बिस्मिल्लाह खां को उर्दू तो जगदीश चंद्र बोस को हिंदी में पढ़ेंगे बच्चे
बिहार में सरकारी स्कूलों के बच्चों को उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में किताबें दी जाएंगी। यह पहल बच्चों को भाषाओं में दक्ष बनाने और साहित्य-संस्कृति के साथ विज्ञान के इतिहास से जोड़ने के लिए की गई है।...

मुजफ्फरपुर। प्रमुख संवाददाता सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बिस्मिल्लाह खां को उर्दू तो जगदीश चंद्र बोस को हिंदी में पढ़ेंगे। सूबे के पुस्तकालयों में इसके लिए दो लाख से अधिक किताबें दी जाएंगी। बच्चों को उर्दू, अंग्रेजी और हिंदी में दक्ष बनाने को लेकर यह पहल की गई है। इन किताबों का चयन इस तरह किया गया है कि बच्चे साहित्य-संस्कृति के साथ विज्ञान के इतिहास और विकास से जुड़ें। यही नहीं, इसके माध्यम से वे अलग-अलग भाषा पर भी पकड़ बना सकें। नई शिक्षा नीति में बच्चों को कम से कम तीन भाषा से जोड़ने की बात कही गई है।
ऐसे में यह पहल बच्चों में बदलाव लेकर आएगी। एक से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए उर्दू और 9वीं-10वीं के बच्चों को अंग्रेजी में किताबें मिलेंगी। कक्षावार किताबों के लिए भाषा का अलग-अलग माध्यम बनाया गया है। बिहार शिक्षा परियोजना ने सभी जिलों को इसे लेकर निर्देश दिया है। सवा करोड़ की होंगी ये किताबें, सेट बनाकर कराया जाना है उपलब्ध : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और शिक्षा मंत्रालय की ओर से किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं। बिहार शिक्षा परियोजना के साथ इसके लिए एकरारनामा किया गया है। प्राथमिक से लेकर मध्य, हाईस्कूल और प्लस 2 स्कूलों के पुस्तकालयों में इसे उपलब्ध कराया जाएगा। बिहार शिक्षा परियोजना ने निर्देश दिया है कि हर जिले के लिए अलग-अलग सेट बनाकर किताबें उपलब्ध कराई जाएं। लगभग सवा करोड़ की मूल्य की ये पुस्तकें स्कूलों को उपलब्ध कराई जाएंगी। अलग-अलग कक्षाओं के लिए दी जाएंगी पुस्तकें : कक्षा एक से पांच के लिए चंटू-बंटू, बिसमिल्लाह खां की किताबें उर्दू माध्यम में दी जाएंगी। इसी तरह कक्षा छह से आठ के लिए विज्ञान और भारत, जगदीया चंद्र बोस जैसी किताबें हिंदी माध्यम में होंगी। कक्षा 9वीं-10वीं के बच्चों के लिए अंग्रेजी में स्टोरीज फॉर चिल्ड्रेन जैसी किताबें दी जानी हैं। वहीं, 11-12वीं के बच्चों के लिए हिंदी माध्यम से प्लास्टिक : मानवजाति पर मंडराता संकट, भारत में भू-जल संसाधन जैसी किताबें दी जानी हैं।
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