दवाओं की आपूर्ति नहीं, तो आयुष डॉक्टर भी लिख रहे अंग्रेजी दवाएं
दवाओं की आपूर्ति नहीं, तो आयुष डॉक्टर भी लिख रहे अंग्रेजी दवाएंदवाओं की आपूर्ति नहीं, तो आयुष डॉक्टर भी लिख रहे अंग्रेजी दवाएंदवाओं की आपूर्ति नहीं, तो आयुष डॉक्टर भी लिख रहे अंग्रेजी दवाएंदवाओं की...

हिन्दुस्तान पड़ताल : दवाओं की आपूर्ति नहीं, तो आयुष डॉक्टर भी लिख रहे अंग्रेजी दवाएं आयुष चिकित्सक सरकारी अस्पतालों में अंग्रेजी दवाओं से रोगियों का कर रहे इलाज अस्पतालों में नहीं की जा रही यूनानी, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं की आपूर्ति जिले के विभिन्न अस्पतालों में तैनात हैं 38 आयुष चिकित्सक महज 15 दिनों के प्रशिक्षण के बाद अस्पतालों में किया गया तैनात आईएमए के जिला सचिव ने कहा सिर्फ एमबीबीएस चिकित्सक ही लिख सकते हैं एलोपैथ दवाएं फोटो : आयुष चिकित्सक : सदर अस्पताल में मरीज को इलाज के बाद दवा लिखते आयुष चिकित्सक। बिहारशरीफ, एक संवाददाता । जिले के अस्पतालों में मरीजों को एलोपैथिक चिकित्सा के साथ-साथ आयुष पद्धति, होम्योपैथ, यूनानी और आयुर्वेद के जरिए इलाज और दवाएं उपलब्ध कराने लिए मार्च 2024 में आयुष चिकित्सकों की बहाली की गई थी।
इस बहाली के तहत जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 38 आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। महज 15 दिनों के प्रशिक्षण के बाद उन्हें अस्पतालों में तैनात किया गया। लेकिन, एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इन चिकित्सकों को उनकी पद्धति की दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। इस कारण आयुष चिकित्सक मजबूरी में एलोपैथिक दवाएं लिखने को बाध्य हैं। क्योंकि अस्पताल में सिर्फ एलोपैथिक दवाओं की ही आपूर्ति हो रही है। मरीज जब इलाज के लिए आते हैं, तो चिकित्सक को भी उनकी पीड़ा दूर करने का प्रयास करना होता है, मगर जब उनके पद्धति की कोई भी दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं होती, तो वे वही दवाएं पर्ची पर लिखते हैं, जो स्टोर में उपलब्ध रहती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्याम नारायण प्रसाद, डॉ. अरविंद कुमार सिन्हा व अन्य ने बताया कि एलोपैथिक दवा सिर्फ एमबीबीएस या एलोपैथ में प्रशिक्षित डॉक्टर ही लिख सकते हैं। एलोपैथिक दवाओं का निर्धारण मरीज की उम्र, वजन और उसकी समस्या की गंभीरता के आधार पर किया जाता है, जो एक तकनीकी और वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसके लिए उचित प्रशिक्षण और गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है। ऐसे में जब अन्य पद्धति के चिकित्सक एलोपैथिक दवाएं लिखते हैं, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मरीज के जीवन के लिए भी गंभीर खतरा हो सकता है। यही कारण है कि ग्रामीण चिकित्सक या अन्य अयोग्य चिकित्सकों द्वारा इलाज किए जाने के कारण कई बार मरीजों की जान चली जाती है। सालों से दवा उपलब्ध नहीं : आयुष चिकित्सकों को अस्पताल में तैनात करने से पहले महज 15 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया था। इसमें उन्हें केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं और मूलभूत जानकारी ही दी गई थी। दवाएं नहीं रहने और अस्पतालों में समुचित संसाधनों के अभाव के कारण ये चिकित्सक अपनी पद्धति की दवाएं लिख नहीं पा रहे हैं। ऐसे में एलोपैथिक दवाएं लिख कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि राज्य आयुष समिति को पत्राचार कर दवा आपूर्ति की मांग की गई है। जल्द ही अस्पतालों में आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी दवाओं की आपूर्ति की जाएगी। दवा आने पर ये चिकित्सक रोगी के इलाज के बाद दवाएं दे सकेंगे।
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