Rajgir Bus Stand Faces Neglect Lack of Facilities and Safety Concerns शाम होते ही राजगीर बस स्टैंड में छा जाता है सन्नाटा, समय सारणी न किराया चार्ट, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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शाम होते ही राजगीर बस स्टैंड में छा जाता है सन्नाटा, समय सारणी न किराया चार्ट

शाम होते ही राजगीर बस स्टैंड में छा जाता है सन्नाटा, समय सारणी न किराया चार्ट शाम होते ही राजगीर बस स्टैंड में छा जाता है सन्नाटा, समय सारणी न किराया चार्ट

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफWed, 7 May 2025 10:44 PM
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शाम होते ही राजगीर बस स्टैंड में छा जाता है सन्नाटा, समय सारणी न किराया चार्ट

बस पड़ाव 05: शाम होते ही राजगीर बस स्टैंड में छा जाता है सन्नाटा, समय सारणी न किराया चार्ट बदहाली से गुजर रहा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नगरी का बस स्टैंड हर एक घंटे खुलती हैं 22 बसें, फिर भी सुविधाएं नदारद क्षमता के अनुसार शेड नहीं, यात्रियों को रोज उठानी पड़ती है फजीहत फोटो : राजगीर बस : राजगीर बस पड़ाव में बने यात्री शेड व उसके बाहर वाहन के इंतजार में बैठे यात्री। राजगीर, निज संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन नगरी का बस स्टैंड बदहाली के दौर से गुजर रहा है। शाम होते ही बस स्टैंड में सन्नाटा छा जाता है। यहां न गाड़ियों की समय सारणी और न ही किराया चार्ट लगा है।

जबकि, रोजाना हर एक घंटे में विभिन्न शहरों के लिए 22 बसें खुलती हैं। 1962 में बना बस पड़ाव आज भी बदहाल है। हद तो यह कि क्षमता के अनुसार यात्री शेड तक नहीं है। किसी तरह लोग यहां वाहनों का इंतजार करते हैं। इतना ही नहीं बस पड़ाव परिसर में फैली गंदगी से यात्री परेशान हैं। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा स्थापित राज्य ट्रांसपोर्ट का बस स्टैंड में बना यात्री शेड भी पूरी तरह से सुविधाविहीन है। कई बार तो तेज धूप होने पर यात्री आसपास के पेड़ों के नीचे सहारा लेते हैं। जबकि, बारिश होने पर लोग भींगने को मजबूर होते हैं। राजगीर में कई बड़ी-बड़ी आधारभूत संरचनाएं बन रही हैं। वहीं, यह बस स्टैंड अपने स्थापना से वर्तमान तक बदहाली का रोना रो रहा है। पेयजल, प्रकाश की व्यवस्था नगण्य है। गंदगी व असुरक्षा के कारण यहां पर्यटक ज्यादा देर ठहरने से कतराते भी हैं। एक सुलभ शौचालय की व्यवस्था होने के बावजूद भी लोग यत्र-तत्र मल-मूत्र का त्याग कर देते हैं। इससे गंदगी यहां की बड़ी समस्या में से एक है। वहीं, स्टैंड के घूमावदार बेस हमेशा गंदे पानी के जमा रहने से गढ्ढे में तब्दील हो गया है। जिस पर गुजरती बसों के यात्रियों को झटके खाने पड़ते हैं। महेश प्रसाद, संतोष कुमार व अनय यात्रियों ने बताया कि शाम होते ही यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। इससे यहां की सुरक्षा प्रभावित होती है। सड़क किनारे स्ट्रीट लाइटें तो हैं। परंतु, वह प्रर्याप्त नहीं हैं। इस वजह से यात्री शेड व अन्य स्थान अंधेरे में डूबे रहते हैं। कैंटीन दो दशक से है बंद : उस समय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल को ध्यान में रखते हुए इसके भवन में एक कैंटीन बनायी गयी थी। इसमें यात्रियों को सस्ती दर पर शुद्ध भोजन मिलता था। वहां भोजन के लिए दिनभर यात्रियों की लंबी लाइन लगी रहती थी। देखरेख के अभाव में कैंटीन दो दशक से बंद है। सुविधाओं के अभाव में पर्यटक परेशान : राजगीर में सालों भर लाखों लोग आते-जाते हैं। इनमें से अधिकांश सड़क मार्ग द्वारा बस व अन्य छोटे वाहनों से बस स्टैंड से होकर गुजरते हैं। बस स्टैंड अहले सुबह साढ़े तीन बजे से जाग जाता है। रात के नौ बजे तक काफी व्यस्त रहता है। मलमास, मकर सहित अन्य धार्मिक अवसरों पर राजगीर में लगे मेले, राजनीतिक सम्मेलन के अलावा शादी विवाह के अवसरों पर असंख्य लोग यहां पहुंचते हैं। अधिकांश पर्यटक तथा तीर्थ यात्री बस स्टैंड में या इसके आसपास अपना पड़ाव डालते हैं। उन्हें पेयजल व गंदगी के साथ यहां लाइटें न रहने से परेशान उठानी पड़ती है। पांच सरकारी बसों का भी होता है परिचालन : इस बस स्टैंड से हर घंटा 22 बसें खुलती हैं। इसमें सिलाव, नालंदा, बिहारशरीफ, पावापुरी, बख्तियारपुर, पटना, गिरियक, शेखपुरा, नवादा, गया, रांची, हजारीबाग, नारदीगंज, हिसुआ, इस्लामपुर, रजौली समेत अन्य शहरों के लिए बसें खुलती है। इसके अलावा यहां से पटना के लिए राज ट्रांसपोर्ट की पांच बसें भी खुलती हैं। बावजूद, इन बसों की जानकारी के लिए किसी तरह की कोई सूचना या समय सारणी यहां नहीं है। जब बसें वहां खड़ी होती हैं तो चालक व कंडक्टर यात्रियों को आवाज देकर बुलाते हैं। खरीद कर पीना पड़ता है पानी : यात्री शेड के पास एक भी नल न होने से यात्रियों को प्यास बुझाने के लिए दुकानों से बोतलबंद पानी खरीदना पड़ता है। यात्रियों का कहना है कि पास के जलमीनार को देख यूं लगता है कि कुएं के पास पहुंच कर भी प्यासा हूं। जबकि, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के अधीन इस बस स्टैंड में एक स्टैंड पोस्ट का न होना निगम की अनदेखी है। खंडहर बनता जा रहा यात्री शेड : यहां यात्री शेड तो है। परंतु, बैठने के लिए जगह पर्याप्त नहीं है। सफाई नियमित नहीं होने से वहां बैठना भी मुश्किल है। सुलभ शौचालय के संचालक सुबोध कुमार बताते हैं कि जिला प्रशासन को बस स्टैंड से मोटी रकम प्राप्त होती है। बावजूद, सफाई के नाम पर एकमात्र सफाई कर्मी तैनात है। वह भी 15 दिनों पर एक बार सफाई के लिए आता है। विशेष सुरक्षा नहीं रहने से लोग शौचालय रहने के बावजूद जहां-तहां गंदा कर देते हैं। यात्री प्रवीण कुमार, सुबोध कुमार, प्रमोद कुमार, रोहित व नीतीश कुमार कहते हैं कि सुविधा के नाम पर यहां सिर्फ बैठने के लिए एक यात्री शेड है। इसके अलावा कुछ नहीं है। सुलभ शौचालय के संचालक सुबोध कुमार कहते हैं कि अधिकारियों से बात कर इन समस्याओं का निदान करवाने का प्रयास किया जाएगा।

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