Challenges Faced by Mango Farmers in Saharsa Economic Struggles and Lack of Market Access बोले सहरसा: आम की मिठास पहुंचाने वाले किसानों की परेशानी हो दूर, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBhagalpur NewsChallenges Faced by Mango Farmers in Saharsa Economic Struggles and Lack of Market Access

बोले सहरसा: आम की मिठास पहुंचाने वाले किसानों की परेशानी हो दूर

सहरसा जिले का सिमरी बख्तियारपुर क्षेत्र आम उत्पादन में प्रमुख है, लेकिन किसान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। महंगे कीटनाशकों के बावजूद फसलें प्रभावित हो रही हैं। स्थायी आम मंडी का अभाव और बाहरी...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरWed, 4 June 2025 02:28 AM
share Share
Follow Us on
बोले सहरसा: आम की मिठास पहुंचाने वाले किसानों की परेशानी हो दूर

आम उत्पादक किसानों की परेशानी

प्रस्तुति: कुमार राजेश गुप्ता

सहरसा जिला का सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल का इलाका आम उत्पादन में जिले का प्रमुख क्षेत्र माना जाता है। जिले में कुल 1296.133 एकड़ भूमि पर आम के बागीचे फैले हुए हैं। इनमें सबसे बड़ा आम का गाछी बनमा ईटहरी प्रखंड के घोड़दौड़ गांव में स्थित है, जहां के लोग पारंपरिक खेती से अधिक आम की बागवानी पर निर्भर हैं। वहीं सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद क्षेत्र के वृंदावन का गुलाब खास आम अपनी खुशबू, स्वाद और सौंदर्य के लिए खास पहचान रखता है, जिसे न सिर्फ आसपास के जिलों में, बल्कि विदेश तक के लोग चाव से खरीदते हैं। लेकिन इन सबके बीच आम किसानों की स्थिति चिंताजनक है। कीमती कीटनाशकों के छिड़काव के बावजूद फसलें रोगग्रस्त हो जा रही हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा, इलाके में स्थायी आम मंडी का अभाव किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। बाहरी व्यापारी सीधे गाछियों में पहुंचकर बेहद कम कीमत पर आम खरीदते हैं और शहरों में ऊंचे दाम पर बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं। वहीं मेहनतकश किसान आर्थिक तंगी और बदहाली से जूझते रह जाते हैं।

सहरसा जिला का सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल आम उत्पादन के क्षेत्र में जिले का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। जिले भर में कुल 1296.133 एकड़ भूमि पर आम के बागीचे फैले हुए हैं, जिनमें 745 हेक्टेयर भूमि अकेले सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र में स्थित है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, अनुमंडल क्षेत्र के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में 490 हेक्टेयर, बनमा ईटहरी प्रखंड में 155 हेक्टेयर, एवं सलखुआ प्रखंड में 100 हेक्टेयर भूमि पर आम की बागवानी की जा रही है। सबसे बड़ा आम का गाछी बनमा ईटहरी प्रखंड के घोड़दौड़ गांव में स्थित है, जहां के किसान पारंपरिक खेती के बजाय आम की बागवानी पर निर्भर हैं। वहीं, सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद क्षेत्र के वृंदावन का "गुलाब खास" आम अपनी खुशबू, स्वाद और सुंदरता के लिए न केवल अंतरजिला स्तर पर, बल्कि नेपाल और विदेशों तक में भी लोकप्रिय है।इस सबके बावजूद आम किसानों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। किसान बताते हैं कि हर साल आम के मौसम के छह महीने पहले से ही वे अपने परिवार सहित बागानों में डेरा डाल देते हैं, वहीं रहना-सोना-खाना होता है। आम के वृक्षों की देखभाल और मंजर आने के समय दवा का छिड़काव किया जाता है, ताकि फसल अच्छी हो।

लेकिन कीमती कीटनाशकों के बार-बार छिड़काव के बावजूद आम की फसल पर रोगों का प्रकोप बना रहता है। इस बार कई किसानों ने बताया कि उन्होंने 9 बार स्प्रे किया, जिससे हजारों रुपये खर्च हो गए। घर में दवाओं के खाली डब्बे बोरे भर के पड़े हैं, फिर भी कई वृक्षों में "मधुआ रोग" लग गया है, जिससे आम खराब हो गए और उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इलाके में स्थायी आम मंडी का अभाव किसानों की सबसे बड़ी समस्या बन गया है। बाहरी व्यापारी सीधे गाछियों में पहुंचकर किसानों से बेहद कम कीमत पर आम खरीद लेते हैं और बड़े शहरों में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं। जबकि मेहनतकश किसान आर्थिक तंगी और कर्ज की दलदल में फंसे रह जाते हैं। कुछ व्यापारी तो पूरे बागान को खरीद लेते हैं और मुनाफा कमाने की उम्मीद करते हैं, लेकिन कभी-कभी मौसम की मार उनके सपनों पर पानी फेर देती है। वहीं आम किसान हर साल नई उम्मीद के साथ अच्छी फसल और उचित दाम की आस में बस इंतजार ही करते रह जाते हैं। सहरसा के आम को पहचान तो मिली है, लेकिन अब ज़रूरत है ब्रांडिंग, बाजार और सरकारी सहयोग की, ताकि आम किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब मूल्य मिल सके। किसानों का कहना है कि यदि उन्हें स्थानीय स्तर पर उचित मूल्य और विपणन की व्यवस्था मिल जाए, तो वे और बेहतर उत्पादन कर सकते हैं। समस्याओं के स्थायी समाधान के बिना सहरसा का यह मीठा आम आने वाले वर्षों में किसानों के लिए कड़वी याद बन सकता है। यह ज़रूरी है कि सरकार, उद्यान विभाग और संबंधित एजेंसियां मिलकर एक ठोस नीति बनाए, जिससे सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर आम किसान को उसका हक और मेहनत का मूल्य मिल सके। तभी जाकर यह "मीठा फल" वास्तव में किसानों के जीवन में मिठास ला सकेगा।

सबसे कीमती आम गुलाब खास:

सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद का प्रसिद्ध वृंदावन आम गाछी का आम सबसे अधिक कीमत में मिलती है। इलाके के लोग वृंदावन आम गाछी में इसलिए संपूर्ण जिले से पहुंचते हैं कि यहां आम पेड़ से तोड़कर उम्दा किस्म कर गुलाब खास आम खरीद सकें। लेकिन यहां पहुंच कर उसे निराशा हाथ लगती है। वृंदावन आम बिक्री के प्रमुख मो. इम्तियाज आलम बताते हैं, कि वृंदावन के गुलाब खास आम का दर 140 एवं 100 रुपए किलो तक मिलता है। दूसरी तरफ यहां के गुलाब खास आम स्थानीय बाजार में कम लेकिन अंतरजिला के बड़े बाजार में अधिक मिलता है। इसे यहां से आम व्यापारी ले जाकर बड़े बाजार में उंचे मूल्य में बेचते हैं। जिसके कारण स्थानीय बाजार में यह आम कम देखने को मिलता है।

शिकायतें

1. हम पूरी मेहनत करते हैं, लेकिन लाभ व्यापारी उठा ले जाते हैं। सरकार को सीधे किसानों को बाजार से जोड़ना चाहिए।

2. बिचौलियों का दबदबा, किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता है।

3. दवाएं बहुत महंगी हैं। नकली दवाओं से फसल बर्बाद हो जाती है।

4. पके आम की सुरक्षा के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाया जाएं।

सुझाव:

1. सरकार को सीधे किसानों को बाजार से जोड़ा जाएं। बाजार से डायरेक्ट लिंक की नीति बने, किसान-ग्राहक कनेक्ट बढ़े।

2. सरकार सब्सिडी पर अच्छी दवाएं मिलनी चाहिए। कीटनाशक सब्सिडी योजना का विस्तार और निगरानी।

3. आसपास के राज्यों की मंडियों से जोड़ना जरूरी है। इंटरस्टेट मंडी कनेक्शन और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट मिलें।

4. सिंचाई व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए। माइक्रो-इरिगेशन, वॉटर हार्वेस्टिंग जैसे कार्यक्रमों का विस्तार।

बोले जिम्मेदार:

सहरसा जिले सहायक निदेशक उद्यान शैलेंद्र कुमार ने बताया कि आम के बागान को लगाने के लिए किसानों को वृक्ष एवं अनुदान दिया जाता है। पूर्व में बागीचा बचाओ अभियान के तहत सरकार ने योजना चलाई थी। लेकिन पूर्व के वर्षों से बंद है। सहरसा में आम की खेती की व्यापक संभावना है। हम सरकार से स्थायी आम मंडी की स्थापना और कोल्ड स्टोरेज सुविधा की मांग करेंगे। साथ ही आम किसान के सुविधाएं हेतु प्रयास किया जाएगा।

शैलेंद्र कुमार,

सहायक निदेशक उद्यान पदाधिकारी,

सहरसा।

प्रखंड क्षेत्र में आम की खेती करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विभाग की ओर से किसानों को समय-समय पर तकनीकी जानकारी, रोग नियंत्रण उपाय और प्रशिक्षण दिया जाता है। आम किसानों को उन्नत किस्म के पौधे मिल रहें हैं। आम किसान इस सुविधा का लाभ उठाएं।

विकास कुमार,

प्रखंड उद्यान पदाधिकारी,

सिमरी बख्तियारपुर।

हमारी भी सुने

बनमा ईटहरी के घोड़दौड़ में आम का सधन बागान है। लेकिन यह सरकारी उपेक्षा के कारण बदहाल है। यहां के आम किसानों को व्यापक बाजार एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता है।

अबुल फराह साजली

यहां व्यापक मंडी नहीं है। जिसके कारण आम किसानों को परेशानी होती है। कोल्ड स्टोरेज रहना चाहिए। ताकि आम को खराब होने से बचाया जा सके।

मो. रब्बान

अभी हम महंगे दाम पर कीटनाशक खरीदते हैं। वाबजूद आम पर फुफदी लग जातीं हैं। उत्तम क्वालिटी की दवाएं सब्सिडी पर मिलनी चाहिए।

शिवशंकर शर्मा

बड़ी गाछी में सिंचाई की समस्या रहती है। सरकार को बोरिंग जैसी सुविधाएं आम किसानों के लिए तरह आम किसानों को भी सुलभ कराएं।

मो. उस्मान

हम सभी आम के गाछ पर 9 बार छिड़काव किेए है। आम के फल झड़ना बड़ी समस्या है। कृषि वैज्ञानिकों को इस पर और शोध कर समाधान निकालना चाहिए।

पवन शर्मा

आम उत्पादकों को बेहतर पैदावार की ट्रेनिंग के साथ अनुदान भी मिलनी चाहिए, ताकि हम बेहतर उत्पादन कर सकें।

श्याम शर्मा

आम के सीजन के 6 महीने पूर्व से ही हम सभी आम गाछ की सेवा में लगे रहते हैं। कड़ी मेहनत के वावजूद भी हमलोगों को घाटा लगता है। सरकार ध्यान दे।

रेखा देवी

आम किसानों की सबसे बड़ी समस्या है कि हजारों रुपए खर्च कर कई बार छिड़काव करते हैं। लेकिन आम में कीड़े लगने से मंजर झड़ जाते हैं। सरकार को अच्छी क्वालिटी का कीटनाशक उपलब्ध कराना चाहिए।

राजकुमार शर्मा

सिमरी बख्तियारपुर का आम अंतरजिला में जाता है। लेकिन यहां आम की मंडी नहीं है। तेज हवाएं फसल को बर्बाद कर देती हैं।

बिनोद शर्मा

घोड़दौड़ पंचायत में अधिकांश किसान आम के है। लेकिन उनकी समस्या अनेक है। उद्यान पदाधिकारी नियुक्त हैं। लेकिन वे ध्यान नहीं देते हैं।

मो. इरशाद

पहले एक सीजन में आम बेचकर घर का बड़ा कार्यक्रम हो जाता था, अब पैदावार कम होने से संभव नहीं है। सरकार आम किसानों की समस्या को प्राथमिकता दें।

बिनदो शर्मा

गर्मी में जलस्तर नीचे चले जाने से सिंचाई नहीं हो पाती है। कीमत सही नहीं मिलने से नुकसान उठाना पड़ता है। सरकार बिजली एवं मोटर पंप की सुविधा दें।

बिन्देसरी मुखिया

स्थानीय स्तर पर मंडी की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे यहां के आम उत्पादकों को सही दाम मिल सकेगा।

बबलू कुमार

आम का सही दाम नहीं मिल पाता है। महंगी दरों पर कीटनाशक दवा खरीदनी पड़ती है। इससे कई बार हमें नुकसान उठाना पड़ता है।

रुबी देवी

आम किसान को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता है।

गणेश पासवान

बहुत ठंड या गर्मी से आम की पैदावार प्रभावित होती है। कीटनाशक दवा भी महंगी है। इसलिए आम मूल्य भी महंगा होता है।

मो. इम्तियाज आलम

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।