कोर्ट कर्मियों ने चिपकाया कलेक्ट्रेट की नीलामी का नोटिस
मधुबनी में सिविल कोर्ट ने पंडौल कोऑपरेटिव सूता मिल के मामले में ₹4 करोड़ का भुगतान नहीं करने पर कलेक्ट्रेट की 10 कट्ठा भूमि और दो मंजिला भवन की नीलामी का आदेश दिया है। मामला 2014 में हाई कोर्ट के आदेश...

मधुबनी, विधि संवाददाता। मंगलवार को सिविल कोर्ट मधुबनी के नाजिर दुर्गानंद झा ने समाहरणालय मुख्य द्वार के पास नोटिस चिपकाया। काश 2014 में कोलकाता के रतन कुमार केडिया को 33 लाख 40 हजार 168 रुपया भुगतान कर दिया होता तो 10 वर्ष बाद 4 करोड़ 17 लाख 24 हजार 459 रुपए भुगतान करने की नौबत नहीं आती। हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस न्यायमूर्ति घनश्याम प्रसाद ने मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक रतन कुमार केडिया बनाम पंडौल कोऑपरेटिव सूता मिल, बिहार सरकार एवं अन्य के मामले में 20 अगस्त 2014 को आदेश पारित किया था। केडिया के अधिवक्ता वरुण कुमार झा के अनुसार आर्बिट्रेटर श्री प्रसाद ने अपने आदेश में विपक्षी को एडवांस भुगतान 28 लाख 90 हजार 168 रुपया, क्षतिपूर्ति के रूप में 2 लाख रुपया, मुकदमा खर्च 70 हजार तथा आर्बिट्रेटर को फीस के रूप में एक लाख 80 हजार रुपए भुगतान करने का आदेश दिया था।
अधिवक्ता के अनुसार आदेश में पारित रकम भुगतान नहीं करने पर 18 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का भी आदेश दिया गया था। आदेश का पालन नहीं करने पर 2016 में कंपनी के डायरेक्टर ने जिला जज मधुबनी के न्यायालय में जस्टिस घनश्याम प्रसाद के आदेश का अनुपालन करने के लिए मामला दायर किया था। सूता मिल चालू करने के लिए कंपनी ने लगाया था पैसा अधिवक्ता वरुण कुमार झा एवं हरिशंकर श्रीवास्तव ने बताया कि वर्षों पूर्व पंडौल में सरकार की देखरेख में कोऑपरेटिव सूता मिल चलता था। कई मजदूर मिल में कार्यरत थे। 1996-97 में सूता मिल बंद हो गया। मिल बंद होने के बाद मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर कोलकाता निवासी रतन कुमार केडिया एवं पंडौल कोऑपरेटिव सूता मिल के पदाधिकारियों के साथ एक करार हुआ। करार के अनुसार रतन कुमार केडिया की कंपनी मिल चलाने के लिए पूंजी एवं रॉ मैटेरियल देने पर राजी हुए। मिल का संचालन उसके अधिकारियों एवं सरकार को करनी थी। मजदूर एवं अन्य संसाधन सरकार को ही उपलब्ध कराना था। करार के अनुसार मिल चालू हुआ। मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एडवांस में रुपया सूता मिल के अधिकारियों को भुगतान करता रहा। रुपया भुगतान करने के बदले जब कंपनी के डायरेक्टर ने बिल का मांग किया तो उन्हें बिल देने से मना कर दिया गया। बिल नहीं देने पर कंपनी ने पैसा भुगतान करना भी बंद कर दिया। आखिरकार मिल बंद हो गया। फिर 1999 में कंपनी की डायरेक्टर ने मधुबनी सबजज न्यायालय में टाइटल सूट दायर कर मिल की संपत्ति यथावत रखने के लिए स्टेटस-को लगाने की मांग की। कोर्ट द्वारा स्टेटस-को का अर्जी खारिज करने के बाद डायरेक्टर ने हाई कोर्ट की शरण ली। डायरेक्टर ने मुकदमा में पंडौल कोऑपरेटिव सूता मिल के प्रबंध निदेशक,जनरल मैनेजर, अकाउंट ऑफिसर, बिहार सरकार उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एवं नया सचिवालय में उद्योग विभाग के कमिश्नर को पार्टी बनाया था। वर्ष 2016 में दायर किया गया आर्बिट्रेशन इजराय वाद मेसर्स राधा कृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर कोलकाता निवासी रतन कुमार केडिया के मुख्य वकील वरुण कुमार झा ने बताया कि पंडौल कोऑपरेटिव सूता मिल में उनके मुअक्किल द्वारा लगाई गई पूंजी व रॉ मैटेरियल्स का पैसा वर्षों से बकाया है। पटना हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति घनश्याम प्रसाद ने बतौर आर्बिट्रेटर रिक्वेस्ट वाद संख्या 7/2012 में इस संबंध में राशि भुगतान का आदेश दिया था। इसके बावजूद राज्य सरकार व सूता मिल के अधिकारियों ने उनके मुअक्किल को ब्याज सहित चार करोड़ 17 लाख 24 हजार 459 रुपये का भुगतान नहीं किया। 2016 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में आर्बिट्रेशन इजराय वाद दायर किया गया। कोर्ट से कलेक्ट्रेट की जमीन व भवन नीलाम कर पक्षकार को पैसा भुगतान करने की मांग की गई थी। इसी के बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया है। 10 कट्ठा जमीन पर बने दो मंजिला भवन की होगी नीलामी कोर्ट नाजिर ने बताया कि दक्षिण से कलेक्ट्रेट की 10 कट्ठा भूमि नीलाम की जाएगी। जमीन पर कलेक्ट्रेट के दो मंजिला भवन की भी नीलामी होगी। उन्होंने बताया कि निर्धारित समय सीमा के अंदर रुपये का भुगतान नहीं किया गया तो नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। नाजिर ने बताया कि नोटिस व कोर्ट का आदेश समाहरणालय के मुख्य द्वार पर चस्पा किया गया है। नोटिस एवं आदेश से कलेक्ट्रेट नजारत को भी अवगत कराया गया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।