Muzaffarpur Hospitals Face Shortage of Immunoglobulin for Dog Bite Victims कुत्ते के शिकार गंभीर जख्मी मरीजों को नहीं मिल रही दवा, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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कुत्ते के शिकार गंभीर जख्मी मरीजों को नहीं मिल रही दवा

मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में कुत्ता काटने से गंभीर रूप से जख्मी मरीजों के लिए इम्यूनोग्लोबिन की कमी हो गई है। हर महीने 3500 लोग कुत्ता काटने के शिकार होते हैं, लेकिन दवा की अनुपलब्धता...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरWed, 30 April 2025 07:41 PM
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कुत्ते के शिकार गंभीर जख्मी मरीजों को नहीं मिल रही दवा

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। सदर अस्पताल से लेकर एसकेएमसीएच तक कुत्ता काटने से गंभीर रूप से जख्मी मरीजों को लगने वाला इंजेक्शन इम्यूनोग्लोबिन नहीं मिल रहा है। इम्यूनोग्लोबिन दवा का इंडेंट नहीं करने से यह अस्पतालों से गायब है। दवा नहीं होने से पूरे जिले से हर दिन 25 से 30 मरीज बिना इंजेक्शन लिए वापस हो रहे हैं। निजी अस्पतालों में इस दवा की कीमत आठ हजार रुपये तक है। सरकारी अस्पतालों में यह दवा मुफ्त में मिलती है।

एसकेएमसीएच के पीएसएम विभाग के डॉ राम बाबू ने बताया कि जिस व्यक्ति को कुत्ते ने काटने के दौरान मांस निकाल लिया हो, उसे यह दवा दी जाती है। एसकेएमसीएच में हर महीने इम्यूनोग्लोबिन लेने वाले 250 मरीज पहुंचते हैं।

हर महीने 3500 लोग हो रहे कुत्ता काटने के शिकार

जिले में हर महीने 3500 लोग कुत्ता काटने के शिकार हो रहे हैं। एसकेएमसीएच के पीएसएम विभाग के डॉ राम बाबू ने बताया मेडिकल में हर महीने एक हजार मरीज एंटी रैबीज की सूई लेने पहुंचते हैं। सदर अस्पताल में भी हर महीने 1500 मरीजों को एंटी रैबीज की सूई पड़ती है। पीएचसी-सीएचसी में भी हर महीने करीब 500 मरीजों को एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगता है।

तीन स्तर में डॉक्टर रखते हैं कुत्ता काटने को

डॉ राम बाबू के मुताबिक कुत्ता काटने को तीन स्तरों में रखा जाता है। पहले स्तर में कुत्ता अगर चाट लिया। दूसरे स्तर में कुत्ते के काटने पर खून नहीं निकला और तीसरे स्तर में कुत्ते ने काटकर मांस निकाल लिया। इम्यूनोग्लोबिन तीसरे स्तर के मरीजों को दिया जाता है। अन्य दो स्तर में एंटी रैबीज की सूई दी जाती है। मुजफ्फरपुर में दूसरे स्तर वाले मरीजों की संख्या अधिक है।

कुत्ता के चाटने पर भी डॉक्टर से दिखाएं

डॉक्टरों ने कहा कि कुत्ता चाटने पर भी डॉक्टरों को दिखाना जरूरी है। डॉ राम बाबू के अनुसार कई लोग कुत्ता काटने के बाद सात-सात दिन तक दिखाने नहीं आते हैं। ऐसे में बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। सदर अस्पताल के डॉ चंद्रशेखर ने बताया कि एंटी रैबीज की सूई लेने में ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए। इससे परेशानी बढ़ सकती है।

तीन दिन के बाद सदर में आयी एंटी रैबीज दवा

सदर अस्पताल में तीन दिन के बाद मंगलवार को एंटी रैबीज की दवा आई है। तीन दिन तक दवा नहीं रहने से मरीज वापस लौट रहे थे। दो दिन पहले कुछ मरीजों ने इसको लेकर हंगामा भी किया था। बुधवार को दोपहर बाद दवा आने के कारण मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगाया जा सका।

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