साइड स्टोरी: चार मासूमों संग पिता ने दी जान, पारिवारिक कलह आत्महत्या की वजह
चार मासूमों संग पिता ने दी जान, पारिवारिक कलह बना आत्महत्या का कारण

बड़हिया, एक संवाददाता। हरियाणा के बल्लभगढ़ से आई एक हृदय विदारक घटना ने न बड़हिया क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। पारिवारिक कलह से परेशान एक पिता ने अपने चार मासूम बच्चों के साथ रेलवे ट्रैक पर कूदकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान जमुई जिला के मंझवे गांव निवासी जंगली महतो के 40 वर्षीय पुत्र मनोज महतो के रूप में हुई है। उनके साथ जान गंवाने वाले बच्चों में गोलू कुमार (10), कारू कुमार (9), छोटू कुमार (5) और सबसे छोटा तीन वर्षीय छोटका शामिल है। यह परिवार बीते कुछ वर्षों से हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में किराए के मकान में रहकर जीवनयापन कर रहा था।
रेलवे ट्रैक पर पांच लाशें देख उड़े होश मंगलवार को जैसे ही स्थानीय लोगों की नजर रेलवे ट्रैक पर पड़ी, वहां का मंजर देखकर हर किसी की रूह कांप उठा। रेलवे पुलिस को सूचना दी गई और मौके पर पहुंचकर जांच शुरू हुई। पांचों शवों की स्थिति देखकर प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला प्रतीत हुआ। पुलिस ने शवों की शिनाख्त कर परिजनों को सूचित किया। मृतक की पत्नी प्रीति कुमारी को घटना की सूचना रेलवे पुलिस से मिली, जिसने तत्काल इसकी जानकारी अपनी मां शोभा देवी को दी। इसके बाद बड़हिया क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। प्रेम विवाह से शुरू हुआ था संबंधों का सफर मनोज महतो और प्रीति कुमारी की शादी वर्ष 2014 में प्रेम विवाह के रूप में हुई थी। प्रीति बड़हिया नगर परिषद के वार्ड संख्या दो तारतर निवासी स्व. सागर महतो की पुत्री है। चार बहनों में सबसे छोटी प्रीति की संझली बहन की शादी जमुई जिले के मंझवे गांव में हुई थी। जहां मनोज महतो उनके चचेरे देवर थे। वहीं दोनों के बीच प्रेम संबंध पनपे और उन्होंने परिवार की रजामंदी के बगैर ही विवाह कर लिया। शादी के बारे में बताते हुए प्रीति की मां शोभा देवी ने कहा कि मनोज मेरी मंझली बेटी के साथ पहली बार 2014 में घर आए थे। अगली सुबह ही बिना किसी रस्म या रिवाज के उन्होंने प्रीति की मांग में सिंदूर भर दिया और सबको बताया कि वे अब पति पत्नी हैं। मैंने पहले विरोध किया, लेकिन समाज और आस-पड़ोस के लोगों ने समझाया कि जब दोनों ने स्वेच्छा से शादी की है, तो इसे स्वीकार कर लेना चाहिए। इसके बाद हम भी मान गए। ससुराल से खटास बाद संघर्ष की शुरुआत शादी के बाद प्रीति अपने ससुराल मंझवे गई थी, लेकिन वहां मनोज के पिता जंगली मंडल ने इस शादी को स्वीकार नहीं किया। पिता पुत्र के बीच लगातार कलह होने लगी, और मारपीट की नौबत भी आई। इस बीच मनोज और प्रीति के बड़े पुत्र गोलू का मंझवे में ही जन्म हुआ। जिसके बाद मनोज और उसके पिता के बीच तनाव इतना ज्यादा बढ़ गया कि मनोज को अपने घर से निकाल दिया गया। जिसके बाद उन्होंने बड़हिया में ही किराए पर घर लेकर रहना शुरू किया और दैनिक मजदूरी करने लगे। बड़हिया में रहते हुए उनके दो और बेटों कारू और छोटू का जन्म हुआ। इसके बाद मनोज ने जमुई को पूरी तरह छोड़ दिया और फरीदाबाद के बल्लभगढ़ जाकर मजदूरी करने लगे। वहां सबसे छोटे पुत्र छोटका का जन्म हुआ। कड़वे रिश्ते, तंगी और घुटन मनोज और प्रीति की जिंदगी शुरू से ही संघर्षों से भरी रही। सीमित आय, बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था न हो पाना, आधार कार्ड जैसी मूलभूत चीजें नहीं बनवा पाना इन सब बातों को लेकर पति पत्नी में अक्सर झगड़े होते थे। मां शोभा देवी ने बताया कि प्रीति कई बार फोन पर उन्हें मनोज के द्वारा की गई मारपीट की शिकायत करती थी। साथ ही आस पड़ोस की महिलाओं का भी कहना है कि मनोज अत्यधिक संकीर्ण और शक्की सोच वाला व्यक्ति था। उसे अपनी पत्नी का किसी से भी बात करना सहन नहीं होता था। बीते अप्रैल महीने में प्रीति अपने देवर की शादी में शामिल होने के लिए बल्लभगढ़ से बड़हिया आई थी। लेकिन मनोज के घर वालों द्वारा विशेष भाव नहीं दिए जाने के कारण वे विवाह समारोह में शामिल नहीं हो सके। पूरा परिवार एक माह तक बड़हिया में रहा और फिर सात दिन पहले ही बल्लभगढ़ लौट गया था। प्रस्थान के समय भी मनोज ने घर में नाश्ते की व्यवस्था न होने के कारण बाजार से रेडीमेड नाश्ता खरीदकर यात्रा की थी। आत्महत्या से पहले की झूठी तसल्ली और आखिरी सफर घटना से दो दिन पहले ही मनोज ने अपनी सास शोभा देवी से फोन पर बात की थी और बताया था कि सब कुछ सामान्य है, कोई विवाद नहीं है। प्रीति ने भी फोन पर यही बात दोहराई थी। लेकिन शायद यह तसल्ली महज एक झूठी कोशिश थी। अपनों को सच्चाई से दूर रखने की ताकि कोई रुकावट न आए। मंगलवार को मनोज ने पत्नी प्रीति से सभी बच्चों के साथ पार्क ले जाने की बातें कही। परंतु गर्मी अधिक होने के कारण प्रीति ने उन्हें मना किया और बच्चों को भी न ले जाने की सलाह दी। इसके बावजूद मनोज चारों बच्चों को लेकर निकल पड़े। कुछ ही देर बाद रेलवे पुलिस से मनोज और उनके चारों बच्चों की मौत की सूचना प्रीति को मिली। यह खबर सुनते ही प्रीति बेसुध हो गई और बड़हिया में कोहराम मच गया। फिलहाल मिले जानकारी अनुसार रेल पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रथम दृष्टया यह घटना पारिवारिक कलह और मानसिक अवसाद का परिणाम प्रतीत होती है। पड़ोसियों का भी कहना है कि मनोज का व्यवहार लगातार चिड़चिड़ा होता जा रहा था और वह किसी से ज्यादा मेलजोल भी नहीं रखते थे। अपने चार अबोध बच्चों के साथ मनोज महतो का यह दुखद अंत सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं है बल्कि सामाजिक व पारिवारिक ताने बाने में फैली उन कमजोर कड़ियों की पहचान है। जिनकी अनदेखी बार बार की जाती है। एक युवक जिसने प्रेम विवाह कर नया जीवन शुरू किया। उसके जीवन में उतपन्न हुए समाजिक अस्वीकार्यता, पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से वह इतना टूट गया कि उसने अपने चार मासूम बच्चों की जान लेकर खुद को भी मिटा दिया।
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