार, दिलीप सिन्हा, डॉ. धीरज शांडिल्य, अशोक कुमार सिंह अमर, कृष्णा सिंह व राजीव रं

बेगूसराय, निज प्रतिनिधि। नगर निगम क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रवासियों क़ो जलजामाव से इस साल भी मुक्ति मिलना संभव होता नहीं दिखाई दे रहा है। जलजामाव से मुक्ति दिलाने के लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी लोगों क़ो हर साल जलजामाव व गन्दा पानी से होने वाली समस्यायों से जूझना पड़ रहा है। निगम प्रशासन स्तर से जलनिकासी के लिए सालोंभर नालों की सफाई से लेकर उड़ाही कराई जाती है। उसके बाद भी लोगों क़ो सहूलियत के बदले परेशानी होती रहती है। विडंबना यह कि हर साल मोटी रकम खर्च करने के बावजूद नगर निगम की जलनिकासी व्यवस्था रेलवे किनारे गड्ढे के भरोसे चल रही है।
बताया जाता है कि जलजमाव के कारण निगम क्षेत्र हर साल डेंगू की चपेट में आ रहा है। हर साल सैकड़ों लोग डेंगू बीमारी पीड़ित हो रहे हैं। हर साल दर्जनों लोगों की जान भी जा रही है। अब जाकर मुख्य पार्षद पिंकी देवी ने निगम प्रशासन के साथ मिलकर जल निकासी के कारगर व ठोस उपाय ढूंढ़ लिया है। स्ट्रोम वॉटर ड्रेनेज योजना की 402. 31 करोड़ की प्राककलित राशि का डीपीआर बनाकर नगर आवास एवं विकास विभाग को भेज कर स्वीकृति दिलाने की गुहार लगायी है। तीन ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन का प्रावधान भेजे गये डीपीआर के अनुसार पूरे 45 वार्डों में 333 किलोमीटर में चार प्रकार के नाले बनाए जाएंगे। मुख्य नाला चार बाई चार फीट चौड़ा होगा। उसके बाद तीन बाय तीन, दो बाय दो व एक बाय एक फीट चौड़ा नाला होगा। डीपीआर के अनुसार निगम क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र से गंदा पानी को बाहर फेंकने के लिए निगम क्षेत्र में तीन डीपीएस ( ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन) का निर्माण होना है। रेलवे लाइन के उत्तर एक व दक्षिण में दो डीपीएस बनेगा। ड्रेनेज सिस्टम बनाने की जिम्मेदारी बुडको को मिला है। कहते हैं पार्षद व गणमान्य मच्छर से बचाव के लिए है हमेशा फॉगिंग करायी जाती है। डेंगू से बचाव के लिए. एंटी लार्वा की दवा भरपूर स्टॉक में है। बराबर छिड़काव भी कराया जाता है। आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-दो के तहत स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज नाला निर्माण के लिए 402.41 करोड़ रुपये की प्राक्क्लित राशि से डीपीआर बनाकर भेजा गया है। इसकी स्वीकृति मिलने के बाद जलजमाव की समस्या से शहरवासियों को मुक्ति मिलेगी। पिंकी देवी, मुख्य पार्षद नगर निगम क्षेत्र में जलजमाव की स्थिति बेहतर नहीं है। सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जल्द शुरू हो तो शहरवासियों को इसका कुछ लाभ मिलेगा। मुख्य पार्षद पिंकी देवी के द्वारा आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय योजना के तहत स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज नाला निर्माण के लिए 402.41 करोड़ की राशि से डीपीआर बनाकर नगर विकास एवं आवास विभाग को भेजा गया है। इस डीपीआर की जल्द स्वीकृति के लिए विधानसभा में प्रमुखता से मुद्दा उठाया जाएगा। राजकुमार सिंह, विधायक मटिहानी, विधानसभा-सह-सचेतक शहर में जलजमाव एक बड़ी समस्या है। बरसात में मोहल्लों में जलजमाव होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जलजमाव मच्छरों के प्रजनन के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है जिससे मलेरिया, डेंगू और अन्य जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. अरविंद कुमार, निदेशक सिटी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल. शहर में काम क़र रही एजेंसी का आपस में समन्वय नहीं है। जलनिकासी के लिए बनाये गये नाला का जाम होना, कहीं- कहीं रोड और नाला की ऊंचाई में अंतर है। शहर से बाहर जल निकासी का कोई ठोस प्रावधान नहीं है। शहर के अंदर और एनएच के पास जलनिकासी के लिए बनाये गए नाले को अतिक्रमणमुक्त कराने की जरूरत है। शम्भू कुमार, व्यवसायी सह समाजिक कार्यकर्त्ता नगरपालिका से नगर निगम तक के सफर में कम्पलीट ड्रेनेज आउटलेट सिस्टम के लिए न कभी रोडमैप बना और न ही पहल हुई। सभी वार्ड अपने अपने हाइट के नाले बनाकर बैठे हैं। उनकी इनर कनेक्टिविटी के आधार पर अंतिम जलनिकासी कहां होगी, इसका पता नहीं है। बेगूसराय को दीर्घकालिक जल निकासी की मुकम्मल व्यवस्था के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को बुलाकर शहर के मोहल्लों के नालों की ऊंचाई तथा जल निकासी की एक बड़ी योजना बनानी होगी। अमरेन्द्र कुमार अमर, भाजपा नेता-सह-अधिवक्ता निगम क्षेत्र में जल निकासी सबसे बड़ी समस्या है। पिछले साल डेंगू के कारण दर्जनों लोगों को जान गंवानी पड़ी। एनएच-31 किनारे बने नाला का खुला ढक्कन, नाला का नहीं होना, जलजमाव एक बड़ी समस्या और बीमारी का कारण है। बरसात के पूर्व जलनिकासी की स्थाई व्यवस्था की जाए। दिलीप सिन्हा, अध्यक्ष,जिला स्वयंसेवी महासंघ, बेगूसराय नगर निगम बनने के बाद निगम क्षेत्र का तेजी से शहरीकरण हुआ। बिना टाउन प्लानिंग के ही जैसे- तैसे जमीन खरीदकर घर बनाते गये। उसके बाद नया बसाबट वाला मोहल्ला बनकर तैयार हो गया। वार्ड पार्षद से मिलकर लोग अपनी सुविधा के अनुसार नाला बनवा लिए। इस नाले के लिए न तो आउटलेट बनाया गया न ही लेवल का ध्यान रखा गया। नाले से पानी का बहाव नहीं होने से नाले में जमा रह जाता है। अशोक कुमार सिंह अमर, निदेशक आर्यभट्ट जलनिककासी के नाम पर नगर निगम रेलवे के गड्ढे के भरोसे है जबकि जलनिकासी के नाम पर हर साल निगम के करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। लेकिन, शहरी क्षेत्र के पानी के निकासी से लेकर स्टोर करने की व्यवस्था नहीं है। भाग्य मनाइये रेलवे पर कि गड्ढे से होकर पानी बहने दे रहा है। यदि बिहार सरकार नहीं संभली व रेलवे ने अपने गड्ढे से पानी बहाव को रोक दिया तो बेगूसराय को डूबने से कोई रोक नहीं सकता है। कृष्णा सिंह, पनहास शहरी क्षेत्र के गंदे पानी की निकासी से लेकर स्टोर करने की व्यवस्था नहीं है। बिना प्लानिंग के हर वार्ड में नाले में तो बनाये गये लेकिन आउाटलेट नहीं बनाया गया। मुख्य नाला का भी आउटलेट नहीं है। मुख्य नाला से शहरी क्षेत्र का नाला नीचे होने की वजह से शहरी क्षेत्र सभी गंदा पानी मुख्य नाला में नहीं पहुंच पाता है। राजीव रंजन, पार्षद वार्ड-24 जल ही जीवन है लेकिन यह तभी सच होगा जब यह जल स्वच्छ हो। नल का पानी हर घर में पीया जाता है लेकिन जानकारी के अभाव में यह कई बीमारियों का जोखिम भी बढ़ा सकता है। आमतौर पर नल के पानी में बैक्टीरिया, वायरस, हेवी मेटल और केमिकल्स हो सकते हैं जो लोगों को बीमार बनाता है। डॉ. धीरज शांडिल्य, एलेक्सिया हॉस्पिटल
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