जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है महेशखूंट बस स्टैंड
1. बोले खगड़िया:जीर्णोद्धार का बाट जोह रहा है महेशखूंट बस स्टैंड, परेशानीजीर्णोद्धार का बाट जोह रहा है महेशखूंट बस स्टैंड, परेशानीजीर्णोद्धार का बाट जो

महेशखूंट। वर्ष1985 में तीन करोड़ की लागत से बना महेशखूंट बस बस स्टैंड जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है। महेशखूंट में मुख्यमंत्री प्रगति यात्रा से वीरान पड़े जर्जर सरकारी बस स्टैंड के जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी थी, लेकिन मुख्यमंत्री का ध्यान भी इस ओर नहीं गया। उत्तर बिहार को जोड़ने वाले एनएच-31 व रेलवे स्टेशन के बीच में बना महेशखूंट बस स्टैंड प्रशासन की अनदेखी से बदहाल है। इस बस स्टैंड में अब गाड़ी नहीं लगती। बिजली, पानी, शौचालय तथा अन्य सुविधाओं से लैस 5 एकड़ में फैले इस बस स्टैंड वर्षो से बेकार पड़ा है। जिले के इस महत्वपूर्ण बस स्टैंड के बारे में न तो अधिकारी सोच रहे हैं और न ही जनप्रतिनिधि।
अब मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा को लेकर बस स्टैंड के जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी है। असुविधा की वजह से लोग बस और अन्य गाड़ियां सड़क पर ही खड़ा करते हैं। इधर, प्रतिदिन महेशखूंट चौक से भी काफी संख्या में लोग यात्रा करते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। समाजसेवी बासुदेव बिहारी ने बताया कि इस बस स्टैंड का निर्माण 1985 में तत्कालीन डीएम अजीत कुमार के आदेश पर करीब तीन करोड़ रुपए की लागत से गोगरी के तत्कालीन एसडीओ मैथ्यू के द्वारा कराया गया था। तब स्टैंड परिसर में 26 स्टॉल, सुलभ शौचालय, यात्री शेड एवं पेयजल की व्यवस्था की गई थी, जो आज वीरान है। जबकि बस स्टैंड की जर्जरता के कारण यात्री वाहन चालकों ने सड़क को बस स्टैंड बनाकर रखा है। सड़क किनारे सभी वाहनों खड़े कर यात्रियों को उतारते और चढ़ाते हैं। जिसके कारण महेशखूंट चौराहे पर हमेशा जाम लगा रहता है। बताया गया कि महेशखूंट अंतरराज्यीय बसें भी चलती हैं | जिला परिषद अंतर्गत उक्त बस स्टैंड सरकारी उपेक्षा के कारण अस्तित्व विहीन हो गया है। बस पड़ाव के व्यवस्थित होने से वहां कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा तथा जिला परिषद को इससे अच्छी-खासी आय भी हो सकती है। रेलवे स्टेशन के निकट स्थित बस पड़ाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यहां से बंगाल, झारखंड सहित उत्तर बिहार के कई जिलों के अलावा अन्य कई बड़े शहरों के लिए कई बसें चलती हैं। उत्तर बिहार को जोड़ने वाली इस जगह पर हमेशा बसों तथा छोटे वाहनों का ठहराव होता है। महेशखूंट चौराहा पर नहीं है यात्री प्रतीक्षालय: महेशखूंट चौराहा पर यात्री प्रतीक्षालय नहीं रहने से कड़ाके की ठंड व चिलचिलाती घूप व बरसात में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यात्री शमशेर खान,नरेश सदा,प्रजेश मिश्रा,दीपक साह, दीपनारायण सिंह आदि ने बताया महेशखूंट जिले के सबसे व्यस्तम बस स्टैंड है। यहां से लोगों पटना, टाटानगर, रांची, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार,भागलपुर आदि जगहों जाने के लिए महेशखूंट बस सटैंड यात्रा करने आते हैं।पर यात्रियों के बैठने के लिए यात्री प्रतीक्षालय नहीं है। इससे यात्रियों को कड़ाके की ठंड में सड़क किनारे खड़े होकर ही बसों का इंतजार करना पड़ रहा है। इससे यात्रियों को परेशानी हो रही है। महेशखूंट में पूर्णिया-भागलपुर मार्ग, सहरसा-मधेपुरा मार्ग, महेशखूंट से पटना जाने वाली मार्ग व महेशखूंट से अगुवानी घाट जाने वाली मार्ग पर बस अलग-अलग स्थानों पर खड़ी होती हैं। ऐसे में यात्री भी चारों मार्गों पर बसों का इंतजार करने के लिए सड़क पर खड़े होने को मजबूर हैं। कुछ यात्री आसपास की दुकानों पर जाकर बैठते हैं। यात्रियों ने बताया महेशखूंट में तीन करोड़ों रुपये की लागत से महेशखूंट में सरकारी बस स्टैंड व प्रतीक्षालय निर्माण कराया था, लेकिन अधिकारियों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण जर्जर हो गया है। यात्री मनोहर सिंह, कंचन देवी, बसमतिया देवी आदि ने बताया प्रशासन द्वारा बस स्टैंड जीर्णोद्धार कर प्रतीक्षालय की व्यवस्था नहीं कराये जाने से खुले आसमान के नीचे यात्रियों कड़ाके की ठंड मे बस आने का इंतजार करने को विवश है। बोले अधिकारी: महेशखूंट बस स्टैंड के लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है। जल्द स्थायी बस स्टेैंड का निर्माण किया जाएगा। सुनंदा कुमारी, एसडीओ, गोगरी।
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