नौकरीपेशा महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा पालना घर
मोतिहारी में नौकरीपेशा माता-पिता के लिए दो पालना घरों की शुरुआत हुई है। ये पालना घर बच्चों की देखभाल के लिए 10 से 20 बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं। यहां पढ़ाई, खेल, और भोजन की सुविधाएं...

मोतिहारी। नौकरीपेशा माता-पिता के लिए कार्यस्थल पर बच्चों की देखभाल की चिंता अब बीते दिनों की बात होती जा रही है। ऐसे माता-पिता के लिए पालना घर का कांसेप्ट बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। मोतिहारी शहर में दो पालना घर इस दिशा में बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। एक पालना घर कलेक्ट्रेट के राजेन्द्र भवन में और दूसरा एसपी ऑफिस कैंपस में संचालित हो रहा है। यहां प्रशासन व पुलिस विभाग से जुड़े पदाधिकारी व कर्मियों के बच्चों की देखभाल की जाती है। वर्ष 2024 में शुरू हुआ राजेंद्र भवन स्थित पालना घर: राजेन्द्र भवन स्थित पालना घर वर्ष 2024 में शुरू हुआ।
यह पालना घर वर्तमान में 10 बच्चों की देखभाल कर रहा है। यहां बच्चों के खेलने से लेकर पढ़ाई, सोने और खाने तक की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए एयर कूलर की व्यवस्था की गई है। बच्चों के खेलने के लिए विभन्नि प्रकार के खिलौने मौजूद हैं, छोटे बच्चों के लिए पालना है, पढ़ने के लिए शैक्षणिक सामग्री है। यहां पर फ्रिज और इंडक्शन की भी सुविधा दी गई है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों के लिए लाया गया खाना स्टोर कर सकें और ज़रूरत पड़ने पर गर्म करके उन्हें यहां खिलाया जा सके। यहां बच्चों की देखरेख की जम्मिेदारी निशा कुमारी और नीलू कुमारी के पास है। वे पूरी आत्मीयता के साथ बच्चों की देखभाल करती हैं। पालना घर का संचालन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक किया जाता है। महिला हेल्पलाइन केंद्र की प्रशासक मुक्ति श्रीवास्तव अपनी बेटी अनमी श्रीवास्तव को पालना घर में रख अपनी ड्यूटी को संभालती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी नियमित रूप से वहां जाती है और उन्हें इस सुविधा से काफी राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि वे नश्चितिं होकर अपनी बच्ची को पालना घर में छोड़कर अपने कार्य पर पूरी तरह ध्यान दे पाती हैं। उनके अनुसार यहां बच्चियों को समय पर खिलाया-पढ़ाया जाता है, सुलाया जाता है और घर से लाया गया खाना भी समय पर गर्म करके खिलाया जाता है। उन्होंने इसे कामकाजी माताओं के लिए एक बेहद उपयोगी बताया। इसी प्रकार, जिला स्थापना की अधिवक्ता सुष्मिता कुमारी ने पालना घर की सुविधाओं की सराहना करते हुए बताया कि उनका बेटा अयांश भी वहां जाता है। उन्होंने कहा कि पालना घर में बच्चों को समय पर खेलाने-पढ़ाने के साथ-साथ जब भी भूख लगती है, तब उन्हें घर से लाया गया दलिया या अन्य खाना गर्म करके भी खिलाया जाता है। हालांकि एक सुझाव भी दिया कि फिलहाल वहां का सीसीटीवी कैमरा खराब है, जिसके कारण वे ऑफिस से अपने बच्चे की गतिविधियों पर नजर नहीं रख पातीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर कैमरा जल्द ठीक हो जाए तो यह सुविधा और भी बेहतर हो जाएगी। एसपी ऑफिस कैंपस में संचालित पालना घर में 20 बच्चों की हो रही देखभाल: इधर, एसपी ऑफिस कैंपस में संचालित पालना घर में फिलहाल लगभग 20 बच्चे हैं। यह भी सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक संचालित होता है। यहां की देखरेख दो महिला सहायिकाएं करती हैं। उन्होंने बताया कि वे अब बच्चों के व्यवहार को भलीभांति समझ चुकी हैं और प्रत्येक बच्चे को उसकी जरूरत के अनुसार संभालती हैं। यहां भी गर्मी को देखते हुए दो एयरकूलर लगाए गए हैं, खाने के भंडारण के लिए फ्रिज, खाना गर्म करने के लिए किचन और जरूरत पड़ने पर तत्काल चिकत्सिा सुविधा के लिए डॉक्टर की भी उपलब्धता सुनश्चिति की गई है। इन पालना घरों की सुविधा से नौकरीपेशा माता-पिता को बड़ी राहत मिली है। वे सुबह बच्चों को यहां रखकर नश्चितिं होकर अपने कार्यस्थल पर अपने दायत्विों का नर्विहन कर पा रहे हैं। क्योंकि उन्हें यह भरोसा है कि उनके बच्चे सुरक्षित और सही देखरेख में हैं। मोतिहारी के ये पालना घर एक मॉडल बन कर उभरे हैं, जिसे भवष्यि में दूसरे जगहों पर भी स्थापित करने से अधिक से अधिक कामकाजी माता-पिता को इसका लाभ मिल सकेगा।
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