हमलोग भले ही अनपढ़ हैं, बच्चों को अंग्रेजी बोलना सीखा दीजिए
मुजफ्फरपुर में अभिभावक-शिक्षक बैठक में माताएं अपने बच्चों की अंग्रेजी शिक्षा की मांग कर रही थीं। उन्होंने कहा कि वे अनपढ़ हैं, लेकिन चाहते हैं कि उनके बच्चे अंग्रेजी बोलें। बैठक में 80% माताएं और 20%...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। मेरी बेटी छठी कक्षा में पढ़ती है सर। वैसे तो घर पर बढ़िया से गृह कार्य करती है, मगर अंग्रेजी नहीं बोलती। इसे अंग्रेजी भी पढ़ाया कीजिए। हम भले ही अनपढ़ हैं, मगर हमारी चाहत है कि हमारे बच्चे भी सबकी तरह खूब अंग्रेजी में बात करें। शनिवार को शहरी क्षेत्र का आदर्श म.वि.सरैयागंज हो या कांटी का आदर्श कस्बा म.वि.। इन सभी में माताएं अपने बच्चों को लेकर कुछ इसी तरह का इजहार करती दिखीं। सरकारी स्कूलों में समारोह जैसा माहौल था। सुबह सात बजे ही माताएं बच्चों के स्कूल पहुंच चुकी थीं। इन सभी को स्कूल की तरफ से आने का आमंत्रण मिला था।
अवसर था अभिभावक-शिक्षक बैठक का। सरकारी स्कूलों में आयोजित यह बैठक कई मायनों में अलग थी। इसमें बच्चों का रिजल्ट कार्ड अभिभावकों के हाथ में तो नहीं था मगर अपने बच्चों के संपूर्ण विकास को लेकर उनकी समझ और आत्मविश्वास साथ थी। माताओं की चाहत थी कि बिटिया अफसर बने तो पिता बच्चों में आए बदलाव से खुश दिखे। बैठक में 80 फीसदी माताएं तो 20 फीसदी पिता शामिल हुए। पहली बार गर्मी की छुट्टी में मिले असाइनमेंट को लेकर अभिभावकों को इसमें जानकारी दी गई और बच्चों में आए बदलाव, कमियों के साथ ही स्कूल में होने वाले बदलाव और कमियों पर सुझाव मांगे गये। हर अभिभावक को जिम्मा मिला कि घर में स्टडी कॉर्नर बनाकर कम से कम तीन घंटे सुबह-शाम मिलाकर बच्चों को बिठाएं। कई माताओं ने कहा कि हम मजदूरी करते हैं। ऐसे में हमें समझ भी नहीं आया कि इसे कैसे कराना है। ऐसे में हम इनका होमवर्क कैसे कराएंगे। प्रधानाध्यापक गोपाल फलक, डॉ. मनोज कुमार आदि ने अभिभावकों को समझाया कि गृह कार्य कराने में बच्चे भैया-दीदी की मदद लेंगे। अगर इसके बाद भी समझ में नहीं आता है तो वे शिक्षकों को फोन कर या आसपास रहने वाले शिक्षकों से भी मदद ले सकते हैं।
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