मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को हरा सकती हूं,लेकिन... अलवर में क्या बोलीं स्मृति ईरानी
अलवर जिले के एलआईईटी कॉलेज में आयोजित सांसद खेल उत्सव की शुरुआत भले ही खेल और युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के मकसद से हुई हो, लेकिन इस मंच का इस्तेमाल पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की तेजतर्रार नेता स्मृति ईरानी ने राजनीतिक संकेतों और संदेशों के लिए भी किया।

अलवर जिले के एलआईईटी कॉलेज में आयोजित सांसद खेल उत्सव की शुरुआत भले ही खेल और युवा प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के मकसद से हुई हो, लेकिन इस मंच का इस्तेमाल पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की तेजतर्रार नेता स्मृति ईरानी ने राजनीतिक संकेतों और संदेशों के लिए भी किया। उन्होंने न केवल खेलों के जरिए राष्ट्र निर्माण की बात कही, बल्कि अपने राजनीतिक सफर और भविष्य को लेकर भी संकेत दिए।
ईरानी ने एलआईईटी कॉलेज में 10 दिवसीय बालिका समर कैंप का शुभारंभ करते हुए कहा – "चाहे मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को हरा दूं, चाहे सांसद बन जाऊं, मंत्री बन जाऊं, लेकिन ये ‘सास-बहू’ मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी।" इस बयान में उन्होंने खुद के लोकप्रिय टीवी शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' और उसमें निभाए गए तुलसी के किरदार का हवाला देते हुए अपने राजनीतिक करियर और पब्लिक पर्सेप्शन की गहराई से चर्चा की।
इस व्यंग्यात्मक लेकिन राजनीतिक रूप से गूढ़ बयान से स्मृति ईरानी ने यह जताने की कोशिश की कि उनकी पहचान अब किसी धारावाहिक तक सीमित नहीं है, बल्कि वह एक सशक्त राजनेता के रूप में खुद को स्थापित कर चुकी हैं। खास बात यह रही कि उन्होंने अपने राजनीतिक भविष्य पर टिप्पणी करते हुए कहा – “खिलाड़ी कौन से नंबर पर खेलेगा, ये कप्तान तय करता है।” इस कथन को राजनीतिक गलियारों में भविष्य की संभावित भूमिका या चुनावी रणनीति का संकेत माना जा रहा है।
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव की उपस्थिति भी खास रही। उन्होंने खिलाड़ियों के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं और ‘माई भारत पोर्टल’ के माध्यम से खिलाड़ियों को जोड़ने की पहल की जानकारी दी। लेकिन असल में यह कार्यक्रम महज एक समर कैंप नहीं, बल्कि भाजपा की युवा और महिला मतदाताओं को साधने की रणनीति का हिस्सा भी नजर आया।
ईरानी ने खिलाड़ियों से सीधा संवाद करते हुए मानवीय दृष्टिकोण, अनुशासन और मेहनत की सीख दी। लेकिन उनके हर शब्द में एक राजनीतिक रचना झलकती रही – जैसे उन्होंने कहा कि “खिलाड़ियों को आलस्य और गलत इच्छाओं का परित्याग करना होगा” – जो दरअसल, देश की राजनीति में नैतिकता और नेतृत्व की ओर इशारा करता है।
ईरानी के भाषण में भाजपा की ‘न्यू इंडिया’ और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं की प्रतिध्वनि भी सुनाई दी। इस कार्यक्रम में 300 बालिकाओं को प्रशिक्षण, फिल्मों के जरिए प्रेरणा, और प्रकृति से जोड़ने के प्रयास के जरिए भाजपा ने साफ तौर पर महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे लाने का संदेश दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो स्मृति ईरानी का यह दौरा और उनके बयान 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के पुनर्गठन और रणनीतिक सिग्नलों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपने भाषण के जरिए यह जताने की कोशिश की कि वो सिर्फ 'तुलसी' नहीं हैं – वो मैदान में खेलने वाली एक राजनीतिक खिलाड़ी हैं, जो कब किस नंबर पर उतरेगी, ये वक्त तय करेगा।
इस कार्यक्रम में जिला प्रमुख बलबीर सिंह छिल्लर, भाजपा जिला अध्यक्ष अशोक गुप्ता, महासिंह चौधरी, रामहेत यादव और संजय नरूका जैसे नेता भी मौजूद रहे – जो इस बात का संकेत है कि पार्टी इस आयोजन को राजनीतिक कैडर के पुनर्गठन और ग्राउंड लेवल पर जनसंपर्क की कोशिश के रूप में भी देख रही है।
अलवर में हुआ यह खेल उत्सव एक सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधि से कहीं आगे जाकर भाजपा की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने वाला मंच बनकर उभरा – जहां स्मृति ईरानी ने ‘तुलसी’ से आगे बढ़कर एक सशक्त महिला नेता की भूमिका को और भी स्पष्ट किया।
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