जलवायु परिवर्तन से कृषि व्यवस्था प्रभावित
मंझौल में जेठ की गर्मी और बारिश से किसानों की गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। सूखा मौसम की जरूरत के बावजूद बार-बार बारिश ने फसल को नुकसान पहुँचाया है। मिट्टी के कारण गेहूं का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है...

मंझौल, एक संवाददाता। जेठ महीना के चिलचिलाती धूप एवं भीषण गर्मी से जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। वहीं किसानों के अनुसार गेहूं कटनी के समय सूखा मौसम एवं तेज धूप की जरूरत होती है लेकिन बार-बार बारिश होने से गेहूं की तैयार फसल काफी मात्रा में बर्बाद हुई। विपरीत मौसम का किसानों को भुगतना पड़ रहा है। बार-बार आंधी बारिश के कारण गेहूं की फसल गिरकर बर्बाद हो गई तथा मजदूरों से गेहूं की फसल की कटनी करने में काफी खर्च आया। गेहूं में मिट्टी चले जाने के कारण गेहूं का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। गेहूं के गुणवत्ता में काफी कमी आ गई तथा भूसा भी सड़ गया।
जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर कृषि व्यवस्था पर पड़ रहा है। प्रतिवर्ष प्राकृतिक प्रकोप के कारण किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है।
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