रिवाइज : 45 सालों में कच्चा नाला हुआ पक्का, बारिश होने पर अब भी 2 घंटे तक रहता है जलजमाव
45 सालों में कच्चा नाला हुआ पक्का, बारिश होने पर अब भी 2 घंटे तक रहता है जलजमाव 45 सालों में कच्चा नाला हुआ पक्का, बारिश होने पर अब भी 2 घंटे तक रहता है जलजमाव 45 सालों में कच्चा नाला हुआ पक्का, बारिश...

45 सालों में कच्चा नाला हुआ पक्का, बारिश होने पर अब भी 2 घंटे तक रहता है जलजमाव जलजमाव संवाद 08 : 1980 में पुल पर की सभी नालियां थीं कच्ची, अब हो चुके हैं पक्के नाले हुए पक्के पर बढ़ता गया अतिक्रमण नाला पतले होने से जलनिकासी में लगता है समय बिचली खंदक पर में सड़क के नीचे दब गया है पुल, नहीं होती है तेजी से निकासी पानी के ट्रीटमेंट की कोई व्यवस्था नहीं, नालों का गंदा पानी गिरता है कई जगहों पर पंचाने में सीवरेज पानी के ट्रीटमेंंट के लिए छज्जु बाग में बनाया जा रहा है ट्रीटमेंट प्लांट फोटो : ट्रीटमेंट प्लांट : बिहारशरीफ के छज्जु बाग में निर्माणाधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट।
राजकिशोर : राजकिशोर प्रसाद, 82 साल, सेवा निवृत अधिकारी शकुंतला : शकुंतला देवी, 85 साल, पुल पर डॉ. राजीव : डॉ. राजीव रंजन, जेनरल फीजिसियन सुनिती सिन्हा : डॉ. सुनिती सिन्हा, स्त्री रोग विशेषज्ञ मेयर : अनिता देवी, मेयर दीपक : दीपक मिश्रा, नगर आयुक्त साकेश : साकेश कुमार, नगर प्रबंधक सांसद : कौशलेंद्र कुमार, सांसद बिहारशरीफ, निज संवाददाता। अपर इंट्रो : बिहारशरीफ शहर ने गत 45 सालों में बहुत बदलाव देखे हैं। 1972 में जिला मुख्यालय बनने के बाद ने नगरपालिका, नगर निगम से होते हुए स्मार्ट सिटी का सफर तय किया है। आज इस शहर के 51 वार्डों में लगभग 52 हजार घरों में चार लाख 19 हजार आबादी रहती है। इतनी बड़ी आबादी को पक्की सड़क, नाला, सुरक्षा, सुविधा व अन्य व्यवस्थाओं को देने में नगर निगम लगा हुआ है। 1985 में पुल पर, बिचली खंदक व गढ़पर बिहारशरीफ का मुख्य बाजार हुआ करता था। अब रांची रोड व रामचंद्रपुर के साथ ही सोहसराय व बाइपास में बाजार का तेजीह से विकास हुआ है। इन 45 सालों में पुल पर का कच्चा नाला समेत अन्य बहुत सारे नाला पक्का हो चुके हैं। लेकिन, शिवपुरी, सैनिक कोलोनी, रामचंद्रपुर का निचला इलाका समेत अन्य कई मोहल्ले अब भी जलजमाव जैसी समस्या से जुझ रहे हैं। आज भी आधा घंटा बारिश होने पर उसका पानी निकलने में दो घंटे से अधिक समय लगता है। जबकि, निचला इलाका में पानी भर जाता है। इस दौरान नाले तो पक्के होते गए, लेकिन उसपर अतिक्रमण बढ़ता गया। इस कारण नाला पतले होने से जलनिकासी में काफी समय लगता है। बिचली खंदक पर में सड़क के नीचे जलनिकासी के िए बना सालों पुराना पुल दब चुका है। उससे तेजी से पानी की निकासी नहीं हो पाती है। अब तक इस शहर से निकलने वाले गंदा पानी के ट्रीटमेंट की कोई व्यवस्था नहीं है। नालों का गंदा पानी कई जगहों पर पंचाने नदी में सीधे गिराया जा रहा है। हालांकि, शौचालयों से निकलने वाले सीवरेज पानी के ट्रीटमेंंट के लिए छज्जु बाग में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। इसकी क्षमता प्रतिदिन 25 लाख लीटर पानी को सोधन करने की है। भविष्य की आबादी को देखते हुए प्रतिदिन 100 लाख लीटर क्षमता वाली ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए एक नई योजना को नगर विकास विभाग के पास भेजा गया है। हालांकि, इसके लिए अभी जगह चिह्नित नहीं हुई है। वहां से स्वीकृति के बाद इसपर मंथन किया जाएगा। शहर के ड्रेनेज सिस्टम को लेकर आ रही अड़चनें, परेशानियां, सुझाव व योजनाओं को लेकर शहर के प्रबुद्ध वर्ग, अधिकारियों व जिम्मेदारों से बातचीत की गयी। इसमें लोगों ने अपनी अपनी राय बतायी। संवाद के माध्यम से जानें उनके ही शब्दों में उनकी राय ... शहर को हमने अपनी आंखों के सामने बदलते हुए देखा है। 1960 में रांची रोड के पश्चिम तरफ न तो आबादी थी, न ही सड़क और नाला था। मछली मंडी के पास वाले पइन में गंदा पानी से होकर हम पैदल ही बाजार आते थे। बावजूद, उस समय आज की तरह जलजमाव नहीं होता था। आज बड़े बड़े नाले बनने के बाद भी कई मोहल्लों में जलजमाव रहता है। यह चिंतनिय स्थिति है। राजकिशोर प्रसाद, 82 साल, सेवा निवृत अधिकारी पुल पर में 1980 के पहले तक अधिकतर नाला कच्चा था। इसके बाद से उन नालों को पक्का करने की पहल शुरू हुई। 80 के दशक में इन कच्चों नालों से भी पानी आराम से निकल जाता था। अब यहां के सभी नाला, गलियां और सड़कें पक्की हो चुकी है। बावजूद जलजमाव से लोगों को जुझना पड़ रहा है। शकुंतला देवी, 85 साल, पुल पर जलजमाव न सिर्फ शहर की सूरत और सीरत को प्रभावित करता है, बल्कि इससे हमारी सेहत भी प्रभावित होती है। खासकर बारिश के दिनों में नमी और गर्मी के कारण डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियां होती हैं। इससे कम प्रतिरक्षण क्षमता वाले लोग जल्द प्रभावित होते हैं। इससे बचने के लिए जलजमाव नहीं होना चाहिए। डॉ. राजीव रंजन, जेनरल फीजिसियन जलजमाव और गंदगी का गर्भवती महिलाओं पर कोई सीधा असर नहीं है। लेकिन, इस कारण वे डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, दस्त, जॉंडिस, हेपेटाइटिस-ई जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकती है। इस कारण उनमें काफी कमजोरी व अन्य स्वास्थ्य परेशानियां आ सकती है। इससे गर्भपात या समयपूर्व प्रसव होने का खतरा बढ़ जाता है। डॉ. सुनिती सिन्हा, स्त्री रोग विशेषज्ञ बरसात के पहले नाला हो जाएगा तैयार : शहर को जलजमाव से निजात के लिए गत पांच सालों में सबसे अधिक काम नाला निर्माण पर हुआ है। अब भी कई बड़े नाले निर्माणाधीन हैं। आनंद मार्ग में बन रहा नाला को बरसात के पहले पूरा कर लिया जाएगा। हम शहर में होने वाले जलजमाव को लेकर काफी गंभीर हैं। इस साल लोगों को जलजमाव की परेशानी नहीं होगी। कुछ नीचले इलाके में जलजमाव हो सकते हैं। वहां भी नाला बनाने का प्रस्ताव है। सैनिक कॉलोनी, शिवपुरी मोहल्ला में जलजमाव रहता है। उन इलाकों से पानी की निकास चुनौती बनी हुई है। लेकिन, उन मोहल्लों में भी नाला निर्माण का बहुत काम हुआ है। वहां भी नालों को पास के बड़ा नाला से जोड़कर पानी की निकास की व्यवस्था की जा रही है। अनिता देवी, मेयर सीवरेज से गंदा पानी को उपचारित कर छोड़ा जाएगा नदियों में : नाला व शौचालयों से निकलने वाले गंदा पानी को शहर से बाहर भेजने की पूरी व्यवस्था है। इसके लिए आनंद पथ में मुख्य नाला का निर्माण काम तेजी से चल रहा है। बरसात के पहले मोगलकुआं तक बड़ा नाला को तैयार कर दिया जाएगा। उसके आगे भी 18 करोड़ से नाला का विस्तार करने की योजना पर मंथन किया जा रहा है। इस साल शहर में जलजमाव नहीं होगा। आपात काल से निपटने के लिए पंपिंग सेट भी उपलब्ध है। साथ ही शौचालय व किचेन से निकलने वाला गंदा पानी को सीवरेज नेटवर्क के माध्यम से ट्रीटमेंट प्लांट तक लाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इसका ट्रायल हो चुका है। इस प्लांट की क्षमता 250 लीटर प्रतिदिन है। फिलहाल 25 हजार घरों को इससे जोड़ा गया है। अगले चरण में बचे घरों को भी इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। दीपक मिश्रा, नगर आयुक्त शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए बिहारशरीफ में 425 किलोमीटर लंबा नेटवर्क बिछा हुआ है। आसानी से जलनिकासी के लिए तीन तरह के नाला बनाए गए हैं। सभी छोटी व मंझले नालियों को बड़े नाला से जोड़कर गंदा पानी को बाहर भेजने की व्यवस्था की जा रही है। शहर के 46 वार्डों से निकलने वाले गंदा पानी को विभिन्न नालों के माध्यम से छह बड़े नालों में लाकर शहर से बाहर निकाला जा रहा है। नाला के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। नाला को जोड़कर मोहल्लों से निकलने वाले गंदा पानी को जमा कर आगे भेजा जा रहा है। अब बड़े नाले पक्के हो चुके हैं। रामचंद्रपुर में कुछ नालों का निर्माण होना है। इसके लिए भी कई योजनाओं पर काम चल रहा है। साकेश कुमार, नगर प्रबंधक हर मदद को हम तैयार : बिहारशरीफ नगर निगम में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नाला पर काफी काम हुआ है। इसका असर आने वाले दो चार महीनों में लोगों को दिखने लगेगा। जलजमाव से निपटारे के लिए हम हर संभव प्रयास करने को तैयार हैं। इसके साथ ही अन्य समस्याओं के निदान में भी हम हमेशा लगे रहते हैं। जलजमाव बिहारशरीफ शहर के लिए हमेशा एक चुनौती रहा है। हम जलस्रोतों को बचाते हुए शहर से निकलने वाले गंदा पानी को बाहर निकालने का प्रयास करवा रहे हैं। इसके लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट व नगर विकास विभाग की बैठक में सबों की रायसुमारी ली जाती है। हम हर मदद को तैयार हैं। कौशलेंद्र कुमार, सांसद
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