बिहार पुलिस की जब्त ‘स्मैक’ फॉरेंसिक जांच में निकली खैनी, जेल गया शख्स दो साल बाद बरी
मुजफ्फरपुर में बिहार पुलिस द्वारा जुलाई 2023 में जब्त की गई 15 पुड़िया स्मैक फॉरेंसिक जांच में दो साल बाद खैनी साबित हुई। पुड़िया के साथ गिरफ्तार किए गए शख्स को कोर्ट ने अब बरी कर दिया है।

बिहार के मुजफ्फरपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अहियापुर थाने की पुलिस ने दो साल पहले छापेमारी कर जिस स्मैक के साथ शख्स को गिरफ्तार किया था, वह फॉरेंसिक जांच में खैनी निकली। पुलिस ने कथित स्मैक की 15 पुड़िया के साथ कोल्हुआ पैगंबरपुर के परशुराम सहनी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। दो साल बाद एफएसएल जांच में खुलासा हुआ कि जब्त पुड़िया स्मैक की नहीं, बल्कि खैनी (तंबाकू) की थी। कोर्ट ने परशुराम को बरी कर दिया है।
जानकारी के अनुसार स्मैक खरीद-बिक्री की सूचना पर 20 जुलाई 2023 की रात लगभग एक बजे पुलिस बल के साथ अहियापुर थाने के पुलिस अवर निरीक्षक अमित कुमार ने बूढ़ी गंडक नदी के बांध पर इमली चौक के निकट छापेमारी की थी। उस समय परशुराम सहनी को गिरफ्तार किया गया था। तलाशी लेने पर उसकी जेब से 15 पुड़िया मिली थी। पुलिस ने इसे स्मैक बताते हुए जब्त किया। प्रत्येक पुड़िया में 0.44 ग्राम कथित तौर पर स्मैक था। इसका कुल वजन 6.60 ग्राम था।
पुलिस ने एफएसएल जांच रिपोर्ट के इंतजार में 19 सितंबर 2023 को एनडीपीएस एक्ट के तहत विशेष कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। विशेष कोर्ट ने एनडीपीएस एक्ट की धारा में आरोप तय कर सेशन ट्रायल शुरू कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से आरोपों के समर्थन में विशेष कोर्ट के समक्ष 6 गवाहों और 13 प्रदर्शों को पेश किया गया।
दो साल बाद मिली एफएसएल रिपोर्ट :
प्रभारी विशेष लोक अभियोजक (एनडीपीएस एक्ट) मुकेश प्रसाद सिंह ने बताया कि परशुराम सहनी के पास से जब्त पुड़िया में से मिले पदार्थ के नमूने को 21 जुलाई 2023 को एफएसएल गन्नीपुर जांच के लिए भेजा गया था। वहां से काफी समय के बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं मिली। इस बीच जेल में बंद आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई। उसकी जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले के त्वरित निष्पादन का निर्देश विशेष कोर्ट को दिया।
इसके बाद एफएसएल के निदेशक को जांच रिपोर्ट जल्द पेश करने को लेकर पत्राचार किया गया। एफएसएल की ओर से इस वर्ष 26 मई को इसकी जांच रिपोर्ट तैयार की गई। इसे 29 मई को मामले के आईओ ने विशेष कोर्ट में पेश किया। रिपोर्ट में इसे स्मैक नहीं, निकोटीन (खैनी) बताया गया। इस रिपोर्ट के आधार पर साक्ष्य नहीं मिलने पर विशेष कोर्ट (एनडीपीएस एक्ट) संख्या-दो के न्यायाधीश नरेंद्रपाल सिंह ने 10 जून को उसे बरी कर दिया।