बोले पूर्णिया: पुनर्वास की हो व्यवस्था, मिले विशेष पैकेज तो सुधरे जीवन
महानंदा नदी के किनारे बसे चूनामारी गांव के लोग कटाव से परेशान हैं। 1000 से अधिक जनसंख्या वाले इस गांव में 2018 और 2024 में ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर कटाव निरोधक कार्य किए, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी से...
बोले पूर्णिया: पुनर्वास की हो व्यवस्था, मिले विशेष पैकेज तो सुधरे जीवन
विषय: नदी के कछार पर बेबस है जिंदगी
प्रस्तुति: सुशांत कुमार रिंकू
- 01 दर्जन से अधिक गांव बसे हैं महानंदा नदी के किनारे
- 1000 से अधिक चूनामारी गांव की जनसंख्या काफी संकट में
- 2018 में पहली बार ग्रामीणों ने आपसी चंदा कर किया था कटावनिरोधक कार्य
शिकायत:
1. कटाव से त्रस्त हैं नदी के कछार पर बसे गांव के लोग
2. कटाव को रोकने के आज तक एक बार भी नहीं किया निरोधक कार्य
3. कई एकड़ खेतिहर जमीन कट गयी पर किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं
4. कटाव पीड़ितों ने दो बार सरकार की अनदेखी करने पर चंदा इकठ्ठा कर किया है कटाव निरोधक कार्य
5. रोशनी आदि की व्यवस्था नहीं होने के कारण रात हो जाती है अंधेरी
सुझाव:
1. कटाव रोकने के लिए पर्याप्त व्यवस्था जरूरी
2. कछार पर बसे कटावग्रस्त गांव में रोशनी की हो व्यवस्था।
3. सरकार कटाव पीड़ितों की करे पुनर्वास की मुकम्मल व्यवस्था
4. कटाव पीड़ितों की बच्चों की हो अलग से पढ़ाई की व्यवस्था।
5. कटाव पीड़ितों के जीवन शैली में सुधार के लिए मिले विशेष पैकेज
महानंदा नदी के कछार पर कटाव पीड़ितों की जिंदगी बहुत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। इन इलाके के लोगों का जन्म बांध पर होता है और बांध पर ही जवान एवं बूढ़े होकर काफी संकटमय जिंदगी कटा देते हैं। ये लोग ना तो गांव की जिंदगी जानते हैं और ना तो शहर की। नदियों में आखेट और दियारा में खेती करने तक इनकी जिंदगी सीमित है। इन लोगों को नदी के कटाव के कारण अपने घर, जमीन और आजीविका खोने का खतरा हमेशा बना रहता है। इन लोगों को कटाव के कारण घर और जमीन खोने के बाद, लोगों को आश्रय की तलाश करनी पड़ती है। कटाव के कारण जमीन और फसलें नष्ट हो जाने से लोगों की आजीविका प्रभावित होती है। कटाव के कारण लोगों को जलजनित रोग भी हो जाते हैं। बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो जाती है, क्योंकि उन्हें स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। इन समस्याओं के बावजूद, कटाव पीड़ित लोग अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करते हैं। वे नए घर बनाने, नई जमीन ढूंढने, और अपनी आजीविका को पुनः स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। बस, इसी प्रकार नदी के कछार के किनारे बसने वाले लोगों की जिंदगी का समय कट जाता है।
महानंदा नदी के किनारे एक हज़ार की आबादी वाला चूनामारी गांव जहां आज तक एक बार भी कटाव निरोधक कार्य नहीं होने से ग्रामीणो में भय और दहशत भी है तथा आक्रोश भी पनप रहा है। मालूम हो कि पूर्णिया जिले के सबसे दूरस्थ बैसा प्रखंड के पूर्वी दिशा से होकर बहने वाली महानंदा नदी के किनारे बसे दर्जनो गांव भीषण नदी कटाव की चपेट में आने से पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका है। वहीं कई गांव ऐसे हैं जिनका अस्तित्व कभी भी समाप्त हो सकता है। ऐसे ही गांव में शामिल है बैसा प्रखंड के कनफलिया पंचायत अन्तर्गत वार्ड संख्या ग्यारह का चूनामारी गांव। जिसका अस्तित्व अब समाप्त होने की कगार में है और इसके अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे यहाँ के लोग स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर आक्रोशित हैं । इसको लेकर ग्रामीणों ने नदी किनारे एकजुट होकर सौतेलेपन का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में आज तक एक बार भी कटाव निरोधक कार्य नहीं हुआ है। लगभग एक हज़ार की आबादी वाले चूनामारी गांव, जो कभी नदी से लगभग डेढ किलोमीटर दूर था। डेढ़ किलोमीटर दूर जब नदी बह रही थी तो गांव के खेतिहर किसान साल भर अलग-अलग प्रकार की फसलों को उपजाकर खुशी-खुशी जीवन-यापन करते आ रहे थे। पूरे गांव वालों ने कभी नहीं सोचा था कि कभी नदी का कटाव इस कदर भी होगा और नदी गांव तक आ जाएगी। ग्रामीणों ने बताया कि शुरुआती दौर में नदी कटाव होता भी था तो बहुत कम। परंतु धीरे धीरे कटाव तेज होता चला गया और बहुत जल्द ही नदी गांव की तरफ़ आ गया। इस भीषण नदी कटाव में कल तक हम जिन खेतों में खेती करते आ रहे थे वो नदी का रूप धारण कर लिए में समा रहा है। जिससे पूरा गांव आर्थिक तंगी से गुजरने लगा। खेतों में मेहनत करने वाले किसान आज दूसरे के खेतों में मजदूरी करने को पूरी तरह से बेबस और लाचार हो चुके है। कल तक एक बड़े भूभाग पर फैला यह चूनामारी गांव सिमट कर इतना छोटा हो गया है कि खुद गांव वालों को भी विश्वास नहीं हो रहा है। आज नदी पूरी तरह गांव से पास से होकर बह रही है जिसे देख पूरे गांव वाले सहमे हुए हैं और बस इसी बात का सभी को डर सताने लगा है कि यदि जल्द से जल्द कटाव निरोधक कार्य नहीं किया गया तो खेत खलिहान तो चले गए इस बार पूरा गांव ही नदी कटाव की चपेट में आ जाएगा।
सौतेलापन का आरोप
एक हज़ार की आबादी वाले चूनामारी गांव के लोगों ने सीधे तौर पर प्रशासन व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने बताया कि साल 1984 से महानंदा नदी अपना उग्र रूप धारण कर कटाव करती आ रही है। हालांकि शुरुआती दौर पर कटाव धीमा था जिसे देखकर लोगों को तनिक भी नहीं लग रहा था कि यही नदी आगे चलकर गांव तक पहुँच जायेगी। हर साल हो रहे कटाव को देखने के लिए तो इस स्थल पर कितने ही महारथी लोगों में सांसद, विधायक से लेकर जिला पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी भी आए पर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। आज तक जिस भी नदी पर कटाव निरोधक कार्य हुआ है वो आसपास के क्षेत्रों में ही हुआ है, लेकिन इस गांव में आज तक एक बार भी निरोधक कार्य नहीं हुआ है। स्थानीय लोग इसे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के सौतेलापन व्यवहार और उदासीन रवैया के रूप में देख रहे हैं।
ग्रामीणों ने किया कटावनिरोधक कार्य:
चूनामारी के ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में साल 2017 के भीषण बाढ़ व नदी कटाव की तबाही के मंजर को याद कर पूरा गांव सहम जाता है और फिर गांव वालों में आपसी बैठक कर खुद से ही निरोधक कार्य करने का इरादा किया है। ग्रामीणों ने आपस मे चंदा इकट्ठा कर 2018 में पहली बार निरोधक कार्य किया जिससे थोड़ा बहुत तो कटाव रुका पर फिर कटाव शुरू हो गया। जिसे देखकर एक बार ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया और लगभग दो लाख रुपए की राशि से साल 2024 में दूसरी बार कटाव निरोधक कार्य किया है। हालांकि दर्जनों ग्रामीणों ने इसको लेकर जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन के आलाकमान तक को आवेदन देते हुए ध्यान आकृष्ट कराया है, पर इस स्थल पर आज तक कार्य नहीं हुआ।
हमारी भी सुनें:
1.कल तक खेत खलियान था तो खेतीबाड़ी कर परिवार का गुजर बसर कर रहे थे जो नदी कटाव की भेंट चढ़ गया और अब बस रहने का आशियाना ही बचा है। इसके जाने के बाद वे सड़क पर रहने को मजबूर हो जायेंगे।
अब्दुल रज्जाक
2. कटाव निरोधक कार्य कराने को लेकर पूर्व में जो विभाग की टीम आयी थी। सिल्ला घाट से शुरू कर चूनामारी होते हुए सिरसी तक की मापी होना था जो अब सिर्फ सिरसी में ही हो रहा है जिससे हमलोग चिंतित हैं।
तहमीद आलम
3. एक बाबा भी चूनामारी में अभी तक कटाव निरोधक कार्य नहीं होना बताता है कि सरकार हो या जनप्रतिनिधि अथवा विभागीय अधिकारी, किसी के लिए हम चूनामारी के ग्रामीणों को बचाने में कोई मतलब नहीं है।
मो मुजफ्फर
4. वर्षो से हो रहे नदी कटाव को देखते हुए ग्रामीणों ने थक हारकर अब तक दो बार पहले 2018 ओर फिर 2024 में चंदा इकट्ठा करके कटाव निरोधक कार्य किया जिसके कारण ही आज तक हम बचे गए हैं।
अब्दुल रकीम
5. कटाव निरोधक कार्य को लेकर डीएम, एसडीओ, सांसद व विधायक को एक साल पहले भी आवेदन दिया गया पर यहां काम न होकर कहीं और हो रहा है। यह सरासर ग्रामीणों के साथ सौतेलापन है।
मो हासिम
6. जल्द से जल्द अगर कटाव निरोधक कार्य नहीं किया गया तो जो इस बार के कटाव में हमारे गांव का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। कटाव से हमारा घर खत्म हो जाता है। हम कहीं के नहीं रहते।
असमीरा खातून
7. नदी किनारे रहना शायद अभिशाप है इसलिए तो सरकार हो या फिर जनप्रतिनिधि कहते तो बहुत कुछ हैं और करते कुछ नहीं क्योंकि उन्हे हम पीड़ितों से कोई हमदर्दी नहीं है। महिलाओं के जज्बात भी नहीं समझते।
निराला खातून
8. गरीब होने के कारण ही उसकी अनदेखी की जा रही है क्योंकि आसपास कई जगहों पर थोड़ा बहुत कार्य होता रहा है और इस गांव को बचाने के लिए आज तक एक बार भी किसी भी प्रकार का निरोधक कार्य नही किया गया है।
अफसाना खातून
9. दिन रात मेहनत मजदूरी कर तिनका जोड़कर आस्गियान बनाया है और इस बार इस आशियाने के उजड़ने के बाद पूरी तरह सभी ग्रामीण सड़को पर जीवन यापन करने को मजबूर हो जायेंगे।
नईमा खातून
10. नदी के किनारे कटाव निरोधक कार्य को लेकर जब मापी लिया जा रहा तो उम्मीद जगी थी। पर जब कार्य हुआ तो विभाग ने कहा कि इधर कार्य नहीं होगा। ऐसे में हम लोग विचलित हो गए हैं।
गोविंद शर्मा
बोले जिम्मेदार
महानंदा नदी में तकनीकी समिति के लिए 750 मीटर में काम का प्रस्ताव प्रमंडल द्वारा भेजा गया था परंतु निधि की उपलब्धता एवं स्थल का निरीक्षण कर 450 मीटर में काम स्वीकृत हुआ है। वर्तमान में सिरसी गांव नजदीक ज्यादा कटाव है एवं नदी के किनारे आबादी भी ज्यादा सिरसी गांव में है। इसलिए सिरसी गांव में 450 मीटर में काम कराया जा रहा है। बाढ़ के समय चुनामारी में आदेशानुसार कार्य कराया जायेगा और चुनामारी गांव को भी सुरक्षित रखा जाएगा।
पूजा रानी, एसडीओ, बाढ़ नियंत्रण व जल निःसरण प्रमंडल पूर्णिया।
मेरी पहली प्राथमिकता हमेशा से रही है कि कटाव को रोका जाए जिससे के तटवर्ती क्षेत्रों के लोगो की हालात में सुधार हो और वे भी अन्य लोगो को तरह जीवन व्यतीत कर सके। उन्होंने बताया कि जिस जगह पर अभी कार्य हो रहा है वहाँ सही मायनों में 750 मीटर कार्य होना था पर 450 मीटर का ही कार्य विभाग द्वारा तत्काल किया जा रहा है जिससे कटाव की स्थिति बनी रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हर साल होने वाले कटाव की संभवित स्थिति को देखते हुए उन्होंने विभाग को हर हाल में चुनामारी गांव को बचाने के लिए भी निरोधक कार्य किये जाने का निर्देश विभाग के अधिकारी व कर्मी को दिया है।
-अख्तरुल इमान, विधायक, अमौर।
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