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बोले कटिहार : निर्माण-स्थलों पर लापरवाही, धूल-धुएं ने किया जीना मुहाल

कटिहार में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है। यहां के निवासी हर महीने लगभग 60 सिगरेट के बराबर जहरीली हवा अपने फेफड़ों में भर रहे हैं। प्रशासन की लापरवाही और धूल-मिट्टी के कारण बच्चे और...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 29 April 2025 11:55 PM
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बोले कटिहार : निर्माण-स्थलों पर लापरवाही, धूल-धुएं ने किया जीना मुहाल

कटिहार की फिजा में अब ताजगी नहीं रही। इसमें बल्कि धूल और धुएं का जहर घुल चुका है। शहरवासी अनजाने में हर दिन दो सिगरेट के बराबर जहर सांसों में भर रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर दिल अब धड़कनों के साथ प्रदूषण का बोझ ढो रहा है। प्रशासनिक उदासीनता ने हालात को बदतर बना दिया है। बढ़ती बीमारियां, घटती हरियाली और उड़ती धूल कटिहार के भविष्य पर गहरी चोट कर रही है। अब समय है कि शहर अपनी सांसों को बचाने के लिए जागे और ठोस कदम उठाए। शहर में बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर को लेकर संवाद के दौरान लोगों ने गहरी चिंता जताई। साथ ही प्रदूषण कम करने लिए सबको साथ आने की अपील की।

60 सिगरेट के बराबर फेफड़े में भर रहे हैं जहरीली हवा

04 प्रतिशत प्रति वर्ष बढ़ रहा है वायु प्रदूषण का ग्राफ

80 से 140 के बीच है औसत वायु गुणवत्ता का सूचकांक

कटिहार की फिजा अब ताजगी नहीं, बल्कि जहर से भरती जा रही है। शहर के वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से खतरनाक हो चला है। एक्यूआई रिपोर्ट के मुताबिक, शहरवासी हर महीने लगभग 60 सिगरेट के बराबर जहरीली हवा अपने फेफड़ों में भर रहे हैं। शहर के कई इलाकों में धूल के गुबार से सांस लेना मुश्किल हो रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, हृदय रोग, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। डॉक्टरों ने विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को मास्क पहनने, घर में रहने और एयर प्यूरिफायर के इस्तेमाल की सलाह दी है।

शहर के बाजारों में एक्यूआई सबसे अधिक :

शहर के शहीद चौक और एमजी रोड इलाकों का एक्यूआई सबसे अधिक चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। केबी झा कॉलेज क्षेत्र में रहने वाले नागरिक लगातार सांस की दिक्कत और एलर्जी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। पांच वर्षों में कटिहार का वायु प्रदूषण चार प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है, जो बेहद गंभीर स्थिति का संकेत है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही ने समस्या को और जटिल कर दिया है।

निर्माण स्थलों पर खुले में रहता है गिट्टी बालू :

निर्माण स्थलों पर गिट्टी-बालू खुले में पड़ा है, जिससे धूलकण उड़कर हवा को दूषित कर रहे हैं। न ग्रीन घेरा है, न ही नियमित पानी का छिड़काव। पौधरोपण सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है और लगाए गए पौधों की देखभाल नहीं हो रही है। कटिहार के राजहाता इलाके के संजीव कुमार और श्रवण कुमार का कहना है कि बिना कड़े कदमों के हालात नहीं सुधर सकते। निर्माण स्थलों को ढंकना, भारी वाहनों के आवागमन पर रोक और हरित क्षेत्र बढ़ाना बेहद जरूरी है। बलराम साह और मनीष कुमार ने भी गिट्टी-बालू के खुले भंडारण पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

तेजी से बढ़ रहा है प्रदूषण स्तर :

प्रदूषण का स्तर जिस गति से बढ़ रहा है और हरियाली का दायरा सिकुड़ रहा है, वह आने वाले समय में शहरवासियों के जीवन को और कठिन बना सकता है। यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो कटिहार में स्वच्छ हवा एक सपना बनकर रह जाएगी।

शिकायतें

1. निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण का अभाव है।मिट्टी, गिट्टी और बालू खुले में पड़े रहते हैं, जिससे भारी मात्रा में धूल उड़ती है।

2. निर्माण कार्य के दौरान ग्रीन घेरा लगाने और नियमित छिड़काव करने में लापरवाही बरती जा रही है।

3. डीजल ऑटो और जुगाड़ गाड़ियों पर रोक नहीं। प्रतिबंध के बावजूद धुआं छोड़ने वाले पुराने वाहन सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे हैं।

4. पौधरोपण के बाद देखभाल का अभाव है। औपचारिकतावश पौधे तो लगाए जाते हैं, लेकिन बाद में उनकी देखभाल न होने से पौधे सूख जाते हैं।

5. वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ठोस और दीर्घकालिक रणनीति का अभाव है, जिससे समस्या और बढ़ रही है।

सुझाव:

1. निर्माण स्थलों पर सख्त नियम लागू हों। सभी निर्माण स्थलों पर गिट्टी-बालू ढकने और ग्रीन घेरा लगाने को अनिवार्य किया जाए।

2. भारी वाहनों के आवागमन पर नियंत्रण हो। शहरी इलाकों में भारी ट्रकों और डीजल वाहनों की आवाजाही पर सख्ती से रोक लगाई जाए।

3. हरित क्षेत्र बढ़ाया जाए। पौधरोपण अभियान के साथ पौधों की देखभाल और संरक्षण के लिए जिम्मेदारी तय हो।

4. प्रदूषण स्तर की नियमित निगरानी की जाए और खतरनाक क्षेत्रों में तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।

5. आम जनता को प्रदूषण के खतरे के प्रति जागरूक किया जाए और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त जुर्माना लगाया जाए।

इनकी भी सुनें

शहर में वायु प्रदूषण से हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि निर्माण स्थलों पर कड़ी निगरानी रखे और खुले में गिट्टी-बालू रखने वालों पर तुरंत कार्रवाई करे। वरना अगली पीढ़ी को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

-संतोष मंडल उर्फ पप्पू

बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह जहरीली हवा जानलेवा साबित हो रही है। प्रशासन को तुरंत पानी का छिड़काव, ग्रीन बेल्ट तैयार करने और मास्क वितरण जैसे ठोस उपाय करने चाहिए। समय रहते कार्रवाई जरूरी है।

-प्रदीप चिरानियां

यदि हम अभी भी नहीं चेते तो आने वाले समय में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। कटिहार में प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियम बनाने और उनका सख्ती से पालन कराना अत्यंत आवश्यक है।

-राजकुमार अग्रवाल

खुले में गिट्टी-बालू रखना और बिना नियंत्रण के निर्माण कार्य करना प्रदूषण का बड़ा कारण बन गया है। प्रशासन को चाहिए कि रोजाना पानी का छिड़काव और प्रदूषण फैलाने वालों पर भारी जुर्माना लगाए।

-पप्पू झा

वायु प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि एक स्वास्थ्य आपातकाल है। सरकार को कटिहार में एयर मॉनिटरिंग सिस्टम बढ़ाने, पौधरोपण तेज करने और औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्ती से नियंत्रण लगाने की जरूरत है।

-आलोक मोदी

जिस रफ्तार से प्रदूषण बढ़ रहा है, वह भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। हमें मिलकर अपने शहर को बचाना होगा। प्रशासन को भी जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को प्रदूषण के खिलाफ जागरूक करना चाहिए।

-अमित अग्रवाल

धूल और धुएं की वजह से बच्चों में खांसी और सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। प्रशासन को सख्ती से निर्माण कार्यों के नियम लागू करने चाहिए और नियमित सफाई व पौधरोपण को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

-सोनू चौधरी

कटिहार में स्वच्छ हवा अब सपना बनती जा रही है। बिना ठोस और दीर्घकालीन योजना के स्थिति नहीं सुधरेगी। सरकार को तुरंत हरित क्षेत्र बढ़ाने और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करनी चाहिए।

-अखिलेश जायसवाल

प्रदूषण रोकने के लिए सिर्फ घोषणाओं से काम नहीं चलेगा। प्रशासन को तत्कालिक कार्रवाई करनी चाहिए। हर निर्माण स्थल पर ढकाव अनिवार्य हो और खुले स्थानों पर धूल नियंत्रण के लिए पानी का नियमित छिड़काव जरूरी है।

-चंदू चौधरी

हर साल हालात बिगड़ते जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन उदासीन है। मास्क वितरण, पौधरोपण, नियमित पानी का छिड़काव और जागरूकता अभियान को अनिवार्य कर शहर को प्रदूषणमुक्त बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

-ज्ञानदेव जायसवाल

कटिहार में सांस लेना अब स्वास्थ्य जोखिम बन गया है। प्रशासन को चाहिए कि सख्त कानून बनाकर प्रदूषण फैलाने वालों पर भारी जुर्माना लगाए और ग्रीन बेल्ट का दायरा बढ़ाए, तभी स्थिति में सुधार आ सकता है।

-मो. बिल्लू

वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सरकार और नागरिक दोनों को सक्रिय होना होगा। निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, वाहनों से प्रदूषण कम करना और अधिक से अधिक पौधे लगाना अब हमारी पहली जरूरत बन गई है।

-नागो राम

हर तरफ उड़ती धूल और जहरीली हवा ने जीवन दूभर कर दिया है। बच्चों, बूढ़ों और बीमारों के लिए यह सबसे खतरनाक है। प्रशासन को प्रदूषण कम करने के लिए ठोस रणनीति बनाकर तुरंत अमल में लाना चाहिए।

- ललन जायसवाल

प्रशासन की लापरवाही से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। निर्माण सामग्रियों को खुले में रखना बंद करना चाहिए और वायु गुणवत्ता सुधार के लिए नियमित निगरानी व कड़े कदम उठाने चाहिए। वरना हालात और बदतर होंगे।

- मो. अफरोज

अब केवल बातों का समय नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। प्रशासन को चाहिए कि धूल उड़ाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाए और हरियाली बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर पौधारोपण कराए।

-मो. सऊद

कटिहार में वायु प्रदूषण का स्तर देखकर डर लगता है। प्रशासन को नियमित पानी का छिड़काव कराना चाहिए और हर निर्माण स्थल को ढकना अनिवार्य करना चाहिए। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

-आलोक कुमार

प्रशासन की लापरवाही और जनता की उदासीनता ने मिलकर इस स्थिति को पैदा किया है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर प्रदूषण के खिलाफ एकजुट हों और स्वच्छ, स्वस्थ कटिहार के लिए काम करें।

-नंदकिशोर मंडल

धूल और धुएं की वजह से फेफड़े खराब हो रहे हैं। प्रशासन को अविलंब सड़क पर पानी का छिड़काव शुरू करना चाहिए, निर्माण स्थलों को ढकना अनिवार्य करना चाहिए और प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

-सुबोध मंडल

बोले जिम्मेदार

कटिहार की दमघोंटू हवा के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी प्रशासन और समाज दोनों पर है। प्रशासन ने न तो प्रदूषण नियंत्रण के नियमों को गंभीरता से लागू किया, न ही हरियाली बचाने की ठोस कोशिश की। खुले में उड़ती धूल, बेलगाम ट्रैफिक और बेतरतीब निर्माण कार्य ने हालात बद से बदतर कर दिए हैं। वहीं, आम नागरिक भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर उदासीन रहे। न पौधे लगाए, न धूल और धुएं को रोकने के लिए आवाज उठाई। यह जहर हमारी लापरवाहियों का नतीजा है। यदि अब भी हम नहीं चेते, तो अगली पीढ़ी के लिए सांस लेना भी एक संघर्ष बन जाएगा।

-विजय सिंह, विधायक, बरारी विधानसभा

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