सूख गए जिले के तालाब-पोखर, संकट में खेती-किसानी
सूख गए जिले के तालाब-पोखर, संकट में खेती-किसानी सूख गए जिले के तालाब-पोखर, संकट में खेती-किसानीसूख गए जिले के तालाब-पोखर, संकट में खेती-किसानी

जमुई, एक प्रतिनिधि जिले में प्राकृतिक जलाशयों का संरक्षण नहीं होने के कारण सिंचाई संसाधन सूखे हैं। अब बारिश के अभाव के कारण जिले के तालाब-जलाशय के साथ ही पोखर और आहर-पईन भी पूरी तरह से सूख चुके हैं। ऐसे में वर्तमान में आसपास के सभी जलश्रोतों का जल स्तर भी कम हो गया है। मौसम की बेरुखी ऐसी ही बनी रही तो खरीफ के तहत अभी चल रहे बिचड़ा आच्छादन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित होगा। किसान भारी चिंता में हैं। इधर, मानसून की दगाबाजी फिर से हावी है। ऐसा लग रहा है कि जमुई आने में अभी कम से एक सप्ताह का समय लगने वाला है।
जमुई में खेती-किसानी पूरी तरह से प्रकृति के पानी पर ही निर्भर है। जिले की जल संग्रह वाली व्यवस्था के साधान तालाब-जलाशय आदि भी अभी किसानों का साथ नहीं दे पा रहे हैं। कई तालाब एवं जलाशय आदि जिले भर में मौजूद हैं, लेकिन हालिया स्थिति यह है कि लगभग किसी में भी पानी नहीं है। नितांत सुखाड़ जैसी स्थिति के कारण जिले का वाटर लेवल भी काफी नीचे गिर गया है। कभी था कुंआ बड़ा सहारा, अब अस्तित्व ही खत्म जिले में सबसे पहले कुंओं का ही सहारा था। कुंओं में लाठा-कुड़ी के जरिए पटवन का काम किया जाता था। यह वह दौर था जब सामूहिक खेती की परंपरा निभाई जाती थी। उस दौर में औसतन एक गांव और उससे जुड़े खेतों में 50 से लेकर एक सौ कुंए तक हुआ करते थे। आज कहीं भी कुंओं का अस्तित्व नहीं बचा है। एकाध गांव में पटवन के ख्याल से ही बनाया गया कोई 12 या 20 फीट वाला कुंआ है भी तो इसमें लाठा-कुड़ी की जगह मोटर,डीजल पम्पसेट लगा कर इतना दोहन किया जा चुका है कि इसमें पानी रहता ही नहीं। इस प्रकार, कुंआ कहीं भी सिंचाई का विकल्प नहीं रह गया है। वैसे भी बारिश के अभाव के बाद जल स्तर के नीचे चले जाने के बाद सबसे पहले कुंओं का सूख जाना तय रहता है। ऐसा मार्च-अप्रैल महीने में ही हो जाता है। जून-जुलाई के महीने में कुंओं में पानी तब ही आता है जब अच्छी-खासी बारिश हो, अन्यथा यह किसी काम का नहीं रहता। प्रकृति की रहमोकरम पर है जिले की खेती- जिला अक्सर सूखे की चपेट में रहता है। जबकि जिले की खेती पूरी तरह से प्रकृति पर ही निर्भर है। वर्तमान हालात जलवायु परिवर्तन के कारण हैं। अब तो स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है।
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