Groundwater Level Set to Rise in Kaimur District as Son Canal Water Flows पहाड़ी क्षेत्र में 13.5 व मैदानी भाग में 11 फुट खिसका जलस्तर, Bhabua Hindi News - Hindustan
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पहाड़ी क्षेत्र में 13.5 व मैदानी भाग में 11 फुट खिसका जलस्तर

भगवानपुर और रामपुर की सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी आने से कैमूर जिले में भू-गर्भ जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है। वर्तमान में 773 चापाकलों की मरम्मत होनी बाकी है, जिससे पानी की समस्या का समाधान होगा। जलवायु...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआSat, 14 June 2025 08:41 PM
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पहाड़ी क्षेत्र में 13.5 व मैदानी भाग में 11 फुट खिसका जलस्तर

भगवानपुर व रामपुर की सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी आने से बढ़ेगा भू-गर्भ जलस्तर, अब इलाके के बंद चापाकल उगलेंगे पानी कैमूर जिले में अभी 773 चापाकलों की मरम्मत करना है बाकी सूख गए हैं पहाड़ी क्षेत्र तक के तालाब, पोखर, शहर भी प्रभावित (पड़ताल पेज चार की लीड खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर में तापमान बढ़ने से इसके पहाड़ी क्षेत्र में 13.5 और मैदानी भाग में 11 फुट भू-गर्भ जलस्तर खिसक गया है। इस कारण उद्गम क्षेत्र की सुवरा, दुर्गावती, कर्मनाशा नदियों का भी पानी सूख गया है। आहर, पोखर, तालाब, चेक डैम में भी पानी नहीं है। जंगलों में जंगली जानवरों को पिलाने के लिए बनाए गए हौज में भी पानी नहीं है।

इस कारण जंगली जानवर पानी की तलाश में गांव व मैदानी भाग की ओर आने लगे हैं। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पहाड़ी क्षेत्र 31 मई तक 39.2 फुट व 14 जून को 40.8 फुट पर पानी मिल रहा है। जबकि मैदानी हिस्से में 31 मई तक 35.2 फुट और 14 जून तक 36.2 फुट भूमितल पर पानी मिल रहा था। हालांकि विभाग का मानना है कि भगवानपुर व रामपुर की सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी आने से जलस्तर में वृद्धि होने की संभावना है। हालांकि अभी नहर का पानी भी टेल एंड तक नहीं पहुंच रहा है। कई वितरणियों में अभी पानी नही है। जिले में बंद पड़े चालाकलों की मरम्मत कराने के लिए तत्कालीन डीएम सावन कुमार ने पीएचईडी के मिस्त्री के दल को सभी 11 प्रखंडों में रवाना किया था। जिले में कुल 14946 चापाकल पीएचईडी की ओर गाड़े गए हैं। विभाग ने 2242 चापाकलों की मरम्मत करने लक्ष्य निर्धारित किया था। इनमें से 1509 चापाकलों की मरम्मत कराई जा चुकी है, जबकि अभी भी 773 चापाकलों की मरम्मत कराने का काम बाकी है। हालांकि विभाग ने नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है। जिस इलाके से चापाकल खराब होने की सूचना मिलती है, विभाग के मिस्त्री को वहां भेजकर उसकी मरम्मत कराई जाती है। जलवायु परिवर्तन का दिख रहा है असर कैमूर में जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिखने लगा है। शायद इसी का प्रभाव है कि अब यहां की शायद ही कोई नदियां सदावाही यानी सालों भर बहनेवाली रही होंगी। जबकि नदियों का प्रकृत सदा बहते रहना है। गर्मी आते-आते जिले की कर्मनाशा, दुर्गावती, धर्मावती, कुकुरनहिया, सुवरा, कुदरा, गोरया, धर्मावती आदि नदियों की धारा टूट जाती है और आहर, तालाब, कुएं, जोहड़, बावड़ियों में पानी कम हो जाता है। जलप्रपात से भी कम पानी गिरता है। नदी की भूमि का अतिक्रमण कर खेती कर रहे जल संरक्षण के लिए काम करनेवाले डॉ. विनोद कुमार मिश्र कहते हैं कि उन्होंने पिछले सप्ताह कुकुरनहिया नदी पुनर्जीवन यात्रा शुरू की थी। इसके उद्गम स्थल में ही पानी कम है। नदी की कुछ जमीन को अतिक्रमण कर खेती की जा रही है। इससे पानी का बहाव अवरूद्ध हो रहा है। इसका फाटक व जगह-जगह तटबंध टूट गया है, जिसकी मरम्मत कराने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन को आवेदन देकर नदी की भूमि की मापी कराकर अतिक्रमण हटवाने की मांग की गई है। सूखी पड़ी हैं पानी देने वाली नदियां कोल्हुआ निवासी रामकवल सिंह, दीघार के जितेंद्र सिंह, सियाराम यादव, चौधरना के भोरिक सिंह, राजकुमार सिंह, गड़के के रामसकल साह, बड़गांव के योगेंद्र सिंह, दीपक कुमार ने बताया कि अधौरा प्रखंड के चैनपुरा, रउता, कोल्हुआ, बभनी में कर्मनाशा नदी, भूईफोर, पिपरा में नाचन पहाड़ी नदी, ताला, भड़ेहरा, बड़गांव, जमुनीनार में सुअरा नदी के पानी से खेती होती है। लेकिन, फिलहाल सभी नदियां सूखी पड़ी हैं। चारा-पानी की तलाश में यहां के पशुपालक हर साल मवेशियों को लेकर मैदानी भाग की ओर चले जाते हैं। कोट पहाड़ी क्षेत्र में 13.5 व मैदानी भाग में 11 फुट जलस्तर खिसका है। भगवानपुर व रामपुर की सोन उच्च स्तरीय नहर में पानी आने से बढ़ेगा भू-गर्भ जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है। बारिश होने पर भी लाभ होगा। सूचना मिलने पर चापाकलों की मरम्मत कराई जा रही है। सौरभ कुमार झा, सहायक अभियंता, पीएचईडी फोटो- 14 जून भभुआ- 4 कैप्शन- भभुआ शहर के कैमूर स्तंभ के पास स्थित सूखा राजेंद्र सरोवर में शनिवार को क्रिकेट खेलते बच्चे।

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