Parking Crisis in Begusarai Citizens Demand Safe and Systematic Public Parking बोले बेगूसराय : शहरी क्षेत्र में हो वाहनों के लिए सुरक्षित और सुव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था, Begusarai Hindi News - Hindustan
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बोले बेगूसराय : शहरी क्षेत्र में हो वाहनों के लिए सुरक्षित और सुव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था

बेगूसराय शहर में सार्वजनिक पार्किंग की गंभीर कमी हो गई है। बाजार, अस्पताल और स्कूलों के आसपास मनमानी पार्किंग से जाम और चालान की समस्या बढ़ गई है। नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रमुख क्षेत्रों...

Newswrap हिन्दुस्तान, बेगुसरायSat, 7 June 2025 11:12 PM
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बोले बेगूसराय : शहरी क्षेत्र में हो वाहनों के लिए सुरक्षित और सुव्यवस्थित पार्किंग व्यवस्था

तेजी से विकसित हो रहे हमारे बेगूसराय शहर में सार्वजनिक पार्किंग व्यवस्था की भारी कमी अब बड़ी समस्या बन चुकी है। बाजार, अस्पताल और स्कूल आदि संचालन से जुड़े व्यस्त इलाकों में गाड़ियों की मनमानी पार्किंग से लोगों को हर दिन जाम, चालान और असुविधा की परेशानी झेलनी पड़ रही है। ट्रैफिक नियमों के पालन में भी मुश्किलें हो रही हैं। नागरिकों की मांग है कि शहर के प्रमुख क्षेत्रों में तुरंत सुरक्षित और सुव्यवस्थित सार्वजनिक पार्किंग की व्यवस्था की जाए। बेगूसराय शहर इन दिनों तेज़ी से विकास की ओर अग्रसर है। बिहार की औद्योगिक राजधानी के नाम से प्रसिद्ध बेगूसराय अब मेडिकल शिक्षा और बाजार के क्षेत्र में भी एक उभरता हुआ केंद्र बन चुका है।

आसपास के जिलों जैसे खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, समस्तीपुर सहित अन्य दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से हजारों लोग रोजाना इलाज, उच्च शिक्षा और खरीदारी के उद्देश्य से बेगूसराय आते हैं। शहर का दायरा बढ़ा है। सुविधाएं बढ़ी हैं। व्यापारिक गतिविधियां तेज़ हुई हैं। निजी अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों की संख्या में इजाफा हुआ है। लेकिन, इन तमाम विकासों के बीच एक मूलभूत समस्या है जो हर नागरिक को प्रतिदिन प्रभावित कर रही है, वह है सार्वजनिक पार्किंग की घोर कमी। शहर के किसी भी हिस्से में समुचित और योजनाबद्ध सार्वजनिक पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। लगातार बढ़ते निजी वाहनों ने सड़कों पर बोझ बढ़ा दिया है लेकिन यातायात योजना उसी पुराने ढर्रे पर अटकी हुई है। शहर में कहीं भी पार्किंग स्थल नहीं होने के कारण न सिर्फ वाहन चालकों को परेशानी होती है, बल्कि पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। बाजार और अस्पतालों के पास भी कोई निर्धारित पार्किंग ज़ोन नहीं है जिससे आपातकालीन सेवा से जुड़े वाहन भी जाम में फंस जाते हैं। परिणामस्वरूप लोगों को अपनी दोपहिया और चारपहिया वाहनों को मजबूरी में सड़क किनारे, दुकानों के सामने, अस्पताल के गेट पर या शॉपिंग मॉल के बाहर खड़ा करना पड़ता है। ऐसे में जब ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम की टीम कार्रवाई करती है तो आम नागरिकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। कई बार बिना पूर्व सूचना के चालान काट दिए जाते हैं और वाहन मालिकों को बाद में पता चलता है कि उनके वाहन पर चालान लगाया गया है। लोगों ने बताया कि पार्किंग व्यवस्था न होने के बावजूद ट्रैफिक नियमों का हवाला देकर उनसे अवैध रूप से वसूली भी की जाती है जो न केवल गैरकानूनी है बल्कि प्रशासन के प्रति जनता के विश्वास को भी कम करता है। लोगों का कहना है कि जब प्रशासन पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रहा हैं तो फिर नागरिकों को दोषी ठहराना अन्याय है। ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए पहले आवश्यक है कि लोगों को वैकल्पिक व्यवस्था दी जाए। मुख्य रूप से शहर के कचहरी रोड, मेन मार्केट, कालीस्थान चौक, स्टेशन रोड, ट्रैफिक चौक जैसे इलाके प्रतिदिन ट्रैफिक जाम से जूझते रहते हैं। इन क्षेत्रों में दिन के किसी भी समय चलना दूभर हो जाता है। स्कूली बच्चों की गाड़ियां, एंबुलेंस, दफ्तर जाने वाले लोग और खरीदारी करने वाले आम लोग भी इस समस्या से त्रस्त हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि शहर में नो एंट्री का नियम तो है लेकिन उसका पालन कहीं नहीं होता। अक्सर यह देखने को मिलता है कि भारी वाहन और ट्रक नो एंट्री वाले समय में भी शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में प्रवेश कर जाते हैं और पूरे ट्रैफिक सिस्टम को अस्त-व्यस्त कर देते हैं। लोगों का आरोप है कि ट्रैफिक पुलिस के कुछ सिपाही पैसे लेकर इन भारी वाहनों को नो एंट्री क्षेत्र में भी अंदर घुसा देते हैं जिससे जाम और भी विकराल हो जाता है। लेकिन, इन भ्रष्ट गतिविधियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती और जनता की आवाज को अक्सर अनसुना कर दिया जाता है। शहर में बढ़ते वाहन और अतिक्रमण से सिमटती सड़कों के अनुपात ने समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। कहीं फुटपाथ पर दुकानदारों का कब्जा है तो कहीं सड़क पर ही सामान रखकर बेचने वालों की भरमार। फुटपाथ पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं जिससे पैदल चलने वालों को भी सड़क पर चलना पड़ता है और इससे दुर्घटनाओं की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। जब चारों ओर अराजकता का आलम हो, नियमों का पालन नहीं हो रहा हो और सुविधाओं का घोर अभाव हो, तब जनता का आक्रोश और अवसाद दोनों स्वाभाविक है। मल्टी-लेवल पार्किंग, भूमिगत पार्किंग जैसी व्यवस्था करनी होगी विकसित सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार कहते है कि आए दिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते हैं जिनमें दिखता है कि लोग ट्रैफिक पुलिस से उलझ रहे हैं। बहस कर रहे हैं। अपनी समस्या बता रहे हैं। लेकिन, समाधान कहीं नहीं है। नगर निगम और जिला प्रशासन को चाहिए कि वह शहर के विभिन्न हिस्सों में मल्टी-लेवल पार्किंग, भूमिगत पार्किंग अथवा खुले स्थानों पर सुरक्षित पार्किंग व्यवस्था विकसित करे। इसके लिए पुराने सरकारी भूखंडों का प्रयोग किया जा सकता है या फिर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत निजी कंपनियों को जिम्मेदारी दी जा सकती है। साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आधुनिक तकनीक जैसे सीसीटीवी सर्विलांस,जीपीएस आधारित ट्रैफिक मॉनिटरिंग आदि का भी उपयोग किया जाना चाहिए ताकि व्यवस्था पारदर्शी और जवाबदेह हो सके। नागरिकों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाना चाहिए, लेकिन उससे पहले मूलभूत सुविधाओं की गारंटी सुनिश्चित करनी चाहिए। पार्किंग व्यवस्था के अभाव में ट्रैफिक पुलिस की कठोरता जनता के लिए उत्पीड़न बन गई है। यही कारण है कि आम लोगों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है। यह आक्रोश धीरे-धीरे अविश्वास में बदल सकता है जो लोकतंत्र और शासन प्रणाली के लिए बेहद नुकसानदायक होगा। यदि बेगूसराय को सच में एक विकसित शहर के रूप में आगे बढ़ाना है, तो केवल मेडिकल कॉलेज खोलने, शॉपिंग मॉल बनवाने या नई इमारतें खड़ी करने से बात नहीं बनेगी। जब तक ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू नहीं होगी, जब तक सार्वजनिक पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं होगी, तब तक यह विकास अधूरा और खोखला रहेगा। विकास केवल ऊँची इमारतों और चमचमाती सड़कों से नहीं होता, बल्कि नागरिकों की बुनियादी समस्याओं के स्थायी समाधान से होता है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता दे और तात्कालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक समाधान की ओर कदम बढ़ाए। वरना जल्द ही यह पार्किंग संकट पूरे शहरी जीवन को संकट में डाल देगा जिले की तरक्की की रफ्तार खुद जाम में फँस कर रह जाएगी। सुझाव: 1. नगर निगम को शहर के प्रमुख इलाकों में मल्टी-लेवल या भूमिगत पार्किंग विकसित करनी चाहिए। 2. पुराने सरकारी भूखंडों पर या पीपीपी मॉडल के तहत सुरक्षित पार्किंग की योजना बनाई जाए। 3. ट्रैफिक पुलिस को कठोर कार्रवाई से पहले नागरिकों को पार्किंग विकल्प उपलब्ध कराना चाहिए। 4. सीसीटीवी, जीपीएस और डिजिटल ट्रैफिक मॉनिटरिंग से यातायात व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जाए। 5. जनता को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देने के लिए नियमित जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। शिकायतें: 1. शहर में कहीं भी समुचित सार्वजनिक पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानी होती है। 2. बाजार, अस्पताल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों के पास भी निर्धारित पार्किंग ज़ोन नहीं हैं, जिससे जाम लगती है। 3. ट्रैफिक पुलिस बिना पूर्व सूचना के चालान काट देती है, जिससे आम नागरिकों को अन्याय का शिकार होना पड़ता है। 4. नो एंट्री के नियम का पालन नहीं होता और ट्रक जैसे भारी वाहन दिन में भी शहर में घुस जाते हैं। 5. फुटपाथ पर अतिक्रमण और सड़क किनारे दुकानदारों का कब्जा पैदल यात्रियों के लिए खतरा बन चुका है। इनकी पीड़ा हर बार शॉपिंग के लिए आते हैं तो गाड़ी पार्क करने की जगह नहीं मिलती। मजबूरी में सड़क किनारे खड़ी करनी पड़ती है और कई बार चालान कट जाता है। सरकार को चाहिए कि मुख्य बाजार में बहु-स्तरीय पार्किंग की तत्काल व्यवस्था करे। -अमित आनंद हमें अस्पताल जाना होता है, लेकिन अस्पताल के बाहर पार्किंग की कोई जगह नहीं है। बीमार व्यक्ति को लेकर समय पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है। सभी निजी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से पार्किंग निर्माण का आदेश दिया जाए। -रजनीश कुमार नगर निगम को चाहिए कि मेन मार्केट और कचहरी रोड जैसे इलाकों में मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था करे। लोग थोड़ी दूरी चलकर भी पार्क करना पसंद करेंगे, अगर गाड़ी सुरक्षित हो। इसके लिए सरकार जमीन चिन्हित कर जल्द टेंडर जारी करे। -अभिषेक कुमार आनंद पार्किंग नहीं होने से सारा ट्रैफिक अस्त-व्यस्त हो गया है। सड़कों पर धुआं, शोर और तनाव ही दिखाई देता है। इस समस्या को आपदा की तरह लेकर स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। -अजय कुमार जब शहर में पार्किंग नहीं है, तो चालान भी नहीं होना चाहिए। बिना सुविधा दिए सज़ा देना अन्याय है। पहले नगर निगम और जिला प्रशाशन को पार्किंग की वैकल्पिक व्यवस्था देनी चाहिए, फिर नियम लागू करें। -सुजीत सिंह कुशवाहा सड़क पर खड़ी गाड़ियों से एंबुलेंस को भी निकलने में दिक्कत होती है। जीवन-मरण के बीच एक मिनट का फर्क होता है। अस्पताल और प्रमुख मार्गों के आसपास नो पार्किंग ज़ोन बनाए जाएं और पार्किंग की वैकल्पिक जगह मिले। -रवि कुमार साहू कब सुधरेंगे हालात: बिना बताए चालान काट देना गलत है। कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि गाड़ी कहां खड़ी करना मना है। पहले बोर्ड, साइन और सार्वजनिक सूचना प्रणाली मजबूत की जाए।पार्किंग की सुविधा दी जाए। -दीपक रजक नगर निगम खाली पड़े प्लॉटों को अस्थायी पार्किंग के रूप में विकसित कर सकता है। या किराए पर जगह लेकर पार्किंग बना सकती है। इससे मुख्य सड़क पर दबाव कम होगा। शुरूआत दो-तीन इलाके से की जाए। -राजन कुमार हर दिन रोड पर फंसा रहता हूं। इतनी भीड़ होती है कि आधे घंटे में सौ मीटर भी नहीं चल पाते। शहर के कुछ भीड़ भार वाले इलाके में चारपहिया वाहन के प्रवेश पर रोक लगे केवल पैदल और मोटरसाइकल को प्रवेश मिले। -चंदन कुमार ट्रैफिक व्यवस्था में तैनात पुलिस कर्मी पैसे लेकर नो एंट्री में ट्रक घुसा देती है। यह भ्रष्टाचार ट्रैफिक व्यवस्था को खोखला कर रहा है। ट्रैफिक ड्यूटी का सीसीटीवी और सोशल मॉनिटरिंग होनी चाहिए। -शुभम चंद्रवंशी शहर में पार्किंग की इंतजाम की जाए ऑनलाइन एप से पार्किंग स्पेस की जानकारी देने की व्यवस्था भी हो इससे लोग इधर-उधर भटकने से बचेंगे। स्मार्ट सिटी प्लान में इसे शामिल किया जाना चाहिए। -दीपक कुमार शहर के मुख्य बस स्टैंड पर भी पार्किंग नहीं है। गाड़ी खड़ी करने की चिंता में लोग बस ही छूट जाने की कगार पर पहुंच जाते हैं। बस स्टैंड पर एक मल्टीस्टोरी पार्किंग बननी चाहिए। इसे यात्रियों को सुविधा मिलेगी। -नीलेश कुमार जगह-जगह अतिक्रमण है। दुकानदारों ने फुटपाथ से लेकर सड़क तक कब्जा कर रखा है। प्रशासन को अभियान चलाकर स्थायी रूप से अतिक्रमण हटाना चाहिए और उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। -मुकेश कुमार मॉल और अस्पताल को खुद की पार्किंग बनाना अनिवार्य किया जाए। हर बड़ा कॉम्प्लेक्स सड़क पर बोझ डाल रहा है। नगर निगम को भवन नक्शा पास करते वक्त इस शर्त को सख्ती से लागू करना चाहिए। -शंभु मिश्रा नियम सबके लिए बराबर हो। ट्रैफिक पुलिस को नियम तोड़ने वालों से पैसा लेकर छोड़ देना बंद करना होगा।जवाबदेही तय हो और हर शिकायत पर जांच हो। दोषियों पर कार्रवाई की जाए। सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाए। -पंकज कुमार किसी भी शादी समारोह के समय पूरा इलाका जाम हो जाता है। शादी हॉल और सामुदायिक भवनों के पास पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार को ऐसे भवनों को अनिवार्य रूप से पार्किंग स्पेस रखने का निर्देश देना चाहिए। -अजय पटेल बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं तो सड़कों पर अफरातफरी मची होती है। ना ट्रैफिक पुलिस होती है, ना कोई गाड़ी खड़ी करने की जगह। हर स्कूल के बाहर पार्किंग बनाना अब ज़रूरी हो गया है। प्रशाशन को संज्ञान लेनी चाहिए। -नवेंदु कुमार बाहर से आए लोग शहर की ट्रैफिक व्यवस्था देखकर हैरान हो जाते हैं। बेगूसराय अब छोटा शहर नहीं रहा, लेकिन सोच और व्यवस्था वही पुरानी है। जिला प्रशासन को एक ट्रैफिक मास्टर प्लान बनाकर लागू करना चाहिए। -केसर रेहान शहर में कही भी सुरक्षित पार्किंग नहीं है। सड़क किनारे बाइक खड़ा करना असुक्षित है। गाड़ी चोरी होने की घटनाएं आम बात हो चुकी है। पार्किंग की व्यवस्था होने से गाड़ी भी सुरक्षित रहेगी यातायात भी सुचारू रहेगी। -रोहित कुमार पार्किंग के अभाव में कई बार लोगों में झगड़ा भी हो जाता है। दो गाड़ियां एक साथ खड़ी हो जाएं तो निकलना तक मुश्किल होता है। सड़क पर पार्किंग लाइन, नियम और सीसीटीवी से स्थिति को नियंत्रण में रखा जाए। -अंकित कुमार

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