गेहूं खरीदारी की तिथि बीती, 135 मीट्रिक टन ही हुई खरीदारी
हो रही थी खरीदारी 15 जून थी खरीदारी की अंतिम तिथि पेज चार की लीड छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण सहित सूबे में गेहूं की खरीदारी की अंतिम तिथि 15 जून थी। अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद गेहूं खरीदारी का जो...

छपरा, नगर प्रतिनिधि। सारण सहित सूबे में गेहूं की खरीदारी की अंतिम तिथि 15 जून थी। अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद गेहूं खरीदारी का जो आंकड़ा है, वह काफी चौंकाने वाला रहा। भीषण गर्मी में गेहूं खरीद के मामले में सारण के तमाम सरकारी क्रय केन्द्र इस बार सरकार व किसानों के पैमाने पर खरा नहीं उतरे। गेहूं क्रय की अंतिम तिथि 15 जून समाप्त हो गयी। सारण जिले में लक्ष्य का 7.75 फीसदी ही खरीदारी हुई है। यह चौंकाने वाला आंकड़ा किसानों की सरकारी खरीद प्रक्रिया में उदासीनता या फिर सिस्टम की खामियों को दर्शाता है। यह निराशाजनक संख्या दर्शाती है कि या तो किसानों को सरकारी दरों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं थी या फिर खरीद प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि वे पैक्स और सहकारी समितियों को गेहूं बेचने में रुचि नहीं ले पाए।
इसके अलावा, यह भी संभव है कि किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज का बेहतर दाम मिल रहा हो, जिसके कारण वे सरकारी खरीद केंद्रों तक पहुंचने में उत्सुकता नहीं दिखाई।यदि किसान अपनी उपज को सरकारी दर पर नहीं बेच पाते हैं तो उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसके साथ ही, सरकार के खाद्यान्न सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी बाधा आ सकती है। कम किसानों से गेहूं की खरीद होना सवाल खड़ा करता है, जबकि सरकार की ओर से लगातार किसानों को सरकारी दर पर गेहूं और धान बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। देश की कुछ बड़ी निर्यातक कंपनियों ने गेहूं खरीद करने के लिए स्थानीय व्यापारियों को वित्तीय मदद भी दी है। दरअसल इस साल पंजाब व हरियाणा में गेहूं की पैदावार कम होने से गेहूं की कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए निर्यातक पूरी ताकत लगा कर अभी भी गेहूं खरीद करवा रहे हैं।घरेलू बाजार में भी गेहूं की कीमतों में उछाल की संभावनाओं को देखते हुए दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के ब्रोकरों के माध्यम निजी कंपनियों के प्रतिनिधि आढ़तियों के माध्यम से गेहूं की खरीदारी कर रहे हैं। बिहार और यूपी को जोड़ने वाले मांझी के जयप्रभा सेतु से प्रतिदिन काफी संख्या में गेहूं लदे ट्रक दिल्ली- हरियाणा की तरफ जा रहे हैं। किसानों को बाजार में ही बेहतर भाव मिलने से ऐसा लग रहा है जैसे सरकारी क्रय केन्द्रों को चिढ़ा रहे हैं। सारण में सरकार ने गेहूं खरीद का लक्ष्य 5739 एमटी तय किया था लेकिन 135.21 एमटी ही खरीद हुई है। किसानों को बाजार के भाव से फायदा है पर सरकारी व्यवस्था से कोई लाभ नहीं मिल रहा। गेहूं की सरकारी खरीद तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल पर हो रही है। ऐसे में गेहूं की कम कीमत मिलने से किसान सरकारी खरीद में रुचि नहीं दिखाएं जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों के इंतजार में अध्यक्ष बैठे रहे। सरकारी मूल्य से बाजार में अधिक दर होने के कारण किसान पैक्सों को गेहूं नहीं बेचना चाह रहे थे। सहकारिता विभाग ने एक अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू की, लेकिन लक्ष्य से बहुत सारण रह गया। यही। किसानों का कहना है कि इस साल गेहूं की सरकारी दर 24 सौ 25 रुपए प्रति क्विंटल तय किए गए थे। लेकिन व्यवसायी 2700 रुपए क्विंटल की खरीदारी कर रहे हैं। ऐसे में कम दाम में आखिर अपना गेहूं क्यों बेचें। गेहूं की खरीदारी के लिए सहकारिता विभाग ने पैक्स अध्यक्ष व व्यापार मंडल का चयन किया था। इसके अलावा किसानों ने गेहूं बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन दाम कम होने के कारण किसान पैक्स को गेहूं नहीं बेच पाए।रिविलगंज के किसान संजय व अन्य ने कहा कि पड़ोस के यूपी में जाकर वे लोग गेहूं अधिक मूल्य पर बेचने को विवश हो रहे हैं। दर्द भरी है किसानों की पीड़ा रसुलपुर के किसान गजाधर कहते हैं कि किसानों की पीड़ा इन दिनों काफी है। रिविलगंज के किसान प्रभात सिंह बताते हैं कि हर साल ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। फिर भी कोई सोचने वाला नहीं है। मकेर के किसान मनोज सहनी का कहना है कि किसानों को एकजुट होकर बड़ा आंदोलन खड़ा करना पड़ेगा। लहलादपुर प्रखंड के सुमित का कहना है किसान संगठित नहीं हैं, इसलिए उनकी आवाज और पीड़ा को कोई नहीं सुन रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ बोनस की भी उठी थी मांग खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि गेहूं की खरीद में तेजी लाने के लिए सभी उपाय किये गए थे।उन्होंने स्वीकार किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा गेहूं का भाव मिलने से किसानों द्वारा खुले बाजार में ही बेचने की बात सामने आयी है।गेहूं की सरकारी खरीद को बढ़ावा देने की सरकार की कोशिशों के बीच सारण के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ बोनस की भी मांग उठाई थी।गेहूं खरीद की वास्तविक हकीकत परख कर वापस लौटे सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में इसकी चर्चा की थी। रिविलगंज निवासी किसान सुमन सिंह का कहना है कि किसानों ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ बोनस देने की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। किसानों ने कहा- व्यवसायियों से नकद राशि मिलती है गड़खा के किसान अनिल प्रसाद, एकमा के किसान संजीत व परसा के किसान संजीव सिंह व अन्य ने बताया कि सरकारी भाव 24 सौ 25 रुपए प्रति क्विंटल था जबकि 2700 रुपए के क्विंटल बाजार में गेहूं आराम से बिक रहे हैं। ऐसे में घाटा सह कर किसान अपना गेहूं क्यों बेचें। व्यवसायी गेहूं की खरीदारी जब करते हैं तो पैसा भी नकद मिल जाता है। किसान सोहन प्रसाद ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार गेहूं का उत्पादन भी ठीक हुआ है। हमारे पास 20 क्विंटल गेहूं की पैदावार इस बार हुई है, जिसे व्यवसायी को बेच दिया। --- बालिका नेशनल हैंडबॉल के लिए बिहार टीम में सारण के पांच खिलाड़ी मशरक। हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में बिहार हैंडबॉल संघ व नवादा जिला हैंडबॉल द्वारा 18 से 22 जून तक आयोजित 47 वीं जूनियर बालिका नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 21 बिहार टीम घोषित की गयी है। बिहार हैंडबॉल संघ के महासचिव ब्रजकिशोर शर्मा ने घोषणा की। बिहार टीम में सारण जिला से पांच खिलाड़ी शामिल हंै। बिहार टीम की कप्तान सारण की तृप्ति कुमारी को बनाया गया है । इसके अलावा सारण से स्टार गोलकीपर निधि कुमारी , मुस्कान कुमारी , पम्मी कुमारी एवम दूजा कुमारी बिहार टीम में शामिल हंै । पटना की सोनाली कुमारी उपकप्तान हैं । वही पटना से सोनी , मानसी , सिमरन, नवादा से प्रेमलता, जानवी , करिश्मा , सिमरन , वैशाली से कोमल, मोतिहारी से पल्लवी, मुंगेर से रुचि , कैमूर से गोल्डी एवम शेखपुरा से प्रियंका शामिल हैं । सभी खिलाड़ियो को बिहार हैंडबॉल संघ ने खेल पोशाक दिया । टीम कोच संजीव कुमार पटना , सहायक कोच नितेश कुमार जबकि टीम मैनेजर मॉडर्न इंग्लिश स्कूल नवादा की कल्पना कुमारी है।
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