Challenges Faced by Girls in Jamui Education Safety and Basic Amenities बोले जमुई : बेटियों के लिए लाइब्रेरी, पार्क और छात्रावास की हो व्यवस्था, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमुई : बेटियों के लिए लाइब्रेरी, पार्क और छात्रावास की हो व्यवस्था

जमुई शहर में ग्रामीण इलाकों से पढ़ाई करने आई लड़कियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, शोहदों का डर और कॉलेज में प्राथमिकता न मिलने से ये छात्राएं परेशान हैं। सरकारी...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 26 May 2025 11:07 PM
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बोले जमुई : बेटियों के लिए लाइब्रेरी, पार्क और छात्रावास की हो व्यवस्था

बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से लड़कियां पढ़ाई-लिखाई करने व कॅरियर संवारने का सपना संजोए जमुई शहर में आती हैं। यहां आने के साथ ही चुनौतियों का सफर शुरू हो जाता है। घर से निकली लड़कियों को रहने के लिए घर, पानी, बिजली, शौचालय, लाइब्रेरी, पार्क व खेलकूद के लिए मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं तक के लिए जूझना पड़ता है। छात्राओं की पीड़ा है कि कॉलेज व कोचिंग जाने की राह में उन्हें शोहदों से परेशानी का सामना करना पड़ता है। जमुई का बाईपास रोड और त्रिपुरारी सिंह रोड कोचिंग संस्थान व निजी छात्रावास का हब है। यहां की गलियों में दिनभर छात्र-छात्राओं का आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद मोहल्ले में पुलिस की नियमित गश्त नहीं होती है। ऐसे में उनके मन में खौफ बना रहता है। संवाद के दौरान छात्राओं ने अपनी परेशानी बताई।

02 हजार से अधिक छात्राएं रहती है जमुई में होस्टल में

01 भी नहीं है छात्राओं के लिए सरकारी स्तर पर छात्रावास

03 हजार से अधिक छात्राएं गांव से शहर आती है काम से

जमुई जिला मुख्यालय में लड़कियों के लिए सार्वजनिक लाइब्रेरी, पार्क व छात्रावास की व्यवस्था नहीं है। एकमात्र केकेएम कॉलेज में पहले लड़कों के लिए छात्रावास की सुविधा थी। लड़की के लिए कुछ भी नहीं था। छात्राओं को मजबूरन मोटी रकम देकर निजी छात्रावास में रहना पड़ता है। शहर में छात्राओं के लिए लाइब्रेरी तक नहीं है। कॉलेज व कोचिंग से लौटने के बाद छात्राओं का अधिकतर समय कमरे में ही बीतता है। अगर छात्रावास में ही लाइब्रेरी की व्यवस्था हो जाए तो छात्राओं को बहुत सुविधा होगी। शाम में टहलने व समय बीताने के लिए पार्क तक नहीं है। वहीं जमुई सदर के टीपी सिंह रोड में कोचिंग व निजी हॉस्टल की बहुतायत है। शहर के सबसे पुराने इस मोहल्ले की शायद ही ऐसी कोई गली हो, जहां कोचिंग संस्थान नहीं है। यहां सभी कक्षाओं के लिए अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ शिक्षक व कोचिंग संस्थान हैं। मगर, उस अनुरूप इस मुहल्ले में सुविधाएं नहीं हैं। जमुई में पढ़ाई के लिए आई छात्राएं कहती है कि जिला मुख्यालय होने के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से लड़कियां यहां बेहतर पढ़ाई के लिए आती हैं, मगर शहर आते ही कॉलेज से लेकर हॉस्टल तक लड़कियों को तरह-तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। लड़कियों को यहां पानी, बिजली, शौचालय, लाइब्रेरी, पार्क व खेलकूद के लिए मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरसना पड़ता है।

मुहल्लों में स्ट्रीट लाइट नहीं, सड़क पर नाले का पानी :

छात्राओं ने कहा बाईपास रोड सहित शहर में बसे नए मुहल्ले व अन्य मुहल्लों की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट की कमी है। मुहल्ले की सड़कों पर नाला का पानी बहता रहता है। बारिश होने पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। नाले से बदबू आती है। बगल से बाइक व अन्य वाहन गुजरने पर कपड़ा खराब हो जाता है। बाईपास रोड और सिरचंद नवादा की गलियों में चलनेवाले निजी हॉस्टलों में रहनेवाली अधिकतर छात्राएं शहर के कॉलेजों में पढ़ती हैं। कॉलेज में छात्रावास नहीं होने से निजी हॉस्टलों में रहने के लिए हर महीने दो से पांच हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसमें छात्राओं को एक कमरा और दो वक्त का खाना मिलता है, लेकिन खाने की गुणवत्ता भी ठीक नहीं रहती है। इसके लिए हमलोग हर महीने समय पर भुगतान भी करते हैं।

कॉलेज में सुविधा नहीं, दौड़ाते हैं कर्मी :

शहर के अधिकतर कॉलेजों में छात्राओं को प्राथमिकता नहीं दी जाती। प्रत्येक काम के लिए उन्हें बार-बार दौड़ाया जाता है। इस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। इसके अलावा छात्राओं के लिए अन्य सुविधाएं भी बढ़ायी जानी चाहिए। निजी हॉस्टलों में रहनेवाली छात्राओं का कहना है कि सड़कों पर शोहदों का डर बना रहता है। चौक-चौराहों पर शोहदे भ्रमण करते रहते हैं। अनहोनी की घटनाओं को लेकर अभिभावक भी चिंतित रहते हैं। लड़कियों ने बताया कि जब वह घर से कोचिंग जाने के लिए बाहर निकलती हैं तो अक्सर चौराहों पर असामजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। इससे भय लगता है। इसके बावजूद पुलिस कहीं भी दिखाई नहीं देती। निजी हॉस्टलों के पास महिला पुलिस की तैनाती रहनी चाहिए ताकि छात्राएं बेखौफ होकर हॉस्टल से बाहर निकल सकें। छात्राओं का कहना है कि शाम के समय अकेले बाहर निकलने में संकोच होता है। यहां पुलिस की गश्ती बढ़ाए जाने से छात्राओं को सुविधा होगी।

सड़क पर आवारा पशु, गलियों में कुत्तों का आतंक :

महराजगंज समेत विभिन्न मोहल्लों में आवारा पशुओं का आतंक रहता है। आवारा पशुओं में सूअर, कुत्ते, सांड व गाय कभी भी हमला बोल देते हैं। इससे हमेशा अनहोनी की आशंका बनी रहती है। इन पशुओं के हमले से कई छात्राएं घायल भी हो चुकी हैं। आवारा पशुओं को लेकर नगर निगम के अभियान का असर नहीं दिखता है। छात्राओं ने बताया कि शहर के अंबिका नगर मुहल्ले में कुत्तों का आतंक है। अब तक कईयों को काट चुके हैं। इस होकर अकेले गुजरने से लड़कियां डरती हैं। कई छात्राएं घायल हो चुकी हैं। गलियों में कुतों के झुंड से हमेशा डर बना रहता है। इनसे निपटने के लिए हमें डंडा लेकर निकलना पड़ता है। रितिका राज ने बताया कि कुतों ने इतना परेशान कर दिया है कि गली में घुसने से पहले इधर-उधर देखना पड़ता है, क्योंकि कुत्तों के झुंड कहीं से भी आकर हमला बोल देते हैं। निगम प्रशासन को इस समस्या का हल ढुंढ़ना चाहिए, ताकि हमलोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।

जाम रहने से कोचिंग पहुंचने में होती है देरी :

बाईपास में जाम रहने की वजह से छात्राओं को बहुत परेशानी होती है। जाम में साइकिल या पैदल चलने वाली छात्रा बिलंब से कोचिंग संस्थान देर से पहुंचती है। कई बार क्लास मिस हो जाती है या कक्षा में सबसे पीछे जगह मिलती है। शहर में जाम से निजत के लिए शहर के बाहर से ही एक बाईपास का निर्माण होना बेहद जरूरी है।

शिकायतें

1. निजी हॉस्टलों के बाहर व गलियों में गश्ती पुलिस नहीं रहती है, जिससे हमलोगों को सुरक्षा को लेकर हमेशा डर बना रहता है।

2. जलजमाव के कारण बरसात में छात्राओं को हॉस्टल से कॉलेज व कोचिंग आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

3. सड़कों पर नालों का गंदा पानी बहता रहता है। सड़क पर जलजमाव से दुर्गंध आती रहती है, जिसके कारण आने-जाने में परेशानी होती है।

4. शहर के चौक-चौराहों व गलियों में बिजली तार का मकड़जाल फैला है। इससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

5. कॉलेज में हॉस्टल नहीं होने से निजी हॉस्टलों में रहना उनकी मजबूरी है। कॉलेज प्रशासन को छात्राओं के लिए हॉस्टल चलाना चाहिए।

सुझाव

1. निजी हॉस्टलों और कोचिंगों के बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो, ताकि लड़कियां बेखौफ होकर अपना काम कर सकें।

2. कॉलेजों में लड़कियों के लिए अलग हॉस्टल व मेस की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके साथ ही वहां भोजन की गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था होनी चाहिए।

3. हॉस्टलों के आसपास सड़कों पर जमा कचरे का ढेर व बिजली के तार का मकड़जाल हटाया जाना चाहिए। नियमित सफाई की व्यवस्था हो।

4. गलियों में सड़क पर जलजमाव की समस्या का समाधान हो, ताकि आने-जाने में आसानी हो। नाला की सफाई करायी जाए।

5. छात्राओं के लिए लाइब्रेरी, शौचालय, छात्रावास व पार्क की व्यवस्था करायी जाए। ताकि छात्राओं को कम खर्च पर सुविधाएं मिल सकें।

सुनें हमारी बात

हॉस्टल से कॉलेज व कोचिंग जानेवाली सड़कों पर नाले का पानी बहता रहता है। बारिश में जलजमाव से बाहर निकलने में परेशानी होती है। छात्राएं गिरकर चोटिल हो जाती हैं। प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

-रानी कुमार

हमलोग अपने घर से दूर रहते हैं। निजी हॉस्टलों के मेस में खाने का बेहतर इंतजाम रहना चाहिए। भोजन अच्छा नहीं मिलेगा तो हम बीमार पड़ सकते हैं। इससे हमारी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाएगी। प्रशासन सख्ती बरते।

-कोमल कुमारी

शहर के निजी हॉस्टलों में स्वच्छ पेयजल की समस्या रहती है। कई बार पीने का पानी खरीदना पड़ता है। चौराहों व गलियों में सड़क किनारे पोल पर बिजली का तार लटका हुआ है। इससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है।

-काजोल कुमारी

शहर के निजी हॉस्टलों में छात्राओं के लिए लाइब्रेरी की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे हमलोगों को हॉस्टल के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। हॉस्टल के अंदर ही प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने में सुविधा होगी।

-सोनम कुमारी

शहर में शाम के वक्त किसी जरूरी काम से बाहर निकलने पर जाम मिलता हैं तो रास्ते में गश्ती पुलिस नहीं दिखती है। सड़क किनारे अकेले पैदल चलने में असुरक्षित महसूस करती हैं। पुलिस की गश्ती रहनी चाहिए।

-रोशनी कुमारी

अपने घर व माता-पिता से दूर रहनेवाली छात्राओं के लिए सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। निजी हॉस्टलों के आसपास व चौराहों पर भीड़ रहती है, इसलिए पुलिस प्रशासन को इस पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

-रिशु कुमारी

शहर में छात्राओं के लिए सरकारी स्तर पर छात्रावास व लाइब्रेरी की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे हमारी पढ़ाई व परीक्षा की तैयारी में सुविधा होगी। प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए अनुकूल माहौल भी मिल सकेगा।

-प्रिया कुमारी

शहर की अधिकतर सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक रहता है। गलियों में कुत्तों के झुंड परेशान करते हैं। ये अक्सर हमला बोल देते हैं। इससे छात्राओं को काफी परेशानी होती है। घर से बाहर निकलने में डर लगता है।

-सुमन कुमारी

सड़क पर नाले का गंदा पानी बहता रहता है, जिससे हॉस्टल आने-जाने में परेशानी होती है। दूसरी ओर आवारा कुत्तों के झुंड से भी डर बना रहता है। निगम प्रशासन द्वारा इन समस्याओं का जल्द समाधान किया जाये।

-मोनिका कुमारी

शहर के अधिकतर निजी हॉस्टल में खाना की सुविधा नहीं है। इससे खाना बनाने में काफी समय बर्बाद हो जाता है। इससे पढ़ाई भी प्रभावित होती है। अन्य हॉस्टलों के मेस में भोजन की गुणवता पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

-लवली कुमारी

निजी हॉस्टलों के पास महिला पुलिस की तैनाती रहनी चाहिए ताकि छात्राएं बेखौफ होकर हॉस्टल से बाहर निकल सकें।

-खुशी केशरी

शहर के अधिकतर कॉलेजों में छात्राओं को प्राथमिकता नहीं दी जाती। प्रत्येक काम के लिए उन्हें बार-बार दौड़ाया जाता है। इस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।

-शिवानी कुमारी

घर से निकली लड़कियों को रहने के लिए घर, पानी, बिजली, शौचालय, लाइब्रेरी, पार्क व खेलकूद के लिए मैदान जैसी बुनियादी सुविधाओं तक के लिए जूझना पड़ता है।

-सिमरन सिंह

कक्षाओं के लिए अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ शिक्षक व कोचिंग संस्थान हैं मगर, उस अनुरूप इस मुहल्ले में सुविधाएं नहीं हैं।

-अस्मिता कुमारी

बारिश होने पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। नाला से बदबू आते रहता है। बगल से बाइक व अन्य वाहन गुजरने पर कपड़ा खराब हो जाता है।

-आकृति

बाईपास में जाम रहने की वजह से छात्राओं को बहुत परेशानी होती है। जाम में साइकिल या पैदल चलने वाली छात्रा बिलंब से कोचिंग संस्थान देर से पहुंचती है।

-राजलक्ष्मी

बोले जिम्मेदार

शहर में सुरक्षा को लेकर प्रशासन सजग है। रात में कई बार पुलिस की गाड़ी गश्त करती है। यदि कहीं किसी प्रकार की शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

-मदन आनंद, एसपी, जमुई

बोले जमुई असर

बालू के अवैध उत्खनन पर सख्ती, 29 लाख 67 हजार वसूले

जमुई, हिन्दुस्तान संवाददाता। क्षेत्रों में अतिक्रमण और बालू खनन के कारण नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है। बहुत से ऐसे जगहों पर खेती की जमीन में नदी का किनारा तब्दील हो चुका है। जिससे नदियों के प्रवाह क्षेत्र में कमी आई है। वहीं बालू खनन के कारण नदी तल में बदलाव आ रहा है, जिससे नदियों का जलस्तर और भी घट रहा है। देखा जा रहा है कि बालू उत्खनन का अवैध व्यवसाय अकेले किसी नदी की घाट की समस्या नहीं, बल्कि यह जिले की सभी नदियों के घाटों की एक जैसी कहानी है। बालू खनन में सरकारी नियमों के विपरीत बालू माफिया अवैध व्यवसाय वृहद पैमाने पर जारी है। इसी को लेकर जमुई शहर सहित जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी खनन विभाग द्वारा लगातार छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। छापेमारी अभियान का नेतृत्व सहायक निदेशक खान एवं भूतत्व के अधिकारी अखलाक हुसैन कर रहे हैं। प्रत्येक दिन अवैध बालू लदे वाहन की धर-पकड़ हो रही है। इस समस्या को लेकर 11 अप्रैल को लेकर बोले जमुई पेज में खबर प्रकाशित की गई थी। सहायक निदेशक श्री हुसैन ने कहा कि किसी भी हाल में अवैध बालू उत्खनन नहीं करने दिया जाएगा। बरहट प्रखंड के बखारी में खान निरीक्षक ने 21 मई को अवैध बालू लदे ट्रैक्टर को जब्त किया। वहीं 22 मई को दो वाहन जमुई शहर स्थित कल्याणपुर घाट के पास, जमुई शहर के वीआई पी कॉलोनी के पास से ट्रैक्टर जब्त किया है। 23 मई को खैरा प्रखंड थाना क्षेत्र अंतर्गत एक बालू लदे ट्रैक्टर को जब्त किया । सभी वाहन पर प्राथमिक दर्ज हुई है। एक महीने 22 दिन में 260 जगहों पर छापेमारी की गई है। जिसमें अवैध रूप से बालू लदे 37 वाहन जब्त किये गये । 16 लोगों पर प्राथमिक दर्ज की गयी हैं। चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। 29 लाख 67 हजार की राजस्व वसूली की गई है। लोगों ने इसे हिन्दुस्तान के बोले जमुई मुहिम का असर बताया।

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