मुजफ्फरपुर रेप कांड के आरोपी का कच्चा-चिट्ठा, दाखिल-खारिज में बोलती थी तूती; होटल में अधिकारी होते थे खास मेहमान
Muzaffarpur Rape Case: दाखिल-खारिज कराने के बदले वह मोटी उगाही करता था। इससे उसने करोड़ों रुपये की कमाई की। जैसे-जैसे उसकी कमाई बढ़ती गई उसकी दबंगई भी बढ़ती गई। ग्रामीण एसपी विद्यासागर ने बताया कि मुकेश राजस्व कर्मियों से मिलभगत कर दाखिल-खारिज का रैकेट चलाता था।

Muzaffarpur Rape Case: मुजफ्फरपुर जिले के तुर्की थाना क्षेत्र में 11 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपित मुकेश कुमार राय की जमीन की खरीद-बिक्री व दाखिल-खारिज में कुढ़नी अंचल में तूती बोलती थी। करीब दस वर्ष पहले उसने एक राजस्व कर्मी के प्रतिनिधि के रूप में काम करना शुरू किया। इसके बाद जमीन के विवादित मामलों को सुझाने के नाम पर उसने करोड़ों की कमाई की और काफी संपत्ति अर्जित कर ली। पुलिस की जांच में उसकी करतूतों की सारी परतें खुल रही है।
जांच में पता चला है कि जिस राजस्व कर्मी का मुकेश प्रतिनिधि था उसके जिम्मे शहर से सटे हल्कों की जिम्मेदारी थी। बाद में अन्य हल्का का भी उसे प्रभार मिला। इन हल्का को काफी मालदार माना जाता है। शुरू में तो मुकेश ने सामान्य प्रतिनिधि के रूप में काम किया, लेकिन कुछ दिनों के बाद अपने काम व इलाके में परिचय होने के कारण वह राजस्व कर्मी का विश्वास पात्र बन गया। कुढ़नी अंचल कार्यालय में उसकी मर्जी से ही विवादित जमीन के मामले का निबटारा किया जाता था।
दाखिल-खारिज कराने के बदले वह मोटी उगाही करता था। इससे उसने करोड़ों रुपये की कमाई की। जैसे-जैसे उसकी कमाई बढ़ती गई उसकी दबंगई भी बढ़ती गई। ग्रामीण एसपी विद्यासागर ने बताया कि मुकेश राजस्व कर्मियों से मिलभगत कर दाखिल-खारिज का रैकेट चलाता था। इससे उसने काफी संपत्ति अर्जित की। इसकी जांच की जा रही है।
लाइन होटल पर होती थी अधिकारियों की आवभगत
जांच में पता चला है कि विवादित जमीन की कमाई से ही मुकेश ने पटना रोड में लाइन होटल खोला था। यहां पर वह अधिकारियों का भरपूर आवभगत करता था। लाइन होटल पर स्थानीय थाना से लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठकी जमती थी। कई अधिकारी उसके खास मेहमान होते थे। वे यहां नियमित रूप से आते थे। अधिकारियों से मेलजोल के कारण उसकी दबंगई बढ़ती चली गई।
दो दिनों की पुलिसिया दबिश के बाद किया आत्मसमर्पण
एफआईआर दर्ज होने के बाद भी मुकेश को अपनी पहचान के रसूखदारों के बल पर फरार रहा। उसे विश्वास था कि जिन पुलिस अधिकारियों की आवभगत में उसने कभी कोई कमी नहीं की वे उसे बचा लेंगे। मामला के तूल पकड़ने पर पुलिस ने उसपर दबिश बनानी शुरू की। इसका भी उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। दो दिनों में जब उसके खिलाफ पुलिस व कानूनी दबिश बढ़ती तो उसने विशेष पॉक्सो कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया।