परमात्मा की शरण में आने से सभी कष्टों का होगा निवारण
अरवल, निज संवाददाता। जो परमात्मा के शरणागत होते हैं उनके जीवन में किसी प्रकार की आधी व्याधि भी आती है। तो परमात्मा अपने शरणागत की रक्षा करते हैं।

अरवल, निज संवाददाता। सदर प्रखंड के सकरी में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन अयोध्या से पधारे हुए राष्ट्रीय संत श्री आशीष कुमार बापू ने कहा की संसार के समग्र कर्मों को करते हुए जीव को अपने मन से परमात्मा की शरणागति होनी चाहिए। जो परमात्मा के शरणागत होते हैं उनके जीवन में किसी प्रकार की आधी व्याधि भी आती है। तो परमात्मा अपने शरणागत की रक्षा करते हैं। उन्होंने आगे की चर्चा करते हुए कहा की गज परमात्मा की शरणागत था इसलिए जब ग्राह के चंगुल में पड़ा तो भगवान ने ग्राह को मार करके गज को उबरा और देवकी वासुदेव भी परमात्मा के शरणागत थे।
इसलिए परमात्मा ने उन्हें अपना माता-पिता बनाने का गौरव प्रदान किया और फिर कंस के द्वारा मारे गए अपने ही भाइयों को लाकर के देवकी से मिला भी दिया वस्तुत भगवान शरणागत वत्सल है। अपने भक्तों के जीवन में कोई पीड़ा नहीं चाहते और जब किसी भक्त के मन में पीड़ा उठाती है तो निर्गुण ब्रह्म है शगुन साकार स्वरूप धारण करके अवतार भी लेता है। इस मौके पर दिनेश सिंह, पूर्व मुखिया प्रभात कुमार सिंह, अमरेंद्र सिंह, महेश यादव, परीक्षित सिंह, मंटू सिंह, कृष्णा पासवान, सरजू बैठा, पप्पू सिंह सहित कई लोग शामिल थे। फोटो- 07 जून अरवल- 26 कैप्शन- अरवल के सकरी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा को सुनते श्रद्धालु।
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