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बोले जमुई : पेड़ तो लगाए जा रहे, लेकिन उसके संरक्षण के लिए प्रशासन की मिले मदद

कोरोना महामारी ने जमुई में पर्यावरण प्रेमियों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। 'साइकिल यात्रा एक विचार' मंच ने 2016 से अब तक 13,000 पौधे लगाए हैं। यह अभियान लोगों को हर परिवार में एक पेड़ लगाने के...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 9 June 2025 03:01 AM
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बोले जमुई : पेड़ तो लगाए जा रहे, लेकिन उसके संरक्षण के लिए प्रशासन की मिले मदद

प्रस्तुति, संजीव कुमार सिंह

कोरोना ने पूरे धरतीवासियों को अगाह कर दिया है। प्रकृति और पर्यावरण के प्रति सचेत किया है। मानव सभ्यता के इतिहास से कोविड-19 का काला अध्याय और पूरे विश्व पर आयी आर्थिक मंदी और मौत का दर्द कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। वह मानवीय लापरवाही, तंत्र की बेबसी और मौत की उलटी कहानी का एक ट्रेलर था। कोरोना ने एक सबक सिखाया, जिसकी ध्वनि-प्रतिध्वनि हर दिन, हर साल सुनाई दे रही है। तब प्राणवायु ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी ने मौत के तांडव में भरपूर सहयोग दिया था। वह मनहूस घड़ी दोबारा न आए, इसके लिए पर्यावरणप्रेमियों की टोली वर्ष 2016 से जनजागरूकता में जुटा है। स्कूलों, अस्पतालों व अन्य सार्वजनिक जगहों पर जाकर न सिर्फ पेड़ पौधे बांटते हैं और पेड़ लगाते रहते हैं। इस काम में अनेक चुनौतियों के बीच वे धरा को हरा भरा बनाने में जुटे हैं। उनका कहना है प्राणवायु ऑक्सीजन का फिर न मचे हाहाकार, इसके लिए प्रकृति और पर्यावरण से करें प्यार। हमारा सपना, हर घर में कुछ पेड़ हो अपना का करें साकार संदेश के साथ यह टोली नौ सालों से अभियान चला रही है। लोगों को छोटे से छोटे जगह में भी जगह के अनुसार पेड़ पौधे लगाने की सीख दे रही है। वे कहते हैं धरा को हरा­-भरा बनाकर ही हम भावी पीढ़ियों का भविष्य संवार सकते हैं।

पेड़ लगाकर हरा भरा बनाकर ही हम मानव सभ्यता को सींचते हैं। यह न सिर्फ धरती के लिए जरूरी है। बल्कि, मानवों के साथ अन्य चेतन और अचेतन मूल्यों के लिए भी आवश्यक है। कोरोना संकट काल में ऑक्सीजन की कमी ने हमें बहुत बड़ी सीख दी है। अब कहने की नहीं करने की बारी है। साइकिल यात्रा एक विचार जमुई की टोली लगातार कोसों दूर जाकर पौधे लगाते हैं। जमुई के दो सौ युवाओं की टोली इस मिशन में लग चुकी है। कभी 25 लोगों से शुरू हुई इस टोली से आज दो सौ लोग जुड़ चुके हैं। जमुई शहर से शुरू हुआ आज जिले के सभी प्रखंड में काम कर रही है। हर रविवार को यह टोली पौधे लगाने के लिए निकल पड़ती है। जिले में अबतक 13 हजार पौधे लगा चुके हैं। इस टोली की खासियत है कि सभी सदस्य खुद से पेड़ लगाते हैं। जहां तक पेड़ बांटने की बात है तो वह अलग से करते हैं। निस्वार्थ जिले में साइकिल यात्रा कर कोसों दूर जाकर पौधे लगाते हैं। अब तक 50 हजार पौधे लोगों को मुफ्त में बांटे हैं। चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए आज इस टोली से सरकारी कर्मी, चिकित्सक, इंजीनियर, बैंक प्रबंधक, पत्रकार, शिक्षक तक जुड़े हुए हैं।

कोरोना के बुरे दौर को याद कर आज भी मन और शरीर सिहर उठता है। मौत के उस तांडव से बचे अनेक लोग तब से अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की नियमित जांच करा रहे हैं। लोग सेहत को लेकर काफी सचेत हुए हैं। वहीं कुछ युवाओं ने कोरोना काल से पारिस्थितिकी तंत्र को दुरूस्त करने का बीड़ा उठाया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज जमुई जिला आम, कटहल, अमरूद उत्पादन करते हैं। कोरोना के बुरे एहसास के बाद आम लोग भी शहर से लेकर गांवों, सड़कों से लेकर पगडंडियों तक पौधे लगाने और लगवाने में जुट गए हैं। चंद युवकों का प्रयास अब एक बड़े समूह का अभियान बन चुका है। जमुई में आपके अपने दैनिक अखबार हिन्दुस्तान के बोले जमुई संवाद कार्यक्रम में इन पर्यावरणप्रेमियों की टोलियों ने कहा कि शुरुआत में लोग हमारा उपहास करते थे। आज वही उपहास करने वाले लोग टोली के साथ आ चुके हैं। हमारा प्रयास बचपन से ही बच्चों को हरियाली के प्रति संवेदनशील बनाना है। इसलिए हर माह कम से कम सात से आठ स्कूलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। बरसात के दिनों में यह अभियान और तेज हो जाता है।

मंच के संस्थापक विवेक कुमार, सच्ची राज पद्माकर, शैलेश कुमार, कुंदन सिंह, राहुल कुमार, अभिषेक कुमार झा, गोलू कुमार, राकेश कुमार, दशरथ कुमार व हर्ष ने कहा कि कोरोना के समय शरीर का तापमान बढ़ा था, शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो रही थी। आज वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, उसमें ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है। यह स्थिति पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पैदा हो रही है। उन्होंने बताया, हमने महसूस किया कि ईको सिस्टम सही रहा, तो शरीर के इम्युन सिस्टम को भी दिक्कत नहीं होगी और ईको सिस्टम की सेहत पेड़-पौधों पर ही टिकी है। इसलिए हमने पौधे लगाने-लगवाने की मुहिम शुरू की। इसके लिए किसी से आर्थिक सहायता नहीं मांगी। विकास रंजन, टिंकू पासवान कहते हैं पहले इसके लिए हम घरों से ही सहयोग करते थे। आज कई अन्य लोग सहयोग के लिए आगे आए हैं।

वातावरण में तापमान बढ़ना गंभीर चुनौती

पर्यावरणप्रेमियों ने कहा कि वातावरण में लगातार तापमान वृद्धि गंभीर चुनौती बनती जा रही है। विडंबना यह कि इसे अब भी आमजन गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसका खामियाजा हमें अक्सर बाढ़, सुखाड़ और अन्य आपदाओं से जुझकर चुकाना पड़ रहा है। बावजूद, लोग इन चुनौतियों को नजरंदाज कर रहे हैं। छोटी शुरुआत, बड़ा उद्देश्य कोरोना काल के बाद हरियाली के महत्व को समझाने निकले युवाओं ने छोटी शुरुआत की। पौधे लगाने के साथ उनकी सुरक्षा, पौधों से मिलने वाले ऑक्सीजन के महत्व को समझाने का प्रयास किया। लोगों को इसके लिए जागरूक किया। पौधे लगाने के बाद उसकी देखभाल करने का संकल्प दिलाया। पेंटिंग, पोस्टर, ऑक्सीजन मास्क लगाकर यहां तक की कुछ लोगों ने पीठ पर ऑक्सीजन गैस की सिलेंडर टांगकर आने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति आगाह किया है। उन्होंने बताया कि सामने कई तरह की चुनौतियां आती हैं। कभी पौधे लगाने के लिए जगह नहीं मिलती, तो कभी जागरूकता के लिए भी विभागों से अनुमति लेनी पड़ती है।

सोनो, बरहट, व खैरा में भी चला रहे अभियायन :

जमुई के बाहर सोनो, बरहट, व खैरा में भी चला रहे अभियान सप्ताह में एक दिन पौधे बांटकर वे लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। संस्थापक विवेक कुमार ने बताया कि शुरू में हमने जमुई शहर से इसकी शुरुआत की। इसके बाद आसपास के प्रखंडों में भी लोगों को जागरूक करना शुरू किया। अब जिले के सभी प्रखंडों में यह अभियान चल रहा है। वहां के स्थानीय युवा भी इससे जुड़ रहे हैं। अबतक 13 हजार से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। पर्यावरणप्रेमियों की यह टीम सोशल मीडिया के जरिए भी अपनी मुहिम से आम लोगों को जोड़ रही है। शैलैश कुमार, कुंदन सिन्हा व अन्य ने कहा मकानों एवं घरों में लोग आम तौर से ग्रीन एरिया को लेकर संवेदनशील नहीं होते हैं। जबकि, छज्जा और कॉरिडोर के साथ ही बालकोनी में भी गमलों में कई पौधे लगाए जा सकते हैं। छतों पर बागवानी की जा सकती है। उन्होंने लोगों से घरों में ग्रीन रिया बनाने और हरियाली लाने का संदेश दिया। मकान मालिकों से हरियाली के लिए ईमानदारी से प्रयास करने की अपील की।

धरती को हरा-भरा बनाने का संकल्प :

जमुई के विवेक कुमार ने अपने मंच के जरिए पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक जागरूकता को एक नया आयाम दिया है। 10 जनवरी 2016 में शुरू हुआ यह अभियान अब जमुई जिले के गांवों कस्बों तक अपनी हरियाली फैला रहा है। मिशन का मकसद सरल लेकिन प्रबल है। धरती को हरा-भरा रखना और हर परिवार के पास कम से कम एक पेड़ की सौगात पहुंचाने के संकल्प के साथ इनकी टोली निकल चुकी है। विवेक कुमार और उनकी टीम ने नि:शुल्क पौध वितरण, स्कूलों में जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता के जरिए लाखों पौधों को धरती की गोद में लगाकर पर्यावरण संरक्षण की मिसाल कायम की है। यह प्रेरणादायक सफर है, जो पेड़ों की छांव में एक स्वस्थ और सतत भविष्य का सपना बुन रहा है।

हरियाली का सपना, धरती का दुलार :

जब जमुई जिले में पेड़ लगाने लगना शुरू किया। हमलोगों का लक्ष्य था हर परिवार के पास कम से कम एक फलदार पेड़ हो, जो न केवल ऑक्सीजन दे, बल्कि फल, छाया और आर्थिक समृद्धि भी लाए। राजीव कहते हैं हमारा फेसबुक पेज कहता है हमारा सपना, हर परिवार के पास कुछ पेड़ हुआ अपना। हम नि:शुल्क पौधे बांटते हैं, ताकि धरती हरी रहे और लोग प्रकृति से जुड़ें। कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन की कमी ने पर्यावरण की महत्ता को और उजागर किया। यह पेड़ न केवल ऑक्सीजन का स्रोत हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र (ईको सिस्टम) को संतुलित रखने का आधार भी है। यह सफर उपलब्धियों और चुनौतियों की है, जो बिहार के जमुई से शुरू होकर पूरे देश के लिए प्रेरणा बन रही है। वैश्विक तापमान वृद्धि और पर्यावरण संकट के दौर में एक मशाल की तरह हैं। वे अन्य युवाओं के लिए एक मिसाल भी पेश कर रहे हैं। यह न केवल मिशन हरियाली की, बल्कि हर नागरिक और सरकार की भी जिम्मेदारी है।

फलदार पौधे लगाना अर्थिक और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी

जमुई में शुरुआत जून 2016 में हुई थी। हमारा मकसद धरती को हरा-भरा रखना है। हम चाहते हैं कि हर परिवार के पास कम से कम एक पेड़ हो, जो फल दे, छाया दे, और पर्यावरण को संतुलित रखे। मिशन का मूल उद्देश्य नि:शुल्क फलदार पौधों का वितरण करना और लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना है। विशेष रूप से अमरूद और कटहल जैसे पौधों पर जोर दिया जाता है, क्योंकि ये पौधे न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद हैं। लोगों को खासकर बच्चों को इसके लिए जागरूक भी किया जा रहा है।

विवेक कुमार, संस्थापक, साइकिल यात्रा एक विचार मंच जमुई

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मंच का नारा है हर परिवार, हर पेड़, हरा-भरा सपना हमारा। यह नारा न केवल पर्यावरण संरक्षण की बात करता है, बल्कि सामुदायिक भागीदारी और भावनात्मक जुड़ाव को भी प्रोत्साहित करता है। हमारा उद्देश्य सिर्फ पेड़ लगाना नहीं, बल्कि लोगों के मन में पेड़ों के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी जगाना है। जब हम एक पौधे लगाते हैं, तब हम कई स्तर पर जाने अनजाने आम से लेकर खास लोगों तक की मदद कर रहे होते हैं। ये पेड़ न सिर्फ हमें प्राणवायु ऑक्सीजन देते हैं। बल्कि, वे हमें छांव, लकड़ी व फल भी देते हैं। बागवानी कर हम पर्यावरण संरक्षण के साथ कमाई भी कर सकते हैं। लोगों को इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

-कुंदन सिन्हा

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अपनी स्थापना के बाद से उल्लेखनीय प्रगति की है। अगले महीने तक हम 13 हजार पौधे लगाने करने का लक्ष्य हासिल किया है। इसमें सात हजार अमरूद और कटहल के पौधे शामिल हैं। यह संख्या न केवल साइकिल यात्रा एक विचार मंच जमुई की मेहनत को दर्शाती है, बल्कि सामुदायिक समर्थन और जागरूकता के स्तर को भी उजागर करती है। हर स्तर पर हमें सहयोग मिल रहा है। पहले काफी चुनौतियां थीं। अब धीरे-धीरे लोग इस अभियान से जुड़ते जा रहे हैं। हम धरती पर ऑक्सीजन की फैक्ट्री (पेड़ पौधे) लगाने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। इसके लिए सामुहिक प्रयास किया जा रहा है।

-शैलैश कुमार

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जमुई से शुरू होकर पुरे जमुई जिला के सभी प्रखंडों में अपनी पहुंच बनाई है। सदर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, केकेएम कालेज आदि जगहों पर प्रत्येक रविवार को पौधे लगाते है। जो रोगियों व परिजनों के माध्यम से शेखपुरा, जमुई, लखीसराय नवादा समेत अन्य जिलों तक पहुंचते हैं। हम एक व्यक्ति को एक बार में एक ही पौधा देते हैं, ताकि वह उसे लगाए और उसकी देखभाल करे। इस तरह सात सौ पौधे सात सौ घरों तक पहुंच जाते हैं। इसमें लोगों का पूरा सहयोग मिल रहा है। सफलता दर 90 फीसद है। निजी जमीन पर लगाए गए पौधों की देखभाल अच्छी होती है। अमरूद का पौधा अपनी कठोरता के कारण विशेष रूप से लोकप्रिय है।

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सुझाव और शिकायत

शिकायत

1 सड़कों व सहायक मार्गों पर लगे पौधों की देखभाल नहीं होती।

2 आम लोग भी अपने आसपास लगे पौधों की रक्षा नहीं करते हैं।

3 विकास के नाम पर पेरों की अंधाधुंध कटाई हो रही है।

4 नए पेड़ पौधे लगाने के बाद उसकी नियमित देखभाल नहीं होती है। बेहतर काम करने वालों प्रेरित नहीं किया जाता है।

5 घर बनाते समय ग्रीन एरिया का कोई प्रावधान है भी तो उसे धरातल पर नहीं उतर जा रहा है।

6 पेड़ों के साथ पशु-पक्षियों की सुरक्षा एवं उनके भोजन के लिए भी सामूहिक प्रयास हो, पर्यावरण व धरती की सुरक्षा स्वच्छता और सुंदरता के साथ हरियाली बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए।

सुझाव

1 नगर निगम व स्थानीय प्रशासन को पौधों का संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए

2 आम लोगों को भी अपने आसपास के पौधों की रक्षा करनी चाहिए

3 विकास के नाम पर पेरों की अंधाधुंध कटाई बंद हो नए पेड़ पौधे लगाए जाने चाहिए

4 बेहतर काम करने वालों को सम्मानित किया जाए इससे अन्य को भी प्रेरणा मिलेगी

5 घर बनाते समय ग्रीन एरिया का भी प्रावधान हो पेड़ों के साथ पशु पक्षियों की सुरक्षा एवं उनके भोजन के लिए भी सामूहिक प्रयास हो

6 पर्यावरण व धरती की सुरक्षा स्वच्छता और सुंदरता के साथ हरियाली बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए।

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1 करोना के बाद जब पेड़ लगाना शुरू किया तो काफी उपहास हुआ है लोग काफी हंसे है। लेकिन पेड़ लगाने से हम चुके नहीं। हम लगातार अपना कार्य शैली को विस्तार करते रहे बाद में लोगों का सहयोग मिलना भी शुरू हुआ। हम लोगों से अपील करते हैं कि हर व्यक्ति पौधारोपण करें।

-अमित सिंह

2 पौधे तो हम मानव के लिए काफी जरूरी है। देश में विपदाएं आ रही है क्योंकि देश की जनता पर्यावरण से खेला है। जनसहयोग से ही धरा को हरा भरा बनाया जा सकता है। हम लोग दिल से इस अभियान में लगे हुए है।

-पंकज कुमार

3 हर पौधा धरती के ताप को कम करता है। ठंडक लाता है। इस धरती को ठंडक और ऑक्सीजन देता है। ऑक्सीजन मिलेगा तभी इंसान जीवित रह सकता है। इसके लिए हर साल खाली जगहों पर पौधे लगाने चाहिए।

-अनिल मांझी

4 हर व्यक्ति को पेड़ लगानी चाहिए लगाने के साथ-साथ उसकी देखभाल भी करना जरूरी है लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक करना भी जरूरी है, खाली जगहों पर पेड़ पौधे लगाकर हरियाली लायी जा सके। अब इसका काफी जनसमर्थन मिल रहा है।

-मनोज मांझी

5 पेड़ पौधे ही हमारी असली जिंदगी है इसे जितना लगाएंगे उतना ही अधिक लाभ मिलेगा पेड़ लगाने से फल हवा ऑक्सीजन सभी मिलता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाया जा रहा है।

-छोटू कुमार

6 जमुई जिला अब आम, अमरूद, कटहल उत्पादन करता है। लोग अब स्वेच्छा से पौधे लेते हैं । स्कूलों में बच्चों के बीच काम करने से नई पीढ़ी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो रही है।

-भीम मांझी

7 हर पौधा एक उम्मीद है, जो धरती को हरा और हमारी सभ्यता को और सशक्त बनाएगा। हमारा सपना है कि हर परिवार का अपना पेड़ हो। इसके लिए काम किया जा रहा है। लोगों का भरपूर सहयोग भी मिल रहा है।

-तलैवर मांझी

8 हम पेड़ नहीं, बल्कि भविष्य बो रहे हैं। हर आम, अमरूद का पौधा एक बच्चे के सपने को पोषित करता है। हरियाली लानी है तो पौधे लगाकर उसकी देखभाल करनी होगी। बागवानी को बढ़ावा देना होगा।

-विशाल कुमार

9 1.5 डिग्री का संकट हमारे लिए एक अलार्म है। हमें खुले मन से पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके। बच्चों का भविष्य संवर सके। आने वाले समय में प्राणवायु के लिए न तरसना पड़े।

-ओम प्रकाश साह

10 एक जिंदा पौधा तुम्हारे हाथ में है। इसे जिंदा रखो, ताकि धरती भी जीवित रहे। बच्चों को यह मूलमंत्र बताकर उन्हें पौधों को लगाने व उसकी देखभाल करने का संकल्प दिलाया जाता है। ताकि, उन बच्चों का उस पौधे भावनात्मक लगाव हो ।

-धारो साह

11 पौधे लगाए हरियाली बढ़ाएं। पेड़ पौधे ही हमारी जिंदगी है। हर व्यक्ति को बचपन से ही बच्चों को हरियाली से जोड़ने की जरूरत है। ताकि वे पेड़ पौधों की अहमियत को समझ सकें।

-राहुल कुमार

12 पंचायतों में पौधा लगाने के लिए अभियान चलाया जाए। जीविका समूहों को पौध वितरण व देखभाल में शामिल किया। हालांकि, गाहे बेगाहे ही सही मगर जीविका दीदी इसमें सहयोग कर रही हैं। लेकिन, इसे और बढ़ाने की जरूरत है।

-फिरोज खान

13 पंचायत के युवाओं को पेड़ पौधे लगाने के लिए जागरुक करना जरूरी है। युवाओं को हरियाली परिवार की मेहनत की कहानी है। यह पर्यावरण, शिक्षा, और सामुदायिक एकता का संगम है। इसके लिए जनभागिदारी भी बढ़नी चाहिए।

-छोटू मांझी

14 स्कूलों में पर्यावरण अनिवार्य विषय बनाया जाए। बच्चों को पौधों को लगाने से लेकर उसकी देखभाल की जानकारी दी जानी चाहिए। साथ ही इसमें बेहतर काम करने वाले बच्चों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कृत किया जाना चाहिए।

-अमित कुमार

15 जमुई जिला प्रशासन और बिहार सरकार के जन समाधान पोर्टल पर पर्यावरण से संबंधित शिकायतें दर्ज होनी चाहिए। स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की तर्ज पर हर परिवार, हर पेड़ अभियान शुरू होनी चाहिए।

-डब्लू साह

16 हो सकता है कि हर घर में बड़े छायादार पेड़ों के पौधे लगाने के लिए जगह नहीं हो। लेकिन उन जगहों पर गमलों में पेड़ को लगाया जा सकता है। छतों पर बागवानी की जा सकती है। इससे हरियाली भी बनी रहेगी।

-सत्यम कुमार

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