Unani Medicine Advocates Call for Government Support and Regulation in Bihar ‘यूनानी चिकित्सा का नहीं होता साइड इफेक्ट, Darbhanga Hindi News - Hindustan
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‘यूनानी चिकित्सा का नहीं होता साइड इफेक्ट

शहरी क्षेत्र में प्रैक्टिस कर रहे यूनानी डॉक्टरों ने कहा कि यूनानी चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें दवाओं के साइड इफेक्ट्स नहीं होते। उन्होंने सरकार से यूनानी हॉस्पिटल कॉलेजों की संख्या...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 30 May 2025 06:05 AM
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‘यूनानी चिकित्सा का नहीं होता साइड इफेक्ट

शहरी क्षेत्र में प्रैक्टिस कर रहे डॉ. आईक्यू उस्मानी, डॉ. आदिल अहमद, डॉ. मो. शाकिब मदनी आदि ने कहा कि यूनानी चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है। इस पद्धति के जरिए इलाज कराने से दवा का लोगों पर साइड इफेक्ट नहीं होता। उन्होंने कहा कि यूनानी पद्धति से इलाज के दौरान इस्तेमाल होने वाली दवा प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनाई जाती है। बावजूद इसके सरकार इस पद्धति के विकास के प्रति उदासीन रवैया अपनाए हुए है। डॉक्टरों ने कहा कि यूनानी के प्रति सरकार की उदासीनता को इसी बात से समझा जा सकता है कि बिहार में एकमात्र यूनानी हॉस्पिटल कॉलेज है। यदि सरकार इसकी संख्या बढ़ती है तो न केवल लोगों को यूनानी चिकित्सा पद्धति का लाभ मिलेगा बल्कि प्राइवेट कॉलेजों से शिक्षा हासिल करने वाले डॉक्टरों को भी बेहतर सेवा करने का मौका मिलेगा।

शहर में प्रैक्टिस करने वाले कई यूनानी के डॉक्टरों ने कहा कि सरकार को यूनिवर्सिटी पर दबाव डालकर शिक्षा सत्र के साथ ही परीक्षा सत्र को नियमित कराने की जरूरत है ताकि कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों की समय पर पढ़ाई मुकम्मल हो सके। सरकार और विश्वविद्यालय के बेहतर कॉ-ऑर्डिनेशन से ही अनियमित सत्र की समस्या दूर की जा सकती है। निजी यूनानी कॉलेजों एवं अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों एवं शिक्षकों के वेतन के साथ ही अन्य भत्तों आदि के भुगतान की निगरानी करनी चाहिए। जरूरत पड़ने पर सरकार को भी सहयोग करना चाहिए। यूनानी के डॉक्टरों को भी सरकारी डॉक्टरों के जैसे स्वास्थ पॉलिसी आदि का लाभ मिले। राज्य के पीएससी पर दवा आदि की आपूर्ति सही से कराने की भी जरूरत है। यूनानी डॉक्टरों की ओर से अभी तक किसी प्रकार की शिकायत मुझे नहीं मिली है। उनके लिए पीएचसी स्तर पर दवा की समस्या के निदान की व्यवस्था की गयी है। वैसे, मंत्रालय से प्राप्त आदेशों का सही से पालन कराने की व्यवस्था की गई है। -डॉ. अरुण कुमार पासवान, सिविल सर्जन, दरभंगा

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