मानचित्र के आधार पर भूजल का सैंपल लेगी टीम
जीएसआई के वैज्ञानिक झारखंड के कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह, पलामू, गोड्डा और बिहार के पटना, गया, नवादा आदि जिलों में भूजल की जांच करेंगे। वे भूजल में यूरेनियम, आर्सेनिक, फ्लोराइड और अन्य भारी तत्वों की...

भागलपुर, मुख्य संवाददाता। जीएसआई के वैज्ञानिकों को झारखंड में कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह, पलामू, गोड्डा और बिहार में पटना, गया, नवादा, औरंगाबाद, भोजपुर, नालंदा, वैशाली, भागलपुर, समस्तीपुर, सुपौल, जमुई, जहानाबाद, बक्सर और अरवल में भूजल की जांच का जिम्मा मिला है। टीम विभिन्न जिलों का दौरा कर विषयगत मानचित्र के आधार पर भूजल का सैंपल लेगी। इसमें आमतौर पर भौगोलिक विशेषताओं के चयनित गुणों को देखने के लिए मानचित्र प्रतीकों का उपयोग शामिल होता है। जो स्वाभाविक रूप से दिखाई नहीं देते हैं, जैसे- तापमान, वन, वनस्पति, जलीय स्थिति आदि का पता लगाएगी। जानिए, कहां क्या पता करेगी भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ... पर्यावरण भूविज्ञान के जरिए सर्वे किया जाएगा कि सुपौल, भागलपुर, खगड़िया, मुंगेर, नालंदा में पानी में कितना प्रतिशत यूरेनियम, आर्सेनिक, फ्लोराइड, शीशा, निकल, पारा और अन्य भारी तत्व मौजूद है।
इसी तरह दुर्लभ सामरिक खनिज का पता करने के लिए जमुई के पटुआ, अमकोली, चिहुटिया, नौकाडीह, तिलबरिया, तेतरिया, गया के मटगढ़ा, मसुंधी, नवादा के घाटसतगीर, बारा, जियो कैमिकल मैपिंग के लिए पटना, अरवल, भोजपुर, औरंगाबाद, जहानाबाद, गया, भोजपुर, जहानाबाद, नालंदा, बक्सर, रोहतास, समस्तीपुर, बलिया (यूपी) के टोपोलैंड और थर्मेटिक मैपिंग के लिए कोडरमा, पलामू, गोड्डा, गिरिडीह व हजारीबाग (झारखंड) में भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम काम करेगी।
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