नई पीढ़ी में साहित्यिक चेतना जगाने का संदेश बनी साहित्य प्रहरी की गोष्ठी
नारायण भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक समाजसेवी प्रकाश नारायण थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में कोषाध्यक्ष ज्योति कुमार सिन्हा ने अतिथियों का स

मुंगेर, एक संवाददाता। साहित्य प्रहरी की मासिक गोष्ठी बीते रविवार 15 जून को संध्या 5 बजे मंगल बाजार, मुंगेर स्थित यदुनंदन झा द्विज के आवासीय परिसर में आयोजित हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता यदुनंदन झा द्विज ने की, जबकि संचालन प्रख्यात गीतकार शिवनंदन सलिल ने किया। मंच पर आचार्य नारायण शर्मा एवं प्रो. जयप्रकाश नारायण भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के संयोजक समाजसेवी प्रकाश नारायण थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में कोषाध्यक्ष ज्योति कुमार सिन्हा ने अतिथियों का स्वागत किया। जबकि, गोष्ठी का संचालन कर रहे शिवनंदन सलिल ने नई पीढ़ी में कविता के प्रति बढ़ती उदासीनता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, साहित्य साधना का विषय है, न कि शॉर्टकट से प्राप्त होने वाली उपलब्धि।
उन्होंने युवाओं से साहित्यिक अनुशासन और श्रमशीलता के साथ आगे आने का आह्वान किया। गोष्ठी के दूसरे चरण में भव्य कवि-सम्मेलन हुआ, जिसमें अलख निरंजन कुशवाहा, रख्शां हाशमी, विजेता मुद्गल पुरी, किरण शर्मा, प्रमोद निराला, अशोक शर्मा, डॉ. रघुनाथ भगत, शकूर अहमद, डॉ. कुंदन कुमार सहित कई कवियों और शायरों ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के विशेष क्षण में शिक्षिका एवं शायरा रख्शां हाशमी को उनके स्थानांतरण पर भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर ज्योति सिन्हा ने अपनी नज्म 'मोबाइल के पन्ने पलटकर तेरी तस्वीर देख लूंगा...' सुनाकर वातावरण को भावुक कर दिया। अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने विदाई को नौकरी जीवन का हिस्सा बताते हुए शुभकामनाएं दीं। करीब दो घंटे चले इस साहित्यिक आयोजन में संजय कुमार, सुमन कुमार, रामदेव, श्रेया, अताउल्लाह बुखारी, मधुसूदन आत्मीय, विभाष मिश्र, बिरजू मंडल समेत कई साहित्य प्रेमी अंत तक मौजूद रहे।
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