बोले जमुई: मनरेगा मजदूरों की बढ़े मजदूरी एवं कार्य दिवस तो रुक सकता है पलायन
अलीगंज प्रखंड में मनरेगा योजना के तहत कोई कार्य नहीं हो रहा है, जिससे कामगारों का मनोबल टूट रहा है। कई मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त काम और मजदूरी नहीं मिल रही है।...
अलीगंज प्रखंड के मनरेगा मजदूरों की परेशानी
केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार देने के लिए मनरेगा योजना की शुरूआत की है, लेकिन अलीगंज प्रखंड के अधिकांश पंचायत में प्रतिद्वंदिता के कारण कोई भी मनरेगा कार्य नहीं हो पा रहा है। जिस कारण कम कामगारी और पर्याप्त काम नहीं मिलने के कारण अब ग्रामीण इलाके के कामगारों का मनरेगा से मोहभंग हो रहा है। यही कारण अब जिले के कामगार पेट भरने एवं परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे है। इसमें अधिकांश कामगार अपने परिवार एवं बच्चों को छोड़ दिल्ली, कानपुर, मुंबई, कोलकाता जैस महानगरों का रूख कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों के अकुशल कामगार ईंट-भट्ठों पर काम करने दूसरे प्रदेश कूच कर गए हैं। संवाद के दौरान जिले के मनरेगा कामगारों ने अपनी समस्या बताई।
मजदूरों ने कहा 400 रुपए हो मजदूरी और 200 कार्य दिवस
जिले में है 5 लाख 93 हजार 295 मनरेगा मजदूर रजिस्टर्ड
100 दिन ही कार्य सुनिश्चित है
अविनाश कुमार सिंह
जिले के अलीगंज प्रखंड के अधिकांश पंचायत में आपसी प्रतिद्वंदिता के कारण मनरेगा कार्य पूरी तरह प्रभावित है। जिस कारण मनरेगा मजदूरों को उनके काम नहीं मिल पा रहे है। इसका भुक्तभोगी अधिकारी कर्मी के साथ-साथ पंचायत की जनता को बनना पड़ता है। यदि कोई व्यक्ति किसी जगह जेसीबी मशीन से अपना निजी काम रहा है, जैसे खेत का समतलीकरण, मिट्टी भराई या खेत से मिट्टी उठाकर चिमनी भट्ठे पर ले जाने का कार्य या अन्य कार्य, ऐसे कार्यो की झूटी शिकायत मनरेगा पदाधिकारियों से कर दी जा रही है, जिससे प्रखंड से लेकर जिलास्तर तक पदाधिकारियों के साथ मनरेगा कर्मी, मुखिया तथा लाभार्थी को भी परेशानी होती है। इसी वजह से मनरेगा द्वारा संचलित योजना का संचालन नही हो पा रहा है जिससे आमलोगो के साथ मनरेगा मजदूरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कार्य से हो रहा है मोहभंग :
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) से अब मजदूरों का मोहभंग होता जा रहा है। इसका मुख्य कारण मजदूरी मद में सही समय पर मजदूरी नहीं मिलना तथा पर्याप्त काम नहीं मिलना बताया गया। मजदूर बताते हैं कि एक परिवार अधिकतम एक वर्ष में 100 दिन काम करेंगे। यदि एक परिवार में पति-पत्नी व उनके दो तीन बच्चे हैं जिनकी शादी नहीं हुई है तो वह एक परिवार कहलाएगा। अब यदि परिवार में 4-5 लोग हैं तो सबों को मिलाकर 100 दिन ही कार्य सुनिश्चित है। उस स्थिति में परिवार का भरण पोषण कैसे होगा। इसके साथ ही समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होने के कारण भी मजदूर मनरेगा कार्य से विमुख होने लगे हैं।
बढ़े मनरेगा मजदूरों की मजदूरी :
मजदूरों ने कहा कि जिले में पूर्व में 245 रुपए मनरेगा मजदूरों की मजदूरी थी। माह अप्रैल से इसमें 10 रुपए का इजाफा हुआ तो अब यह 255 रुपए हो गई। किंतु यह मजदूरी भी पर्याप्त नहीं है। मजदूरों ने बताया कि खुले बाजार में भी मज़दूरी 350 रुपए से लेकर 400 रुपए हो गई है।वह भी काम समाप्त होते ही शाम में मजदूरों के हाथ में आ जाती है।तो फिर 255 रुपए में काम क्यूं करें। मजदूरों ने कहा कि सामान्य मजदूरी 350- 400 होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तरह मजदूरी बढाए जाने की बात कही है।
जिले में है 5 लाख 93 हजार 295 मनरेगा मजदूर रजिस्टर्ड -
बात अगर आंकड़ों की करें तो जिले में 5 लाख 93 हजार 295 मनरेगा मजदूर रजिस्टर्ड है जिसमें महिला मजदूरों की संख्या 3 लाख 13 हजार 792 है। इन मजदूरों में एक्टिव मजदूरों की संख्या 2 लाख 37 हजार 343 है। इसमें भी अगर एक्टिव महिला मजदूरों की बात करें तो 1 लाख 51 हजार 772 महिला मजदूर एक्टिव बताए गए हैं। इस तरह आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि आधा से अधिक रजिस्टर्ड मजदूर मनरेगा कार्यों से विमुख हो दूसरे कार्यों की ओर चले गए हैं।
शिकायत व सुझाव :
1. कई माह से मजदूरों को कार्य नहीं मिल है, जिससे आर्थिक संकट में है।
2. योजना में 100 दिन रोजगार की गारंटी है लेकिन कई माह से काम बंद है।
3. इंटरनेट नेटवर्क की खराब स्थिति के कारण एप से हाजिरी दर्ज नहीं हो पाती है।
4. बाजार में दिहाड़ी मजदूरी 500 रूपये प्रतिदिन है, जबकि मनरेगा में केवल 255 रूपए मिलते है।
5. स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और धीमी प्रक्रिया से मजदूरों का भरोसा उठता जा रहा है।
1. प्राथमिक के आधार पर अलीगंज प्रखंड में मनरेगा कार्य को चालू किया जाए।
2. यह सुनिश्चित की जाए कि हर पात्र परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का काम मिले।
3. नेटवर्क की समस्या को देखते हुए एप के साथ-साथ मैनुअल या ऑफलाईन हाजिरी का विकल्प भी उपलबध हो।
4. मनरेगा की मजदूरी बढ़ाकर न्यूनतम 500 रूपए प्रतिदिन किया जाए।
5. निगरानी और शिकायत समाधान के लिए मजदूर अधिकारियों की समिति बनाई जाएं।
बोले मनरेगा मजदूर :
काम नही मिलने के कारण हम लोग इस भीषण गर्मी में जंगल से दतमन तोड़कर परिवार चला रहे है। सरकार को हमारे यहां कार्य अभिलम्ब शुरू किया जाय।
- पिंकी देवी
यहां पहले काम बहुत अच्छा चलता था मजदूरो का समय भुगतान हो जाता था, लेकिन अब आपसी वोट की राजनीति को लेकर कार्य अवरुद्ध किया जा रहा है।
- आशा देवी
हमलोगों को पिछले छह महीने से काम नहीं मिल रहा है, हमलोगों के सामने भुखमरी की समस्या उतपन्न हो गई है।
- राखी देवी
हमलोग इस भीषण गर्मी में चार कोस पैदल जंगल जाकर लकड़ी लाते हैं उसे बेचकर परिवार का भरण पोषण होता है, लेकिन अभी तक मनरेगा कार्य शुरू नहीं हुआ है।
-गायत्री देवी
मनरेगा में मजदूरी बहुत कम है। इससे परिवार का भरण-पोषण मुश्किल है। अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी मजदूरी बढ़ें।
-माको देवी
इस योजना से धरातल पर बहुत काम हुआ करता था। सामान्य कामगार भी 350-400 रूपए कमा लेता है। मजदूरी में वृद्धि की जाएं।
-गीता देवी
यहां कई लोगों जिनका नई शादी होकर आई है उनके पास जॉव कार्ड नहीं है, वैसे लोगों का जॉव कार्ड बनाया जाए ताकि परेशानी नहीं हो।
- साहिल मांझी
पंचायत की राजनीति से हम गरीब लोग मारे जा रहे है काम बंद रहने से हमलोगों के सामने भुखमरी की समस्या उतपन्न हो गई है।
-मीना देवी
अलीगंज प्रखंड के सभी पंचायत में मनरेगा कार्य अभिलम्ब शुरू किया जाय ताकि मनरेगा मजदूर को इसका लाभ मिल सकें।
-पुतुल देवी
पदाधिकारी से आग्रह है कि हमलोगों को रोजगार मिले, आपसी शिकवा -शिकायत के चलते काम बंद नही करें, हमलोगों को परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी होती है।
- किशोरी मांझी
हमलोगों को रोजगार मिलना चाहिए, मनरेगा के तहत काम बंद होने से परेशानी होती है, परिवार का भरण-पोषण कैसे करें।
-चंदन कुमार
मनरेगा से मिले मजदूरी से ही हमलोगों के घर का खर्च चलता है, छह महीना से रोजगार न६ी मिलने से भुखमरी की समस्या उतपन्न हो गई है।
- सुषमा देवी
हमलोगों को मनरेगा के तहत काम मिलना चाहिए नए जिलाधिकारी से अनुरोध करती हूं कि हमलोगों को काम मुहैया कराया जाय।
- सारो देवी
मनरेगा के सिबा अभी कोई काम नही मिल रहा है हमलोगों को काम चाहिए, ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सकें।
- रवि मांझी
पिछले बहुत दिनों से काम बंद है, जब किसी से पूछता हूं तो जांच की कही जाती है, जांच के नाम पर हमलोग कितना दिन बैठे रहेगंे।
-नीतू देवी
पंचायत में कुछ लोगो द्वारा झूठी शिकायत की जाती है, कार्य किए वैगर राशि की निकासी हो गई, जिससे कार्य बाधित हो जाता है, हमलोगों का मनरेगा के द्वारा किये जा रहे कार्यो से मिली मजदूरी से घर चलता है।
-रेशमी देवी
कहती हैं मुखिया :
अलीगंज पंचायत में आपसी प्रतिद्वंदिता व शिकवा शिकायत को लेकर जनहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य अवरुद्ध है, यहां कुछ विपक्षियों द्वारा ऐसी योजनाओं के बारे में शिकायत की जाती है जो पंचायत योजना से नही चल रहा है। मानपुर मौजे में पहाड़ किनारे कई जगह के चिमनी वाले मिट्टी ले जाते है, या घर भरने का स्थानीय लोगो द्वारा कार्य किया जाता है, इसे भी पंचायत का योजना बताकर शिकायत की जाती है। विपक्षी द्वारा शिकायत के उपरांत जाँच भी की गई उसके उपरांत झूठी शिकायत कर कार्य को अवरुद्ध किया गया है। पिछले छह माह से मनरेगा योजना का कार्य नहीं किया जा रहा है जिससे मजदूरों का पलायन जारी है।
-गायत्री देवी, मुखिया, अलीगंज पंचायत
क्या कहते अधिकारी :
पंचायत के कुछ तथा कथित लोगो द्वारा शिकायत की गई थी, जिसकी जांच की गई, जांच की रिपोर्ट वरीय पदाधिकारी को दे दी गई है। पंचायत में आपसी वर्चस्व को लेकर मनरेगा सहित जनहित से जुड़े कई कार्य बाधित है। जिस कारण मनरेगा मजदूरों को काफी परेशानी होती है, उनका कार्य बाधित होता जिस कारण उनके परिवार का भरण-पोषण करने में परेशानी होती है।
असलम हुसैन, प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, अलीगंज
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