Farmers in Katihar District Face Crisis Rising Costs Labor Shortage and Tax Burden on Tractors बोले कटिहार : खेती छोड़ रहे किसान, ट्रैक्टर अनुदान और टैक्स राहत मिले, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार : खेती छोड़ रहे किसान, ट्रैक्टर अनुदान और टैक्स राहत मिले

कटिहार जिले में किसान लागत, अनिश्चित मौसम और मजदूरों की कमी से जूझ रहे हैं। ट्रैक्टर पर टैक्स और अन्य शुल्क उनके लिए बोझ बन गए हैं। किसान ट्रैक्टर का सीमित उपयोग कर रहे हैं, जिससे अतिरिक्त कमाई का...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 29 April 2025 12:00 AM
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बोले कटिहार : खेती छोड़ रहे किसान, ट्रैक्टर अनुदान और टैक्स राहत मिले

कटिहार जिले में किसानी अब संकट के दौर से गुजर रही है। बढ़ती लागत, अनिश्चित मौसम और मजदूरों की भारी कमी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। ऊपर से ट्रैक्टर जैसे कृषि उपकरण भी अब टैक्स, फिटनेस और अन्य शुल्कों के कारण किसानों के लिए अतिरिक्त बोझ बनते जा रहे हैं। खेतों से आमदनी घटने और खर्च बढ़ने की मार झेल रहे किसान अपने साधनों को भी सही हालत में रखना मुश्किल पा रहे हैं। सरकारी नियमों के कारण ट्रैक्टर का सीमित उपयोग होने से अतिरिक्त कमाई का रास्ता भी बंद है। नतीजतन, जिले से युवाओं का पलायन तेज हो गया है। किसानों का कहना है कि खेती को फिर से लाभकारी बनाने के लिए ट्रैक्टर पर टैक्स माफी और छोटे व्यावसायिक कार्यों की छूट दी जानी चाहिए। यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कटिहार के खेत और गांव दोनों वीरान हो सकते हैं।

03 लाख 50 हजार किसान परिवार हैं जिले के प्रखंडों में

18 हजार पंजीकृत ट्रैक्टर हैं जिले में कृषि कार्य के लिए

05 साल में जिले से 18 प्रतिशत युवाओं ने किया पलायन

जिले में अब खेती घाटे का सौदा बन गई है। ऊपर से ट्रैक्टर रखने का खर्चा भी अलग सिर दर्द बन गया है। सोमवार को हिन्दुस्तान संवाद टीम से बातचीत में किसानों ने अपनी पीड़ा कुछ इस तरह बयां की। किसानों ने कहा कि बेमौसम बारिश, मजदूरों की कमी और बढ़ती लागत के कारण खेती में अब आमदनी की कोई गारंटी नहीं रह गई है। महंगे खाद-बीज के साथ उत्पादन खर्च तो बढ़ता जा रहा है, पर फसल की कीमत वही पुरानी। नतीजा यह है कि पूंजी भी कई बार नहीं निकल पाती। किसानों ने बताया कि खेती के लिए ट्रैक्टर रखना अब बोझ बन गया है। रोड टैक्स, फिटनेस, इंश्योरेंस जैसे खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। जबकि नियम इतने सख्त हैं कि खेती के ट्रैक्टर से ईंट, बालू ढुलाई जैसे छोटे-मोटे काम करने पर भारी जुर्माना भरना पड़ता है।

सरकार से टैक्स माफी और छूट की मांग :

किसानों ने सरकार से मांग की कि खेती के लिए प्रयुक्त ट्रैक्टरों पर सभी प्रकार के टैक्स माफ किए जाएं। साथ ही किसानों को सीमित व्यावसायिक कार्य करने की अनुमति दी जाए, ताकि वे ट्रैक्टर से थोड़ी बहुत अतिरिक्त कमाई कर सकें। इससे न केवल खेती में फिर से निवेश संभव होगा, बल्कि किसान कर्ज के जाल से भी बचेंगे। किसानों ने चिंता जताई कि गांवों से युवा तेजी से बाहर जा रहे हैं। खेती अगर लाभकारी नहीं बनी, तो गांव वीरान हो जाएंगे। सरकार अगर किसानों को राहत देगी तो युवा खेती की ओर लौटेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

खाद-बीज की समय पर आपूर्ति जरूरी :

किसानों ने खाद और बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा बिचौलियों पर सख्त कार्रवाई की भी मांग की। किसानों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सरकार अगर साथ दे तो फिर से खेतों में हरियाली लौटेगी, नहीं तो हम खेती से भी हाथ धो बैठेंगे। किसानों ने कहा कि कृषि ट्रैक्टर पर सभी टैक्स माफ हों, सीमित व्यावसायिक कार्य की अनुमति मिले, खाद और बीज समय पर मिलें, बिचौलियों पर कार्रवाई हो, खेती को लाभकारी बनाने की पहल हो।

शिकायतें

1. कृषि कार्य के लिए उपयोग किए जा रहे ट्रैक्टर पर उच्च टैक्स और फिटनेस शुल्क लगाना किसानों के लिए अत्यधिक बोझ बना हुआ है, जो उनकी आर्थिक स्थिति को और खराब कर रहा है।

2. कृषि ट्रैक्टर को केवल कृषि कार्य में इस्तेमाल करने की सख्त शर्तों ने किसानों को व्यावसायिक काम से वंचित कर दिया है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय के अवसर से हाथ धोना पड़ता है।

3. मौसम में लगातार बदलाव और अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाएं किसानों की उपज को प्रभावित कर रही हैं, जिससे उनकी मेहनत और पूंजी पर पानी फिर रहा है।

4. कृषि कार्य में पर्याप्त मजदूर न मिलना एक बड़ी समस्या बन चुकी है, और यह भी खेती की लागत को बढ़ा देता है।

5. किसान बाजार में अपने उत्पाद बेचने के लिए बिचौलियों पर निर्भर हैं, जो उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं दिलाते और किसानों को नुकसान पहुंचाते हैं।

सुझाव:

1. कृषि कार्य में प्रयुक्त ट्रैक्टरों पर सभी प्रकार के टैक्स, फिटनेस शुल्क और बीमा शुल्क माफ किए जाएं, ताकि किसानों को आर्थिक राहत मिल सके।

2. किसानों को ट्रैक्टर से छोटे व्यावसायिक कार्य करने की अनुमति दी जाए, ताकि वे अपनी अतिरिक्त आय बढ़ा सकें और खेती में पूंजी निवेश कर सकें।

3. सरकार को किसानों को मौसम की प्रतिकूलताओं से बचाने के लिए सुरक्षित बीमा योजनाएं और आपातकालीन सहायता प्रदान करनी चाहिए।

4. किसानों के लिए प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं के तहत युवा श्रमिकों को कृषि कार्य में शामिल करने के लिए पहल करनी चाहिए, जिससे मजदूरी की समस्या का समाधान हो सके।

5. सरकार को खाद और बीज की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि किसानों को किसी प्रकार की आपूर्ति संकट का सामना न करना पड़े।

सुनें हमारी बात

खेती में दिन-ब-दिन लागत बढ़ती जा रही है, लेकिन आमदनी घटती जा रही है। ट्रैक्टर का टैक्स और फिटनेस फीस देना अब बहुत भारी पड़ता है। सरकार को चाहिए कि किसानों को टैक्स में पूरी छूट दे, ताकि हम अपने संसाधन संभाल सकें और खेती को छोड़ने की नौबत न आए।

-दुखन ऋषि

अब तो खेती घाटे का सौदा बन गई है। ट्रैक्टर-ट्राली का कागज दुरुस्त रखना मुश्किल है। जब फसल का सही दाम ही नहीं मिलेगा तो टैक्स कहां से भरें? सरकार को किसानों को टैक्स और नियमों में ढील देनी चाहिए ताकि हम खेती से जुड़े रह सकें।

-सुधीर पासवान

खेतों में काम करने वाले मजदूर नहीं मिलते और ऊपर से ट्रैक्टर पर भी टैक्स और चालान का डर। खेती करने में जोश खत्म हो रहा है। सरकार अगर खेती को बचाना चाहती है तो टैक्स माफी और ट्रैक्टर से छोटे काम करने की छूट देनी चाहिए।

-शत्रु ऋषि

हमारे जैसे छोटे किसान के लिए ट्रैक्टर चलाना भी एक बोझ बन गया है। हर साल रोड टैक्स और फिटनेस की भागदौड़ से परेशान हो गए हैं। अगर ट्रैक्टर से थोड़ा ईंट-बालू भी ढुलाई कर लें तो पुलिस पकड़ लेती है। सरकार को नियमों में नरमी लानी चाहिए।

-अनिल कुमार

खेती में न मजदूर मिलते हैं न समय पर खाद-बीज। ऊपर से ट्रैक्टर पर टैक्स भरने और फिटनेस कराने का झंझट। खेती अब सम्मान का नहीं, परेशानी का काम हो गया है। सरकार को चाहिए कि किसानों को टैक्स से मुक्त कर दे और कुछ कमाई के रास्ते खोले।

-गोपाल जायसवाल

हम खेत में खूब मेहनत करते हैं लेकिन अंत में लागत भी नहीं निकलती। ट्रैक्टर खरीदने के बाद सोचा था मदद मिलेगी, अब वह भी बोझ बन गया है। टैक्स, चालान, फिटनेस में सारा पैसा चला जाता है। सरकार किसानों के लिए अलग नियम बनाए।

-नीतीश कुमार पासवान

अब खेती में मुनाफा नहीं रहा। ट्रैक्टर से काम करना तो दूर, उसके कागज भी ठीक कराना मुश्किल हो गया है। हर जगह दलाल बैठे हैं। सरकार अगर ट्रैक्टर टैक्स माफ कर दे और खेती को फायदे का धंधा बनाए तो गांव के लोग वापस लौट सकते हैं।

-रोहित कुमार

खेती छोड़ने का मन करता है। खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर है लेकिन हर साल भारी टैक्स देना पड़ता है। ऊपर से व्यावसायिक ढुलाई करने पर जुर्माना लगता है। सरकार अगर किसानों को थोड़ी आजादी दे तो खेती भी बचेगी और गांव भी।

-बबलू ठाकुर

ट्रैक्टर तो खरीदा था खेती को आसान बनाने के लिए, अब वही सिरदर्द बन गया है। टैक्स, फिटनेस, चालान सबमें फंस गए हैं। खेती से आमदनी नहीं हो रही है, मजदूर भी नहीं मिलते। सरकार किसानों की हालत समझे और राहत दे।

-राजू कुमार

खेती में दिन-रात मेहनत करने के बावजूद गुजारा मुश्किल हो गया है। ट्रैक्टर का टैक्स भरना हर साल टेंशन देता है। ट्रैक्टर से व्यावसायिक काम करने की छूट मिले तो हम अपने परिवार का पेट पाल सकेंगे। सरकार को किसानों का दर्द समझना चाहिए।

-मो. शमशाद

आज खेती घाटे का धंधा बन गई है। ट्रैक्टर पर खर्च अलग, खेती में लागत अलग, और आमदनी नाम मात्र। रोड टैक्स और फिटनेस के चक्कर में किसानों का खून चूसा जा रहा है। सरकार टैक्स माफ करे और खेती को मजबूत करे।

-राजेंद्र पासवान

गांव से नौजवान बाहर जा रहे हैं क्योंकि खेती से गुजारा नहीं हो रहा। ट्रैक्टर चलाने के बाद भी कमाई नहीं, उल्टा टैक्स और चालान का झंझट। किसानों को भी कमाई का हक मिलना चाहिए। सरकार को नियमों में नरमी करनी होगी।

-चमनलाल पासवान

मजदूरों की कमी और फसल का गिरता दाम किसानों के जख्म पर नमक का काम कर रहा है। ट्रैक्टर के टैक्स और फिटनेस का खर्च अब बर्दाश्त के बाहर है। अगर सरकार मदद नहीं करेगी तो गांव वीरान हो जाएंगे।

-गिरधारी ठाकुर

खेती करना अब साहस का काम हो गया है। फसल उगाओ भी तो बाजार में दाम नहीं। ट्रैक्टर का टैक्स, फिटनेस, चालान हर साल सिर पर। सरकार अगर किसानों को छूट दे दे तो गांव का विकास भी संभव है।

-मुनिलाल पासवान

किसानों पर नियम-कानूनों का पहाड़ टूट पड़ा है। ट्रैक्टर से ढुलाई कर लें तो चालान कटता है, नहीं करें तो टैक्स भरते रहो। खेती अब सजा बन गई है। सरकार को चाहिए कि किसानों को टैक्स और नियमों में राहत दे।

-कैलाश सिंह

खेती के हालात ऐसे हैं कि खेत जोतने से ज्यादा परेशानी टैक्स भरने में होती है। ट्रैक्टर, बीज, खाद सब महंगा हो गया है लेकिन फसल का दाम वही का वही। सरकार किसानों की मदद करे, नहीं तो खेती छोड़ने वालों की संख्या बढ़ जाएगी।

-विजय जायसवाल

ट्रैक्टर खरीदना सोचा था तरक्की का रास्ता होगा, लेकिन अब वही परेशानी बन गया है। हर साल टैक्स, फिटनेस और चालान का डर। खेती में मजदूर नहीं, दाम नहीं। सरकार को किसानों के लिए नियम आसान और सहायक बनाने चाहिए।

-परशुराम कुमार

खेती छोड़ कर बाहर कमाने का मन बनता है। मेहनत के बाद भी न दाम मिलता है, न मजदूर मिलते हैं। ट्रैक्टर पर टैक्स और चालान अलग से मारते हैं। अगर सरकार ने टैक्स माफ किया और छूट दी तो शायद खेती फिर से संभल सके।

-रोहन कुमार

बोले जिम्मेदार

किसानों की समस्याओं को लेकर विभाग गंभीर है। ट्रैक्टर टैक्स माफी और व्यावसायिक कार्य में छूट से संबंधित मांगों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा। कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत किसानों को अनुदान पर ट्रैक्टर और अन्य उपकरण दिए जा रहे हैं, ताकि खेती को लाभकारी बनाया जा सके। मौसम जनित आपदाओं से फसल क्षति होने पर फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। खाद-बीज की आपूर्ति भी लगातार निगरानी में है। किसानों को खेती से जोड़ने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

-मिथिलेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, कटिहार

बोले कटिहार फॉलोअप

कटिहार मुख्यालय तक सफर अब भी जोखिम भरा

कटिहार, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। हिन्दुस्तान अखबार के ‘बोले कटिहार पेज पर 16 अप्रैल को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद भी सालमारी और आजमनगर के लोगों की परेशानी में कोई कमी नहीं आई है। सड़कें अब भी जर्जर हैं, गड्ढे और संकरे मोड़ जानलेवा बने हुए हैं। हर दिन लोग जान हथेली पर रखकर कटिहार मुख्यालय तक का सफर तय कर रहे हैं। बारिश के हल्के छींटे पड़ते ही सड़कों पर फिसलन बढ़ जाती है और दुर्घटनाओं का खतरा दोगुना हो जाता है।बलरामपुर से कटिहार को जोड़ने वाली स्टेट हाईवे सड़क का निर्माण कार्य अभी भी कछुआ गति से चल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे तय समय पर कार्य पूरा होने की उम्मीद धूमिल होती जा रही है। आजमनगर प्रखंड मुख्यालय की स्थिति तो और भी खराब है। बांध पर बनी तंग सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही से रोजाना जाम लगता है और दुर्घटनाएं होती हैं। ग्रामीणों ने एक बार फिर प्रशासन से गुहार लगाई है कि निर्माण कार्य में तेजी लाई जाए और अस्थायी मरम्मत कर फिलहाल लोगों को राहत दी जाए। विकास की बातें करने वाले नेताओं और अधिकारियों की निष्क्रियता से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। फिलहाल सालमारी और आजमनगर के लोग अब भी ‘मुसीबतों की राह पर चलने को मजबूर हैं।

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