Grand Finale of Seven-Day Shrimad Bhagwat Katha in Chhataur मनुष्य को भाव से मिल जाते हैं भगवान: आचार्य, Supaul Hindi News - Hindustan
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मनुष्य को भाव से मिल जाते हैं भगवान: आचार्य

छातापुर,एक प्रतिनिधि/एक संवाददाता प्रखंड की रामपुर पंचायत के लालपुर ब्राह्मण टोला स्थित सरोजनी

Newswrap हिन्दुस्तान, सुपौलSun, 8 June 2025 03:20 AM
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मनुष्य को भाव से मिल जाते हैं भगवान: आचार्य

छातापुर,एक प्रतिनिधि/एक संवाददाता प्रखंड की रामपुर पंचायत के लालपुर ब्राह्मण टोला स्थित सरोजनी शक्ति निवास परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन शुक्रवार देर शाम हो गया। समापन सत्र में स्थानीय विधायक सह बिहार सरकार के मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू सहित इलाके के कई जनप्रतिनिधि व गणमान्य शामिल हुए। वहीं कथा श्रवण करने खासकर महिलाएं सैकडों की संख्या में शामिल हुईं। मुख्य कथावाचक आचार्य ज्योतिष झा ने श्रीकृष्ण एवं उनके सखा सुदामा प्रसंग का वर्णन कर कथा का समापन किया। कहा कि मनुष्य को भाव से भगवान मिल जाते हैं, जहां भाव है वहां भगवान का वास होना तय है।

श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से रोग, द्वेष व विकारों से मुक्ति मिलती है, वहीं विजय, यश, कृति व सुख शांति की प्राप्ति होती है। कथा श्रवण से मूक्ति के द्वार खुलते हैं। इस दौरान कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव की उद्घोषक से यज्ञ स्थल गोविंदमय बना रहा। समापन सत्र में कई घंटे तक मौजूद रहे मंत्री श्री बबलू ने भक्तिभाव से कथा श्रवण किया। उद्बोधन में सात दिवसीय अनुष्ठान के आयोजनकर्ता सरोजनी देवी व डा शक्तिनाथ झा एवं उसके पुरे परिवार के प्रति आभार जताया। कहा कि आजकल लोगों की जिंदगी भागदौड़ की हो गई है। अधिकांश लोग खासकर बच्चे मोबाइल पर ज्यादा वक्त गुजारने लगे हैं। फिर भी मनुष्य को दुनियां की मोह माया से हटकर व समय निकालकर भक्तिभाव से भगवान का स्मरण करना ही चाहिए। भगवान भक्त के वश में होते हैं। आप अगर सच्चे दिल से भगवान को पुकारेंगे तो नश्चिति रूप से भगवान आपके घर पधारेंगे। उद्बोधन के दौरान उन्होने दोहा ' दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरन करे दुख काहे को होय' सुनाकर लोगों से भगवान की भक्ति करने का अनुरोध किया। मौके पर शालीग्राम पांडेय, गोपाल आचार्य, सुशील कर्ण, गौरीशंकर भगत, सुरज चंद्र प्रकाश, काली झा, शंकर सहनी, आशिषकांत झा, रामटहल भगत, हीरालाल जैन, जीवनाथ झा, रंजीत उर्फ पप्पू झा, राजेंद्र सिंह, बेचु सहनी, पारसनाथ झा, बेचन झा, सुमन झा, बिनोद झा, जगदीश दास, राधा राय, शिवशंकर सिंह, वद्यिानंद सिंह, अनिरुद्ध सिंह, अमित झा, कौशल झा, गौतम झा, राघव झा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर नारी थी।

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