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सरकार व्यापार नीतियों में बदलाव कर टैरिफ समस्या का निकाले समाधान

मोतिहारी के उद्योगपतियों ने अमेरिका द्वारा भारत से निर्यात होने वाले सामान पर टैरिफ बढ़ाने पर चिंता व्यक्त की है। इसका सीधा असर चंपारण के बासमती चावल, मर्चा चूड़ा, और अन्य उत्पादों पर पड़ेगा।...

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीSun, 6 April 2025 11:11 PM
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सरकार व्यापार नीतियों में बदलाव कर टैरिफ समस्या का निकाले समाधान

शहर के उद्योगपतियों ने भारत से अमेरिका को नर्यिात होनेवाले सामान पर टैरिफ बढ़ाने जाने पर चिंता जताई है। मोतिहारी चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों व विभन्नि कारोबार से जुड़े शहर के व्यवसायियों ने शनिवार को हन्दिुस्तान से बातचीत में वस्तिार से अपनी बात रखी। मोतिहारी चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि यूं तो चंपारण से सीधे तौर पर अमेरिका के लिए किसी सामान का नर्यिात नहीं होता है, लेकिन परोक्ष रूप से टैरिक बढ़ाए जाने से चंपारण्ल के ग भी अछूता नहीं रहेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति की इस घोषणा के बाद से संभव है कि चंपारण से बासमती चावल, मर्चा चूड़ा, लीची, दाल, हल्दी आदि के नर्यिात पर असर पड़ेगा। ऐसे में सरकार को व्यापार नीतियों में बदलाव कर नर्यिात के वैकल्पिक केंद्र तलाशने होंगे। इससे अमेरिका के बाजार पर भारत की नर्भिरता कम होगी और भारत के आर्थिक ढांचे को कोई खतरा नहीं रहेगा। संजय कुमार जायसवाल ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से शेयर बाजार क्रैश हो रहा है तो इसमें चंपारण के लोगों का पैसा भी डूब रहा है। वह बताते हैं कि इस घोषणा से अमेरिका में विदेशी सामान महंगे होंगे। इससे वहां का ग्रोथ डाउन होगा। पिछले एक महीने में डॉलर का रेट गिरा है। नर्यिात होनेवाले सामान पर टैरिफ बढ़ाए जाने से शेयर बाजार नीचे गिर रहा है। इनफ्लेशन बढ़ रहा है। अमेरिका पहले से ही महंगाई से परेशान है, टैरिफ बढ़ाए जाने से अमेरिका में महंगाई और बढ़ेगी। भारत से आयात-नर्यिात प्रभावित होगा। इससे दूसरे देशों से प्रतस्पिर्द्धा बढ़ेगी। हमारा उद्योग-धंधा प्रभावित होगा। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होंगे। अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। इस मुद्दे पर सभी देशों को अमेरिका से सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है। भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर अधिक प्रभावित होगा। इस सेक्टर में कंपोनेंट पर टैरिफ ज्यादा होने से कार महंगी होगी। कार उद्योग के लिए कई उपकरण भारत से अमेरिका नर्यिात होता है। ज्वेलरी पर टैरिफ बढ़ाए जाने से अमेरिका में इसकी डिमांड कम होगी। भारत में इससे तात्कालिक नुकसान दिखता है मगर, हमें इसे अवसर में बदलने की जरूरत है।

हिंदी बाजार व्यवसायी संघ के सचिव रामभजन ने कहा कि टैरिफ बढ़ाए जाने का मोतिहारी के व्यवसायियों पर डायरेक्ट असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका के इस नर्णिय से उत्पादक अधिक प्रभावित होंगे। इसका समाधान ढूंढ़ना होगा। हमें व्यापार का वैकल्पिक विकल्प ढूंढ़ना होगा। इसका वश्वि में व्यापक असर देखने को मिलेगा। इससे आर्थिक युद्ध जैसे हालात उत्पन्न होंगे। भारत से अधिक चीन से नर्यिात होनेवाले सामान पर टैरिफ बढ़ाया गया है। भारत को इससे सबक लेते हुए अन्य सेक्टर को मजबूत बनाना होगा। अमेरिका से आयात होनेवाले सामान का उत्पादन अपने देश में बढ़ना होगा। कपड़ा व्यवसायी हरीश कुमार ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह नर्णिय निराशाजनक है। यह भारत की अर्थव्यवस्था को गिराने का प्रयास है। इस नर्णिय से अमेरिकी बाजार में भारत के सामान की बक्रिी कम होगी। इसका प्रतिकूल असर बाजार पर देखने को मिलेगा। इससे देश में मंदी की आशंका है। स्वर्ण व्यवसायी दिलीप कुमार साह ने कहा कि अमेरिका का भारत से मत्रिवत संबंध है। हमारे देश के उद्योग-धंधे पर टैरिफ का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमें घबराने की जरूरत नहीं है। इससे भारत को दूरगामी फायदा होगा।

अमेरिका को नर्यिात होनेवाले सामान की कीमतें बढ़ने और मांग घटने की आशंका

शहर के श्री नारायण सिंह महावद्यिालय के प्राचार्य सह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ.नवल किशोर बैठा ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाए जाने से भारत को कई तरह का नुकसान हो सकती है, जैसे कि नर्यिात में कमी, विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव और जीडीपी पर नकारात्मक प्रभाव। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण, भारत से अमेरिका को नर्यिात होनेवाले सामान की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे भारतीय नर्यिात कम हो सकता है। नर्यिात में कमी से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि भारत को कम आय प्राप्त होगी। जीडीपी पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा। नर्यिात में कमी और विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव से भारत की जीडीपी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिकी टैरिफ से बेरोजगारी भी बढ़ेगी। नर्यिात में कमी से कुछ उद्योगों में नौकरियों पर संकट आ सकता है। कुछ विशष्टि क्षेत्रों-जैसे कि इलेक्ट्रॉनक्सि, रत्न और आभूषण और कृषि पर टैरिफ का अधिक प्रभाव पड़ सकता है। टैरिफ से व्यापार युद्ध की भी आशंका है। टैरिफ लगाने से व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ सकती है, जो दोनों देशों के लिए हानिकारक हो सकता है। डॉ.बैठा ने कहा कि अमेरिका के टैरिफ के कारण भारतीय कंपनियों की प्रतस्पिर्द्धा क्षमता कम हो सकती है, क्योंकि उन्हें अमेरिका में अपने उत्पादों को बेचने में अधिक खर्च करना पड़ेगा। देश में आर्थिक मंदी की संभावना है।

लहठी सहित देसी सामान मंगाना हो जाएगा महंगा

मोतिहारी के बलुआ टाल निवासी डॉ. राहुल सौरभ लंबे समय से यूएसए में मेडिकल क्षेत्र में रिसर्च साइंटस्टि हैं। उन्होंने फोन पर बातचीत में बताया कि ट्रंप सरकार के दूसरे कार्यकाल में टैरिफ में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। इससे अमेरिका में रह रहे भारतीयों को भवष्यि में परेशानियों से दो-चार होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यहां रह रहे भारतीयों में यह चर्चा हो रही है कि दिनों-दिन अमेरिका में लोकप्रिय ही रहे भारतीय सामान के दाम टैरिफ के कारण काफी बढ़ जाएंगे। आजकल अमेरिका में भारतीयों के बीच सूती और बनारसी साड़ियां, लाह की रंग-बिरंगी चूड़ियां, मखाना, आम, लीची, मधुबनी पेंटिंग आदि की काफी मांग है। टैरिफ बढ़ने के बाद अब ये सारे सामान मंगाना महंगा हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि टैरिफ बढ़ाए जाने का सीधा प्रभाव अमेरिका में रह रहे भारतीयों के द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों पर भी दिखायी देखा। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि देश की सरकार समस्या के निदान का जल्द हल निकालेगी।

शिकायतें

1.अमेरिका ने अपने देश में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए टैरिफ लगाया है, जिसका दुनिया पर असर पड़ सकता है।

2.ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर इस बढ़े टैरिफ का ज्यादा असर पड़ने की संभावना है।

3.कपड़ों और रत्न-आभूषण उत्पादों की कीमत में सबसे अधिक दिखेगी वृद्धि।

4.स्थानीय बाजार से भेजे जाने वाले उत्पादों की सप्लाई चेन पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है।

5.जवाबी आयात शुल्क को देखते हुए भवष्यि के लिए वैकल्पिक बाजार तलाशना पड़ सकता है।

सुझाव

1.भारत की भी विदेशी से मंगवाए जाने वाले उत्पादों का स्थायी प्रोडक्शन शुरू करने पर काम करना चाहिए।

2.भारतीय फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री पर अमेरिका समेत अन्य देशों की नर्भिरता है, इसलिए इसका लाभ उठाना चाहिए।

3.अन्य देशों की तुलना में कृषि आधारित उत्पादों पर टैरिफ कम है, इसलिए बाजार में इन उत्पादों पर ध्यान देना चाहिए।

4.उत्पादों की मांग घटने पर उसका सप्लाई प्रभावित नहीं हो, इसके लिए वैकल्पिक बाजार की तलाश शुरू करनी चाहिए।

5.जिन अमेरिकी उत्पादों की भारत में मांग है, उनके उत्पादन की दिशा में कार्य शुरू करना चाहिए।

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