बारकोडिंग व जेनेरिक दवाओं के दाम पर हो रहा खेल, मुश्किल हुई पहचान
दवा दुकानदारों की समस्याएँ बढ़ रही हैं। उन्हें जांच और लाइसेंस के नाम पर परेशान किया जा रहा है। नगर निगम टैक्स वसूलता है लेकिन बुनियादी सुविधाएँ नहीं देता। फार्मासिस्ट प्रमाणपत्र का वादा अब तक पूरा...
दवा दुकानदारों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। उन्हें कभी जांच के नाम पर परेशान किया जाता है तो कभी लाइसेंस के नाम पर ठगी होती है। नगर निगम भी अलग-अलग टैक्स वसूलता है, फिर भी सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं देता। बेंता के दवा दुकानदारों ने बताया कि सरकार और नगर निगम ने कई बार सुविधाएं देने का वादा किया, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली। नगर निगम होल्डिंग टैक्स में छूट देने की बात करता है, फिर भी हर साल टैक्स बढ़ा देता है। इसके बावजूद दुकानदारों को न तो सफाई मिलती है, न जलजमाव से राहत। नालों की समय पर सफाई भी नहीं होती।
सरकार ने पुराने दवा व्यवसायियों को अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट का प्रमाणपत्र देने का वादा किया था, लेकिन सालों बाद भी प्रमाणपत्र नहीं मिला। मिथिलेश ठाकुर, दुधेश्वर यादव, भोगेंद्र झा, राजीव कुमार झा,अजय कुमार यादव, संजीव ठाकुर आदि ने बताया कि जांच के नाम पर प्रशासन अवैध वसूली करता है, लेकिन नर्सिंग होम में बिना लाइसेंस दवा बिकती है। वहां न जांच होती है, न कार्रवाई। इससे वैध दुकानदारों का कारोबार प्रभावित होता है। फार्मासिस्ट के पंजीकरण के लिए आवेदन सालों से लंबित हैं। सरकार ने वेबसाइट तो लॉन्च कर दी, लेकिन इसे अब तक चालू नहीं किया जा सका है। दुकानदारों ने बताया कि अब दवाओं पर बारकोडिंग की जा रही है, ताकि नकली दवाओं पर रोक लगे। लेकिन अब नकली दवाओं पर भी बारकोड आने लगे हैं। असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो गया है। असली दवा का बारकोड स्कैन करने पर पूरी जानकारी मिलती है। नकली दवा का बारकोड सिर्फ कीमत और तारीख दिखाती है। व्यवसायियों ने सरकार और जिला प्रशासन से इस गोरखधंधे को बंद कराने की मांग की है। साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। दुकानदारों ने यह भी कहा कि नर्सिंग होम में जेनेरिक दवा के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। सरकार प्रचार तो करती है कि जेनेरिक दवा सस्ती होती है, लेकिन इन पर छपी एमआरपी कई बार सौ गुना तक ज्यादा होती है। इसका फायदा फर्जीवाड़ा करने वाले उठाते हैं। दवा व्यवसायियों ने मांग की है कि जेनेरिक दवा पर छपी कीमतों की सख्ती से निगरानी हो, ताकि मरीजों को सही लाभ मिले और वैध दवा व्यवसायियों पर असर कम हो। इसी तरह सरकार ने दवा व्यवसायियों से वादा किया था कि पुराने दवा व्यवसायियों को अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट का प्रमाणपत्र देंगे। सालों के इंतजार के बाद भी पुराने व्यवसायियों को प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है। इस वजह से ऐसे दवा दुकानदार अवैध वसूली करने वालों के हमेशा निशाने पर रहते हैं। दवा व्यवसायियों ने सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि जेनेरिक दवाओं पर अंकित मूल्यों की सख्ती के साथ निगरानी की जाए, ताकि मरीजों को जेनेरिक दवा लेने का सही फायदा मिले। इससे दवा व्यवसाय पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव भी कम होगा। इसके अलावा भी दवा व्यवसायियों के सामने कई समस्याएं हैं जिन्हें हल करने की पहल होनी चाहिए। -बोले जिम्मेदार- दवा दुकानों की जांच का हम विरोध नहीं करते, पर जांच के नाम पर दवा व्यवसायियों को प्रताड़ित करने का काम बंद होना चाहिए। दुकानदारों की जायज मांगों को सुनने के साथ ही समाधान का रास्ता निकालना चाहिए। दवा व्यवसायी एक प्रकार से समाज की सेवा का काम करते हैं। -राजेश मोहन सिंह , अध्यक्ष, दरभंगा केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन दवा दुकानदारों की जांच की पूरी जिम्मेदारी अतिरिक्त ड्रग कंट्रोलर को दी गई है। बारकोडिंग व जेनेरिक दवाओं के बारे में मेरे संज्ञान में अभी तक कोई मामला नहीं आया है। जांच से संबंधित रिपोर्ट में यदि किसी प्रकार का मामला सामने आता है तो संबंधित पदाधिकारी से जानकारी लेकर समस्या का समाधान किया जाएगा। -डॉ. अरुण कुमार, सिविल सर्जन
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