Upendra Kushwaha expressed his pain in the delimitation rally said had to pay for raising public interest issues जनहित के मुद्दों पर कई बार बड़ी कीमत चुकाई, परिसीमन वाली रैली में उपेंद्र कुशवाहा का दर्द छलका, Bihar Hindi News - Hindustan
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जनहित के मुद्दों पर कई बार बड़ी कीमत चुकाई, परिसीमन वाली रैली में उपेंद्र कुशवाहा का दर्द छलका

उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि वह अपनी पार्टी के माध्यम से हमेशा ही हित के मुद्दों को उठाते रहे हैं। इसके लिए कई बार उनको बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है लेकिन, वह जनहित पर समझौता कर पद पाने वाले लोगों में से नहीं हैं।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरSun, 8 June 2025 04:17 PM
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जनहित के मुद्दों पर कई बार बड़ी कीमत चुकाई, परिसीमन वाली रैली में उपेंद्र कुशवाहा का दर्द छलका

अगले साल होने वाले संसदीय और विधानसभा क्षेत्र का परिसीमन को रोकने की साजिश रची जा रही है। इसके लिए दक्षिण भारत के राज्य बड़े पैमाने पर अभियान चला रहे हैं। परिसीमन नहीं होने का नुकसान सबसे अधिक उत्तर भारत के राज्यों को उठाना पड़ रहा है। रविवार को मुजफ्फरपुर क्लब मैदान में प्रमंडल स्तरीय महारैली को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ये बातें कहीं। कुशवाहा ने कहा कि कई बार जनहित के मुद्दों को उठाने की कीमत चुकानी पड़ी। कयास लगाए जा रहे हैं कि कुशवाहा का इशारा किसकी ओर था।

कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन का आधार जनसंख्या होता है। लेकिन पिछले 50 सालों में किसी न किसी बहाने दो बार परिसीमन पर रोक लगाई गई। इसका नुकसान हिंदी पट्टी के राज्यों को विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली राशि के नुकसान के तौर पर झेलना पड़ा है। क्योंकि परिसीमन नहीं होने से हिंदी पट्टी राज्यों में आज 31 लाख पर एक सांसद चुना जाता है वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में 21 लाख की आबादी पर एक सांसद होता है। इसका नुकसान सांसद और विधायक कोटे से विकास के लिए मिलने वाली राशि का नुकसान तो होता ही है। साथ ही केंद्र और राज्य प्रायोजित कई योजनाएं जनसंख्या के आधार पर चलाई जाती हैं इनके लिए भी जो फंड आवंटित किया जाता है उसमें राशि की कमी हो जाती है।

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आगे उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी के माध्यम से हमेशा ही हित के मुद्दों को उठाते रहे हैं। इसके लिए कई बार उनको बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है लेकिन, वह जनहित पर समझौता कर पद पाने वाले लोगों में से नहीं हैं। हमेशा मुद्दों एवं विजन पर आधारित राजनीति करते रहे हैं और आगे भी करेंगे। बिहार में शिक्षकों की बीपीएससी द्वारा की जा रही बहाली के पीछे उनका ही प्रयास होने की बात कही। कहा कि सबसे पहले उन्होंने ही बीएससी जैसी संस्था से शिक्षकों को बहाल करने की मांग उठाई थी और अंततः या प्रक्रिया शुरू की गई।

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नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर प्रहार करते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि सत्ता में रहते जनहित उनके एजेंडे से बाहर हो जाता है। जब सड़क पर आते हैं तो डोमिसाइल नीति पर हल्ला करते हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने डोमिसाइल नीति पर मोहर लगाई थी।

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