लुंबिनी समेत बिहार-यूपी के 8 स्थलों की पौराणिकता की होगी खोज
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लुंबिनी समेत बिहार-यूपी के 8 स्थलों की पौराणिकता की होगी खोज राजगीर, बोधगया व बनारस से लुंबिनी को हवाई मार्ग से जोड़ने की जरूरत : डॉ. कौलेश बौद्ध सर्किट को बढ़ावा देने के लिए लुंबिनी में हुआ टूर ऑपरेटर्स का 4 दिवसीय सम्मेलन फोटो : बुद्ध कंफ्रेंस : लुंबिनी में हुए सम्मेलन में शामिल कई देशों के टूर ऑपरेटर्स। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। बौद्ध सर्किट से जुड़े पर्यटक स्थलों में आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से लुंबिनी में टूर ऑपरेटर्स का 24 से 28 मई तक चार दिवसीय सम्मेलन हुआ। इसमें राजगीर, बोधगया के अलावा 36 देशों के 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
पैनल चर्चा में सभी प्रतिनिधियों ने बौद्ध क्षेत्रों में लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, राजगीर, वैशाली और संकसिया जैसे आठ महत्वपूर्ण स्थानों पर काम व खोज करने और बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की गयी। एसोसिएशन ऑफ बुद्धिस्ट टूर ऑपरेटर्स (एबीटीओ) के महासचिव डॉ. कौलेश कुमार ने बताया कि सम्मेलन में सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किये गये। सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह कि बौद्ध सर्किट को विश्व पर्यटन के शीर्ष पर लाने के लिए लुम्बिनी, राजगीर, बोधगया, बनारस और कोलकाता को हवाई मार्ग से जोड़ना जरूरी है। उड़ान योजना : नेपाल के काठमांडू और लुम्बिनी में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर प्रतिनिधियों ने सरकार से अनुरोध किया कि लुम्बिनी को ‘उड़ान योजना से जोड़ा जाये। दक्षिण एशियाई देशों से उड़ान शुरू करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों से बात करके उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। विशाल भारतीय घरेलू पर्यटन बाजार के कारण यह भी अनुरोध किया गया कि कृपया लुम्बिनी से राजगीर, बोधगया, वाराणसी, कोलकाता, मुंबई या दिल्ली के लिए भी उड़ानें शुरू की जाएं। लुंबिनी का इतिहास : लुम्बिनी वह स्थान है, जहां भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ गौतम) का जन्म हुआ था। यह बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। नेपाल के रूपन्देही जिले में स्थित लुम्बिनी का इतिहास काफी प्राचीन है। सम्राट अशोक ने लुम्बिनी का दौरा किया कर वहां एक स्तंभ स्थापित कराया था, जो बुद्ध के जन्म की याद में था। उत्खनन से बुद्ध के जीवन से जुड़े कई पुरातात्विक अवशेष मिले हैं। लुम्बिनी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। लुम्बिनी में देखने योग्य स्थलों में मायादेवी मंदिर, अशोक स्तंभ, लुम्बिनी संग्रहालय, बौद्ध मठ आदि हैं। क्यों प्रसिद्ध संकसिया : संकसिया को संकिशा अथवा संकाश्य के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित ऐतिहासिक बौद्ध स्थल है। बुद्ध के त्रयस्त्रिंश स्वर्ग से धरती पर अवतरण की कहानी इस स्थान से जुड़ी हुई है। राजा अशोक ने यहां एक अशोक स्तंभ का निर्माण कराया था, जिसका हाथी शीर्ष आज भी मौजूद है। यहां स्तूप, मंदिर और बौद्ध मठों के खंडहर भी हैं। यहां चित्रित ग्रे मृदभांड संस्कृति, उत्तरी काले पॉलिश मृदभांड संस्कृति, शुंग काल और कुषाण काल से संबंधित अवशेष मिले हैं। जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर विमलनाथ का कैवल्यज्ञान स्थल भी संकसिया माना जाता है। कुशीनगर, गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में जाना जाता है और यह बौद्ध धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह शहर प्राचीन काल में मल्ल महाजनपद की राजधानी था और बाद में मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त और पाल साम्राज्यों का हिस्सा रहा। कुशीनगर को 19वीं शताब्दी में पुरातत्व खुदाई के माध्यम से फिर से खोजा गया, जिसने 1876 में लेटे हुए बुद्ध की एक बड़ी मूर्ति और 20वीं शताब्दी में कई बौद्ध अवशेषों की खोज की। कुशीनगर की प्रसिद्धी के कारण : कुशीनगर प्राचीन काल में मल्ल महाजनपद की राजधानी थी। यह शहर बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल के रूप में जाना जाता है, जहां उन्हें 6.10 मीटर लंबी लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा के साथ खोजा गया था। कुशीनगर मौर्य, शुंग, कुषाण, गुप्त और पाल साम्राज्यों का हिस्सा रहा है। कुशीनगर मध्यकाल में कलचुरी राजाओं के अधीन था और 12वीं शताब्दी तक एक जीवित शहर था। 19वीं शताब्दी में पुरातत्व खुदाई के बाद कुशीनगर का महत्व बढ़ा। वर्ष 1903 में बर्मी भिक्षु चंद्र स्वामी ने महापरिनिर्वाण मंदिर को फिर से स्थापित किया। यहां के महत्वपूर्ण स्थलों में महापरिनिर्वाण मंदिर, लेटे हुए बुद्ध की प्रतिमा, बुद्ध के अवशेषों को समर्पित स्तूप, बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थान शामिल हैं।
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