बोले सहरसा: नहर का होगा विकास तो संवरेगी लोगों की जिंदगी
बिहार के किसानों को नहरों में पानी की कमी से गंभीर सिंचाई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कुशहा त्रासदी के बाद से नहरें सूखी पड़ी हैं, जिससे किसानों की फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। विभागीय...
वितरणी से जलापूर्ति नहीं होने से किसानों के सामने सिंचाई की समस्या गंभीर बनी है। क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि क्षेत्र के विभिन्न वितरणी कुसहा त्रासदी के बाद से सूखी पड़ी है। इस वितरणी से प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के किसानों की खेती प्रभावित हो रही है और सिंचाई करने के लिए पंप सेट व अन्य संसाधनों का सहारा लेने की विवशता बनी रहती है। ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। लघु सिंचाई विभाग सहित पदाधिकारी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
कुशहा त्रासदी के बाद सोनवर्षा राज के मुख्य बेलदौड प्रशाखा और बडगांव वितरणी में पानी नहीं छोड़े जाने से सैकड़ों एकड़ खेतों में सिंचाई करने की समस्या गंभीर बनी है। यह बात अलग है कि खेतों में सुलभ सिंचाई के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं चलायी जा रही हैं लेकिन इस इलाके की नहरों में वर्षों से पानी किसानों के खेतों में फसल पटवन के समय नहीं छोड़ा जाता है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की उदासीनता से 16 साल बाद भी क्षतिग्रस्त नहर के तटबंधों की न तो मरम्मत हो सकी है और न हीं नहर की समुचित साफ-सफाई हो पायी है। जलापूर्ति को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारी बेफिक्र हैं। विभाग की लचर व्यवस्था के कारण दोनों वितरणी के तटबंधों का दर्जनों जगहों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। वर्षों से अतिक्रमित नहर पर मिट्टी भराई कर लोगों के द्वारा घर दुकान के साथ साथ खेती कर रहे हैं। जिसे खाली कराने में विभाग सहित स्थानीय प्रशासन सुस्त रवैया अपनाया है। नहर पर न केवल कच्चा घर बल्कि पक्का मकान बनाकर बडा बाजार बना लिया गया है। जबकि विभाग के द्वारा साल में फसल पटवन के समय नहर उड़ाही के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर राशि की बंदरबांट कर ली जाती है। कई जगहों पर मिट्टी कटाई करने के लिए नहर को न केवल क्षतिग्रस्त किया है बल्कि ध्वस्त किया गया है।
अतिक्रमणकारियों द्वारा वितरणी के तटबंध और बाहरी भूभाग के साथ-साथ वितरणी के अंदर के भाग पर भी कई जगहों पर अतिक्रमण कर लिया गया है। बावजूद अधिकारी बेपरवाह बने हैं। इलाके के किसानों की मानें तो प्रखंड क्षेत्र के वितरणी से समुचित जलापूर्ति होने से हजारों हेक्टेयर भूभाग से अधिक में सिंचाई की जा सकती है। सोनवर्षा राज प्रखंड में वितरणी सहित सहायक वितरणी भी है। इन सभी वितरणी से जलापूर्ति नहीं होने से प्रखंड के विराटपुर, खजुरहा, बरैठ, सोहा, महुआ उत्तर वाडी, बैठ मुशहरी, सरौनी मधेपुरा, रघुनाथपुर, पडरिया, देहद, बडगांव पंचायत के सिंचित भूभाग के किसानों को हजारों हेक्टेयर में खेती-बाड़ी के लिए हर साल दो करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। किसानों को इन तीनों वितरणी से जलापूर्ति नहीं होने पर किसानों की माली हालत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस क्षेत्र में जलापूर्ति नहीं होने का मुख्य कारण वितरणी की साफ-सफाई और कुशहा त्रासदी में वितरणी के क्षतिग्रस्त तटबंधों की मरम्मती नहीं होना बताया गया है।जबकि क्षेत्र के किसानों के द्वारा क्षतिग्रस्त नहर,अतिक्रमित नहर को अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर विभाग सहित जिला पदाधिकारी से यथाशीघ्र जलापूर्ति बहाल कराने का आग्रह किया है।लेकिन आजतक स्थिति यथावत बनी हुई है।जबकि कई पंचायतों में नहरों कि सफाई के लिए मनरेगा योजना के द्वारा भी संचालित किया गया था।जिसके तहत क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों में योजनाओं का क्रियान्वयन के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर राशि गटक लिया गया।करोड़ों की संचालित योजना के बाद भी नहर अपने बदहाली पर खुद आंसू बहा रही है।
क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण धीरे धीरे नहरें धरातल से धीरे धीरे गायब होने लगी है जबकि सिंचाई के पानी तो ससमय गायब ही रहता है। अतिक्रमण की वजह से मुख्य नहर, वितरणी एवं उपवितरणी का हाल पूरी तरह बेहाल है। नहरों के अगल बगल स्थित खेतों के किसानों ने पूरी नहरों को ही जोत कर अपने खेतों में मिला लिया है।यहीं नहीं छोटी बडी़ नहरों के दोनो किनारों पर लोगो ने टोपरा,कच्चे पक्के घर, मकान, दुकान, मंदिर एवं सरकारी राशि से शौचालय तक बनावा लिया है। वहीं कुछ जगहों पर बांध की जोताई कर बकायदा खेती की जा रही है तो कहीं नहर की गहराई में बकायदा मवेशियों का बथान बना दिया है। इस वजह से न केवल नहरों का स्वरुप ही बदल गया है। मोकमा पंचायत स्थित मोकमा बेलदौर मुख्य प्रशाखा नहर से जूड़ी छोटी नहर जो बरसिगंहा पुलिया से डब्लूपीएल होते हुए बौका धार तक जाती है। उस छोटी नहर के करीब आधे हिस्से तक एक तरफ का बांध व गहराई अगल बगल के लोगों ने जोत कर अपने खेतों में मिला लिया है तथा शेष बचा नहर का एक टाँप सड़क के काम आ रहा है।ठीक यही हाल मंगवार पंचायत के नासिक टोला स्थित के नहर का है।जहां लोगों ने दोनों बांधों पर टोपरा खडा़ कर गहराई में बथान ही बना दिया है। महुआ उत्तरबाडी़ पंचायत, खिलहा चौक,अरसी, देहद, मक्कर्री, मोकमा से बड़सम तक,चकला,परवाहा मंगला बाजार समैत दर्जनों जगहों पर मुख्य नहर, वितरणी व उपवितरणी अतिक्रमण कर लिया गया है। इस बीच 17 अप्रैल के तिथि में सिंचाई अवर प्रमंडल पस्तपार के अवर प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा क्षेत्र के सैकडो़ अतिक्रमणकारियों को नोटिस भेजकर दो दिनों के अंदर नहर को मुक्त करने का आदेश दिया था। लेकिन नोटिस जारी करने की खानापुर्ति करने के एक माह बाद भी न तो नहर अतिक्रमण से मुक्त नही हो सका और न ही विभाग नोटिस से आगे जा पाया है।
समस्या
नहर में ससमय पानी नहीं छोडना।
दर्जनों क्षतिग्रस्त नहर रहने से है परेशानी।
सालों भर सूखा रहता है नहर
किसानों को फसल पटवन में होती है परेशानी।
अतिक्रमण रहने के कारण नहर अस्तित्व को खो चुका है।
निदान
नहर में किसानों के फसल के समय पानी छोडना चाहिए।
क्षतिग्रस्त व ध्वस्त नहर कि मरम्मती करने की है जरूरत।
अतिक्रमित नहर अतिक्रमण मुक्त हो।
विभाग के अधिकारियों को किसानों के हित में करना चाहिए कार्य।
सभी क्षतिग्रस्त, ध्वस्त व अतिक्रमित नहरों को अतिक्रमण से मुक्त कराने की है जरूरत।
हमारी भी सुने
मुख्य बैलदौड प्रशाखा के साथ साथ उप शाखा नहरों व वितरणी का भी स्थिति दयनीय हालत में है।
अमित कुमार सिंह
अतिक्रमित नहरों को अतिक्रमण हटाने के लिए विभाग के द्वारा नोटिस भेजा गया।लेकिन स्थिति यथावत बना हुआ है।
शिवेन्द्र नारायण सिंह
क्षेत्र में नहरों कि समुचित व्यवस्था के साथ साथ बांध योजना की आवश्यकता है।जिस वजह से सैकड़ों एकड खेत में नहीं हो पाता है खेती।जो भादा व हरिपुर का क्षेत्र है।
रामलगन यादव
समय पर सूखी नहर और बिना समय पानी छोडे जाने से क्षेत्र के किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है।होती है पटवन में परेशानी।
जीतन राम
मनरेगा योजना से नहरों कि सफाई के नाम पर भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति किया गया।
शंभू सादा
विभाग को सबसे पहले क्षेत्र में अतिक्रमित नहरों को अतिक्रमण मुक्त करने की आवश्यकता है।
ललन यादव
ससमय सूखी नहरों से किसानों को अधिक खर्च कर अन्य माध्यम से फसलों का पटवन करना मजबूरी बनी हुई है।
अखिल कुमार सिंह
सभी नहर वितरणी से किसानों के फसल के समय पटवन के समय नहरों में पानी नहीं छोडे जाने से किसानों को पटवन पंप सेट के माध्यम से करना पड़ता है।
मो हशीर उद्दीन
क्षेत्र में दर्जनों नहरों दयनीय हालत में केवल शोभा कि वस्तु बनी हुई है।सूखी नहर किसानों को मुंह चिढाता है।
प्रमोद मेहता
क्षेत्र के विभिन्न पंचायत स्थिति नहरों न केवल हालात दयनीय बनी हुई है।बल्कि उससे किसानों को लाभ भी नहीं मिलता है।
निर्भय कुमार सिंह
विभाग सहित स्थानीय प्रशासन किसानों के प्रति उदासीन बनी हुई है।और किसानों को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।
सीताराम सिंह
कुशहा त्रासदी के बाद से क्षेत्र में नहरों कि स्थिति दयनीय हालत में है।और विभाग उदासीन बन बैठी है।
नंदन सिंह
लघु सिंचाई विभाग के द्वारा क्षतिग्रस्त व अतिक्रमित नहरों को खाली कराने में विफल साबित हो रहा है।
ललित कुमार
नहर में ससमय पानी नहीं छोडे जाने से किसानों को फसल पटवन में होती है असुविधा।
पैक्स अध्यक्ष
दीपक जयसवाल
क्षेत्र में दयनीय हालत में पडे नहरें व विभागीय अधिकारियों के उदासीनता का शिकार होता है क्षेत्र के किसान।
नागेंद्र यादव
क्षेत्र के नहरों में विभाग के द्वारा ससमय पानी छोडे जाने से किसानों न केवल पटवन में सुविधा के साथ साथ आर्थिक नुकसान से भी बच जाएगा।
राजेश कुमार सिंह
कहते हैं जिम्मेदार
उक्त बाबत लघु सिंचाई एसडीओं प्रेरणा कुमारी ने कहना है की नहरों को अतिक्रमण से मुक्त कराने हेतू लोगों को नोटिस भेजा गया था। बावजूद सम्बंधित लोगों द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाने पर मै क्या कर सकती हुं वैसे अब कई सम्बंधित थाना एवं सीओं को भी लिखा जा रहा है।
प्रेरणा कुमारी, एसडीओ, लघु सिंचाई विभाग
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