डीएम ने गत फरवरी माह में की थी खगड़िया सदर अंचलाधिकारी के निलंबित करने की अनुशंसा
डीएम ने गत फरवरी माह में की थी खगड़िया सदर अंचलाधिकारी के निलंबित करने की अनुशंसाडीएम ने गत फरवरी माह में की थी खगड़िया सदर अंचलाधिकारी के निलंबित करने

खगड़िया । नगर संवाददाता डीएम अमित कुमार पांडेय ने गत 15 फरवरी को पत्र भेजकर सदर अंचल के अंचालाधिकारी ब्रजेश कुार पाटिल के निलंबन की अनुशंसा की थी। पत्रांक 344 के माध्यम से भेजे पत्र में उन्होंने कहा था खगड़िया अंचल ऐसा है जहां राजस्व कागजातों की घोर कमी है। ऐसी स्थिति में खगड़िया अंचल का कार्य सीओ ब्रजेश कुमार पाटिल से सुचारू रूप से नहीं चल सकता है। इनकी कार्यशैली एवं कार्यभावना राजस्व प्रशासन के अनुकूल नहंी है। जिसके आलोक में खगड़िया अंचल के रैयतों एवं राजस्व हितों को देखते हुए ब्रजेश कुमार पाटिल को को निलंबित करने की अनुशंसा की गई थी। श्री पाटिल के विरुद्ध प्रतिवेदित उक्त गंभीर आरोपों के आलोक में अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया गया। विभाग द्वारा सदर सीओ श्री पाटिल को बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियमावली 2005 के नियम नौ (1) के प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए निलंबन अवधि में मुंगेर कमिश्नर के कार्यालय को मुख्यालय बनाया गया है। निलंबन अवधि में श्री पाटिल को नियमानुसार बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली 2005 के नियम 10 के तहत जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। वहीं उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए अलग से संकल्प निर्गत किया जाएगा।
निलंबन अवधि में मुंगेर कमिश्नरी होगा मुख्यालय:
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा खगड़िया सदर अंचलाधिकारी ब्रजेश कुमार पाटिल को सोमवार को निलंबित किए जाने के बाद उनका मुख्यालय मुंगेर कमिश्नर कार्यालय किया गया है। सरकार के संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय द्वारा इस संबंध में सोमवार को पत्र जारी किया है। बताया जा रहा है कि सीओ ब्रजेश कुमार पाटिल के विरुद्ध बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन करने, विभागीय निर्देश के बावजूद सुयोग्य श्रेणी के वासभूमि विहीन परिवारों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए अभियान बसेरा टू के तहत सर्वेक्षित परिवारों को बंदोबस्ती प्रमाण पत्र वितरण कार्य में शिथिलता बरतने का आरोप था। वहीं ई मापी में अमीन के कार्यों की समीक्षा नहीं करने, ससमय जमाबंदियों के परिमार्जन नहीं करने की वजह से राजस्व वसूली प्रभावित होने, जिला लोक शिकायत पदाधिकारी द्वारा पारित आदेश का पालन नहीं करने, पंचायत सरकार भवन के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध नहीं कराने का भी आरोप था। जबकि ऑनलाइन लगान अद्यतन करने में अभिरूचि नहीं लेने उच्च न्यायालय द्वारा पारित न्यायादेश के अवहेलना जैसे आरोप प्रतिवेदित थे।
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